क्या महाराष्ट्र की राजनीति में फिर से कुछ बड़ी हलचल होने वाली है? पवार परिवार में फिर से 'एकता' की चर्चा हो ही रही है कि अब शिवसेना यूबीटी ने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ़ शुरू कर दी है। वह भी उस फडणवीस की जिनपर शिवसेना यूबीटी अपनी पार्टी को तोड़ने का आरोप लगाती रही थी।
पहले तो संजय राउत ने पार्टी के मुखपत्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस की जमकर तारीफ़ की और जब दूसरे दिन पत्रकारों ने पूछा तो इस पर जोर देते हुए इसकी पुष्टि भी की। पहले शिवसेना यूबीटी नेता बीजेपी के सहयोगी रहे हैं। एक और अहम बात है कि फडणवीस सरकार में शामिल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के हाल के दिनों में नाराज़ होने की ख़बरें आती रही थीं। तो क्या महाराष्ट्र की राजनीति में वाक़ई हलचल होने वाली है?
इस सवाल का जवाब बाद में, पहले यह जान लें कि आख़िर महाराष्ट्र की राजनीति में हाल में क्या घटनाक्रम चले हैं। दो दिन पहले ही एनडीए सरकार में शामिल महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार की मां आशा पवार ने बुधवार को पंढरपुर का दौरा किया और वहां के मंदिर में अजित और उनके चाचा और एनसीपी (सपा) प्रमुख शरद पवार के पुनर्मिलन के लिए प्रार्थना की। हालाँकि आशा पवार की प्रार्थना दोनों परिवारों के पुनर्मिलन के लिए थी लेकिन उसके राजनीतिक मतलब निकाले जा रहे हैं।
शरद पवार की छत्रछाया में राजनीतिक रूप से पले-बढ़े उनके भतीजे अजित लंबे समय तक उनके नक्शे कदम पर चलते रहे लेकिन एक दिन महत्वाकांक्षी भतीजे ने विद्रोह कर पार्टी पर कब्जा कर लिया। नवंबर में हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (सपा) छह प्रमुख पार्टियों में से अंतिम स्थान पर रही और उसने जिन 86 सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से केवल 10 पर जीत हासिल की। दोनों एनसीपी ने 36 निर्वाचन क्षेत्रों में एक-दूसरे के ख़िलाफ़ प्रतिस्पर्धा की, जिसमें एनसीपी अजित पवार ने 29 सीटें जीतीं।
एनसीपी परिवार में जहाँ पुनर्मिलन की चर्चा चली है वहीं महाराष्ट्र सरकार के गठन और विभागों के बँटवारे को लेकर शिंदे की नाराज़गी की ख़बरें भी सामने आई थीं। कहा गया कि इस वजह से सरकार गठन और विभागों के बँटवारे में समय लगा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नतीजे के क़रीब एक महीने में विभागों का बँटवारा हो पाया था। पहले सीएम पद को लेकर खींचतान और फिर मंत्रालयों को लेकर गठबंधन सहयोगियों में खींचतान की वजह से इतनी देरी हुई।
ढाई साल से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के रूप में शासन करने के बाद शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे को देवेंद्र फडणवीस की नई सरकार में उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार करने की कड़वी गोली निगलनी पड़ी है। हालाँकि, यह दोनों दलों के बीच गहन बातचीत के बाद हुआ है।
चुनाव नतीजे आने के क़रीब दो हफ़्ते तक सीएम पद को लेकर खींचतान चलती रही थी। शिंदे उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के लिए तभी सहमत हुए जब भाजपा नेताओं और उनकी पार्टी के विधायकों ने उन्हें मनाने का प्रयास किया।
फडणवीस की ऐसी तारीफ़
बहरहाल, देवेंद्र फडणवीस ने एक महीने पहले ही कार्यभाल संभाला है। संजय राउत ने शिवसेना को तोड़ने का आरोप लगाने के महीनों बाद मुंबई में पत्रकारों से कहा, 'अगर कोई सरकार आपकी विचारधारा से जुड़ा नहीं है, लेकिन उसने कुछ अच्छे कदम उठाए हैं, खासकर कानून और व्यवस्था की स्थिति को लेकर, और सामाजिक समानता की दिशा में काम कर रही है, तो वह प्रशंसा की हकदार है।' राउत शुक्रवार को शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में ‘देवभाऊ अभिनंदन’ शीर्षक से संपादकीय में फडणवीस की प्रशंसा के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
राउत ने कहा कि बुधवार को ग्यारह नक्सलियों ने मुख्यमंत्री के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। राउत ने कहा, 'उन्होंने अपने हथियार डाल दिए और संविधान को स्वीकार कर लिया। हर मराठी मानुष और भारत को इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए।' आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में वरिष्ठ कैडर विमला चंद्र सिदम उर्फ तारक्का शामिल हैं, जिन पर सामूहिक रूप से 1 करोड़ रुपये का इनाम था और जो 34 वर्षों से इस गतिविधि में शामिल थे। राउत ने कहा कि शिवसेना ने पहले भी नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा की है। उन्होंने कहा, 'अगर गढ़चिरौली में विकास होने वाला है, तो कोई कारण नहीं है कि फडणवीस की प्रशंसा न की जाए।'
सामना के संपादकीय में फडणवीस की प्रशंसा पर राउत ने कहा, "हमने उनकी प्रशंसा की है क्योंकि सरकार ने अच्छा काम किया है। अगर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और संवैधानिक मार्ग चुना है, तो हम इसका स्वागत करते हैं... पहले के 'संरक्षक मंत्री' ऐसा कर सकते थे, लेकिन इसके बजाय, उन्होंने अपने एजेंट नियुक्त किए और पैसा जुटाया जिससे नक्सलवाद बढ़ा। हमने देवेंद्र फडणवीस के साथ काम किया है, यह रिश्ता आगे भी जारी रहेगा।"
शिवसेना भाजपा की सबसे पुरानी सहयोगी थी, लेकिन 2019 में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद के चलते उसने भाजपा से नाता तोड़ लिया। 2022 में शिवसेना में तब विभाजन हो गया, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों के एक वर्ग ने बगावत कर भाजपा से हाथ मिला लिया।
ऐसा ही एनसीपी के साथ भी हुआ। शरद पवार की एनसीपी में विद्रोह हुआ और अजित पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिला लिया। अजित की विरोधी सुप्रिया सुले भी अब फडणवीस की तारीफ़ कर रही हैं।
सुप्रिया सुले क्यों तारीफ़ कर रही हैं?
संजय राउत की तारीफ़ के बाद बारामती की सांसद और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) की नेता सुप्रिया सुले ने भी फडणवीस की तारीफ़ों के पुल बाँधे हैं। वह भी हाल तक फडणवीस को एनसीपी को तोड़ने के लिए ज़िम्मेदार बताती रहीं। राउत द्वारा फडणवीस की तारीफ़ किए जाने के सवाल पर शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने पुणे में संवाददाताओं से कहा कि फडणवीस अच्छा काम कर रहे हैं। फडणवीस की तारीफ़ के साथ ही उन्होंने बिना नाम लिए एक तरह से अजित पवार पर निशाना भी साधा। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार में केवल फडणवीस ही सक्रिय हैं। उन्होंने कहा, 'महायुति सरकार के अधिकांश मंत्रियों ने अभी तक कार्यभार नहीं संभाला है। पिछले एक महीने से ऐसा लग रहा है कि केवल फडणवीस ही एक्शन मोड में हैं।'
इन राजनीतिक घटनाक्रमों के बीच अब सवाल यह है कि क्या यह तारीफ़ राजनीति से ऊपर उठकर अच्छे काम के लिए की गई है या फिर अंदर से कुछ और ही राजनीतिक गहमागहमी चल रही है? यह तो आने वाले समय में ही साफ़ हो पाएगा।