इज़रायली जासूसी सॉफ़्टवेअर 'पेगैसस' का इस्तेमाल कर भारत के पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर निगरानी रखने पर तीखी प्रतिक्रिया हुई है। मानवाधिकार संगठनों, राजनीतिक दलों, पत्रकारों और दूसरे लोगों ने सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर सरकार की ज़ोरदार आलोचना की है और कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
सबसे तीखी और सीधी प्रतिक्रिया ट्विटर पर हुई है। मानवाधिकार के क्षेत्र में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ट्वीट कर कहा, 'क्या आपको कभी लगा कि आप पर निगरानी रखी जा रही है?'
इसने इसी ट्वीट में कहा है, '100 मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने के लिए जासूसी सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल करने की वजह से व्हॉट्सऐप एनएसओ पर मुक़दमा कर रहा है।'
इंटरनेट फ्रीडम फ़ाउंडेशन ने भी इस पर चिंता जताई है।
मानवाधिकार कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने कहा: अंत में सच सामने आ ही गया। मैने यह मुद्दा कई बार उठाया, कई बार कहा कि मेरे वॉट्सऐप पर हमला हुआ है। मैं अपना जवाब 4-5 बार टाइप करती थी, वह गायब हो जाता था।
कांग्रेस पार्टी के नेता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने तंज किया, 'मोदीजी की खुली, पारदर्शी सरकार! सब पर निगरानी रखने वाली सरकार यहाँ है।'
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्वीट कर कहा, 'वॉट्सऐप सॉफ़्टवेअर हमले से डाटा सुरक्षा और भारतीयों की निजता के अधिकार से जुड़े कई सवाल खड़े हो गए हैं।'
भारतीवॉट्सऐपय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता मुहम्मद सलीम ने ट्वीट किया, 'फ़ेसबुक के स्वामित्व वाले व्हॉट्सऐप ने चौंकाने वाला खुलासा किया है, इसने कहा है कि इज़रायली सॉफ़्टवेअर का इस्तमाल कर पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओ को जासूसी के निशाने पर रखा गया। यह तो निजता और निजी आज़ादी का उल्लंघन है।'
वरिष्ठ पत्रकार नंदगोपाल राजन ने ट्वीट कर कहा, 'यह तो डराने वाली बात है। चलिए हम पहले की तरह कॉफ़ी शॉप में लोगों से मिलना शुरू करें।'
बता दें कि पहले पत्रकार लोगों से मिलने जुलने और संपर्क स्थापित करने या नेटवर्क बनाने के लिए चाय और कॉफ़ी शॉप या रेस्तरां में मिलते थे, जो बेहद अनौपचारिक होती थी।
पूर्व राजनयिक निरुपमा सुब्रमण्यण ने ट्वीट कर कहा ऐसा लगता है सब लोगों का अंदेशा सही निकला और वॉट्सऐप ने इसकी पुष्टि भी कर दी, भारतीय पत्रकारों की जासूसी करने के लिए इज़रायली सॉफ़्टवेअर का इस्तेमाल किया गया।
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