कांग्रेस ने संगठनात्मक सुधार शुरू कर दिया है। बड़े कदम के तौर पर पार्टी ने अनुभवी और परखे हुए नेताओं को फिर से जिम्मेदारियां सौंपी हैं। साथ ही कुछ युवा चेहरों को भी मौका दिया है। हाल ही में खबरें आई थीं कि पार्टी 2025 में संगठन में पूरी तरह बदलाव करेगी।
हालांकि अभी बड़े पैमाने पर बदलाव नहीं किए गए हैं। लेकिन अभी कुछ नेताओं को राज्यों की अतिरिक्त जिम्मेदारियों से मुक्त किया गया है। लेकिन उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियां बरकरार रखी गई हैं। पार्टी ने कुछ प्रभारियों के प्रदर्शन को भी देखा और खराब प्रदर्शन करने वालों को हटा दिया है।
जिस तरह से जिम्मेदारियां दी गई हैं, उन पर राज्यों में चुनाव का असर साफ बता रहा है। पार्टी ने हरीश चौधरी, रजनी पाटिल और बीके हरिप्रसाद जैसे नेताओं को वापस लिया है। जिन्हें पहले कई जिम्मेदारियां मिली थीं। बाद में कोई पद नहीं दिया गया। लेकिन अब ऐसे लोगों को महत्व दिया गया है। अभी तक दीपक बाबरिया हरियाणा इंचार्ज थे। हरियाणा में पार्टी को करारी हार मिली है।
रजनी पाटिल को हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ का प्रभारी बनाया गया है, जबकि वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश चौधरी अब मध्य प्रदेश की जिम्मेदारी संभालेंगे। कृष्णा अल्लवरु बिहार की जिम्मेदारी संभालेंगे, जो एक महत्वपूर्ण चुनावी राज्य है।
इस फेरबदल में दीपक बाबरिया, मोहन प्रकाश के अलावा भरत सिंह सोलंकी, राजीव शुक्ला, अजय कुमार और देवेंद्र यादव सहित कई वरिष्ठ नेताओं को बाहर कर दिया गया। हालांकि पार्टी ने इनके योगदान को स्वीकार किया है।
इस सूची में लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की छाप साफ देखी जा सकती है, खासकर उनके तीन करीबी सहयोगियों को प्रमुख जिम्मेदारियां दी गई हैं। ये सहयोगी संगठनात्मक मामलों में राहुल गांधी के साथ काम कर चुके हैं। इन्हें दो महासचिवों और नौ प्रभारियों की सूची में जगह मिली है।
के. राजू, जो 'बहुजन' राजनीति में राहुल गांधी के विश्वसनीय व्यक्ति माने जाते हैं, को झारखंड की जिम्मेदारी दी गई है।कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बनी मीनाक्षी नटराजन को तेलंगाना का प्रभार सौंपा गया है, जहां कांग्रेस सरकार सोशल इंजीनियरिंग के तहत बड़े बदलाव की योजना बना रही है।
पहले ही, तेलंगाना सरकार ने जाति जनगणना डेटा जारी किया है और दलितों के उप-वर्गीकरण की योजना बना रही है, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है। मोहन प्रकाश की जगह कृष्णा अल्लावरु की नियुक्ति भी नेताओं के लिए एक संदेश है कि नेतृत्व चुनाव नतीजों पर ध्यान दे रहा है। कृष्णा अल्लावरु को राहुल के काफी करीब माना जाता है।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कर्नाटक के दिग्गज कांग्रेस नेता बी.के. हरिप्रसाद को संगठन में वापस लाया गया है। बघेल को पंजाब का प्रभारी बनाया गया है और हरिप्रसाद को हरियाणा प्रभारी की जिम्मेदारी सौंपी गई है।भूपेश बघेल को प्रियंका गांधी वाड्रा के करीब माना जाता है। उन्हें चुनाव प्रबंधन के लिए जाना जाता है। हरिप्रसाद पार्टी के पुराने वफादार हैं।
इस सूची में भविष्य में नेतृत्व करने वाले नेताओं को तैयार करने का इरादा साफ झलक रहा है। सैयद नसीर हुसैन, अल्लावरु और सप्तगिरी उलाका जैसे युवा नेता हरीश चौधरी, अजय कुमार लल्लू, गिरीश चोडंकर और रजनी पाटिल जैसे वरिष्ठ नेताओं के साथ इस सूची में शामिल हैं।
कांग्रेस में नसीर हुसैन तेजी से आगे बढ़े हैं। पिछले कुछ वर्षों में वे प्रवक्ता से पार्टी के राज्यसभा सचेतक, कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में समन्वयक और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य बने हैं। नई नियुक्तियां तुरंत प्रभाव से लागू हो गई हैं।
(रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी)