5 में से 4 चुनावी राज्यों में जीत हासिल करने वाली बीजेपी इन दिनों इन राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नामों को फाइनल करने में जुटी हुई है। इसे लेकर इन राज्यों में मुख्यमंत्री रहे नेताओं की दिल्ली में लगातार केंद्रीय नेताओं के साथ बैठक हो रही है। मंगलवार शाम को चारों राज्यों में सरकार के गठन को अंतिम रूप देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की बैठक हुई।
बुधवार को भी केंद्रीय नेतृत्व नामों को फाइनल करने के काम में जुटा रहा। इन चारों राज्यों के लिए पार्टी ने पर्यवेक्षकों को भी नियुक्त कर दिया है और माना जा रहा है कि एक-दो दिन के अंदर इस संबंध में अंतिम एलान हो जाएगा।
खबरों के मुताबिक, बीजेपी उत्तर प्रदेश, गोवा और मणिपुर में मुख्यमंत्रियों में किसी तरह का बदलाव नहीं करेगी। उत्तर प्रदेश में जहां योगी आदित्यनाथ फिर से सूबे की कमान संभालेंगे, वहीं मणिपुर में एन. बीरेन सिंह और गोवा में प्रमोद सावंत को राज्य के मुखिया की जिम्मेदारी मिलेगी। लेकिन मामला उत्तराखंड को लेकर फंसा हुआ दिखाई दे रहा है और इसकी वजह यह है कि वहां पर पार्टी के चेहरे और पूर्व मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी चुनाव हार गए हैं।
कई नेता हैं दावेदार
इस वजह से पार्टी यह तय नहीं कर पा रही है कि किस नेता को मुख्यमंत्री बनाया जाए। बीजेपी ने उत्तराखंड के लिए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी को पर्यवेक्षक बनाया है। इसके अलावा कैलाश विजयवर्गीय समेत तमाम बड़े नेता उत्तराखंड बीजेपी के नेताओं की नब्ज टटोल रहे हैं। लेकिन राज्य में पुष्कर सिंह धामी, सतपाल महाराज, धन सिंह रावत और अनिल बलूनी के समर्थक सोशल मीडिया पर अपने-अपने नेताओं को मुख्यमंत्री बनाए जाने की मुहिम चला रहे हैं।
बलूनी और धामी
ताजा खबरों के मुताबिक, बीजेपी पुष्कर सिंह धामी और अनिल बलूनी में से किसी एक के नाम पर मुहर लगा सकती है। पुष्कर सिंह धामी को चुनाव से कुछ महीने पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री बनाया था। जबकि अनिल बलूनी बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी हैं और राज्यसभा के सांसद भी हैं। बलूनी इससे पहले भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में रहे हैं लेकिन तब बाजी उनके हाथ से निकल गई थी।
देखना होगा कि बीजेपी उत्तराखंड में किस नेता को मुख्यमंत्री बनाती है।
बीजेपी को उत्तर प्रदेश में अपने सहयोगियों के साथ बड़ी जीत मिली है हालांकि उसकी सीटें पिछली बार से कम हुई हैं। इसी तरह उत्तराखंड में भी कुछ सीटें कम हुई हैं लेकिन फिर भी उसे बहुमत से काफी ज्यादा सीटें मिली हैं। लेकिन मणिपुर और गोवा में उसकी सीटें बढ़ी हैं।