पंजाबः बादल परिवार के चंगुल से निकल पायेगा शिरोमणि अकाली दल?

10:33 am Jan 11, 2025 | सत्य ब्यूरो

पंजाब में अकाली राजनीति बदलने जा रही है। ऐसा पहली बार होगा, जब अकाली दल की राजनीति में बादल परिवार की भूमिका नहीं होगी। सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त के दखल पर शिरोमणि अकाली दल ने सुखबीर सिंह बादल को अध्यक्ष पद से हटा दिया। हालांकि उन्होंने इस्तीफा दिया था जिसे शुक्रवार को मंजूर किया गया। लेकिन यह सब अकाल तख्त के निर्देश पर हुआ। पंजाब के कई बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रकाश सिंह बादल ने 2008 में अपने बेटे को पार्टी का अध्यक्ष बनाया था। कहा जा रहा है कि सुखबीर फिर से पार्टी अध्यक्ष बनने की कोशिश में जुट गये हैं।

गुरुद्वारे लंबे समय तक महंतों के नियंत्रण में थे। लेकिन 1920 में गुरुद्वारा सुधार आंदोलन शुरू हुआ और उसी दौरान शिरोमणि अकाली दल अस्तित्व में आया था। 1995 में प्रकाश सिंह बादल इसके अध्यक्ष बने थे और उसके बाद शिरोमणि अकाली दल बादल परिवार की जेबी पार्टी या समर्पित पार्टी बन गई। लेकिन पंजाब में जब से बादल परिवार की रहनुमाई में पार्टी ने बीजेपी से हाथ मिलाया, पार्टी गिरावट दर्ज करने लगी। पार्टी के नेता और कार्यकर्ता खासतौर से सुखबीर बादल की नीतियों से नाराज हो गये। सुखबीर पार्टी पर पकड़ खोते गये। 

बलविंदर सिंह भुंडर की अध्यक्षता में चंडीगढ़ में पार्टी की वर्किंग कमेटी की दो घंटे की बैठक के बाद शुक्रवार को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए वरिष्ठ अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, "पार्टी 1 मार्च को नया अध्यक्ष चुनेगी।" सुखबीर बादल ने मीडिया को बताया कि उन्होंने भी इस बैठक में हिस्सा लिया। मैंने कार्य समिति से हाथ जोड़कर अनुरोध किया है कि मेरा इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाए।

बैठक के बाद उन्होंने कहा कि “जब मैंने खुद को अकाल तख्त के सामने पेश किया था, तो मैंने एक विनम्र सिख के रूप में ऐसा किया था और पहले ही पार्टी को अपना इस्तीफा दे दिया था। पांच साल पहले पार्टी ने मुझे यह जिम्मेदारी सौंपी थी, जिसे मैंने अपनी पूरी क्षमता से निभाया। इस दौरान पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने मुझे पूरा समर्थन दिया है। नए सदस्यों को शामिल करना और नया अध्यक्ष चुनना पार्टी का काम है।''

हालांकि बादल हट गये हैं, लेकिन वो दोबारा अध्यक्ष बनने की कोशिश कर सकते हैं। शुक्रवार के घटनाक्रम पर विरोधी गुट के गुरपरताप सिंह वडाला के नेतृत्व वाले अकाली नेताओं ने आरोप लगाया कि पार्टी की कार्य समिति ने सिख समुदाय को धोखे में रखा और इस तरह से काम किया जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बादल को फिर से चुना जाए। विद्रोही गुट के नेताओं में से एक प्रेम सिंह चंदूमाजरा ने मीडिया को बताया कि कार्य समिति ने बादल का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है, यह अकाल तख्त के आदेशों के अनुरूप है। जिसका हम स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि, कुछ अन्य नेता भी थे जिन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था और जिसे स्वीकार किया जाना चाहिए था। कार्य समिति ने अब तक ऐसा नहीं किया है।

अकाली दल में संकट की शुरुआत पिछले साल से हुई। असंतुष्टों के एक समूह ने अकाल तख्त से शिकायत की और आरोप लगाया कि सुखबीर ने सत्ता में रहते हुए कई गैर सिखी काम किये हैं। अकाल तख्त ने जांच के बाद 30 अगस्त 2024 को बादल को "तनखैया" (पापी, धार्मिक कदाचार का दोषी) घोषित किया था। तख्त ने बादल को ऐसे फैसले लेने का दोषी पाया था जिससे "सिख समुदाय की छवि को गंभीर नुकसान हुआ, जिससे शिरोमणि अकाली दल की स्थिति खराब हुई और सिख हितों को नुकसान पहुंचा।" अकाल तख्त के मुताबिक, ये फैसले बादल ने पंजाब के उपमुख्यमंत्री और पार्टी अध्यक्ष की हैसियत से लिए थे।

2 दिसंबर को, अकाल तख्त ने बादल और अन्य अकाली नेताओं, जिनमें अलग हुए खेमे के नेता भी शामिल थे, के लिए धार्मिक दंड की घोषणा की। अकाल तख्त ने पार्टी की कार्य समिति को विभिन्न अकाली नेताओं (जिसमें बादल भी शामिल थे) द्वारा प्रस्तुत इस्तीफे स्वीकार करने के लिए कहा। इसका मतलब यह था कि अकाल तख्त ने बादल को पार्टी प्रमुख पद से हटाने का आदेश दिया।