लीक ऑडियो में बीजेपी नेता ने चुनाव आयोग को प्रभावित करने की चर्चा की: TMC

07:20 am Mar 28, 2021 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

पश्चिम बंगाल में पहले से ही सियासी पारा चढ़ा हुआ है और एक के बाद एक लीक हुए दो ऑडियो टेप ने तृणमूल और बीजेपी के बीच गहमागहमी और बढ़ा दी है। शनिवार को पहले चरण के मतदान के दौरान पहले बीजेपी ने कथित तौर पर तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी का ऑडियो जारी किया और फिर जवाब में तृणमूल की तरफ़ से कथित तौर पर बीजेपी नेताओं के बीच बातचीत का ऑडियो टेप जारी किया गया। दोनों ऑडियो टेप की सत्यता की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। 'सत्य हिंदी' भी इसकी पुष्टि करने की स्थिति में नहीं है। लेकिन इन ऑडियो टेप ने राजनीतिक दलों के बीच सियासी पारा तो चढ़ा ही दिया है, कई गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। 

गंभीर सवाल क्यों है, इसे इन दोनों ऑडियो टेप को लेकर लगाए जा रहे आरोपों से समझा जा सकता है। एक ऑडियो टेप से एक नेता को शर्मिंदा होने की स्थिति हो सकती है। लेकिन दूसरे से एक संवैधानिक संस्था असहज स्थिति में होती हुई जान पड़ती है। 

पहले ऑडियो टेप में बीजेपी ने ममता बनर्जी पर निशाना साधा और दावा किया कि उन्होंने शुवेंदु अधिकारी के समर्थक प्रोलोय पाल को फ़ोन किया और उन्हें तृणमूल में शामिल होने का आग्रह किया। ऑडियो में कथित तौर पर उनसे तृणमूल को सहयोग करने के लिए आग्रह किया गया। जिसे उन्होंने नकार दिया। 

इस ऑडियो टेप से ममता बनर्जी के लिए शर्मिंदा होने जैसी स्थिति इसलिए बनती बताई जा रही है क्योंकि बीजेपी नेताओं की ओर से दावा किया जा रहा है कि चुनाव में ममता बनर्जी को उनकी स्थिति ठीक नहीं लग रही है और उन्हें हार का डर है। इसको लेकर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट भी किया।

इस ऑडियो क्लिप पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू ही हुए थे कि तृणमूल कांग्रेस ने भी एक ऑडियो टेप जारी कर दिया। इसमें दावा किया गया है कि कथित तौर पर दो बीजेपी नेताओं की आवाज़ है।

तृणमूल ने आरोप लगाया है कि बीजेपी नेता मुकुल राय को कथित तौर पर पार्टी नेता शिशिर बाजोरिया से यह बातचीत करते सुना जा सकता है कि चुनाव आयोग को कैसे प्रभावित किया जाए। 

'इंडिया टुडे' की रिपोर्ट के अनुसार उस ऑडियो में कई मसलों के अलावा राजनीतिक दलों के पोलिंग एजेंट या बूथ एजेंट के बारे में भी एक आग्रह शामिल है। बता दें कि किसी राजनीतिक दल का बूथ एजेंट मतदान के दिन पोलिंग बूथ के अंदर बैठता है और सामान्य तौर पर वह उस बूथ क्षेत्र के निवासी ही होता है। 

उस ऑडियो में मुकुल राय कथित तौर पर कहते हैं कि चुनाव आयोग से अनुरोध किया जाना चाहिए कि प्रशासनिक आदेश पारित करके बंगाल के किसी भी मतदाता को राज्य के किसी भी बूथ पर बूथ एजेंट होने की अनुमति दी जाए। रॉय को कथित तौर पर उन्हें यह कहते सुना जा सकता है कि 'यदि हम ऐसा नहीं करते हैं, तो बीजेपी कई बूथों पर एजेंटों को मैदान में नहीं उतार पाएगी'। 

बता दें कि पिछले हफ्ते ही चुनाव आयोग ने एक आदेश पारित किया है जिससे बंगाल के मतदाताओं को राज्य में कहीं भी बूथ एजेंट बनने की अनुमति मिली है। इस आदेश के बाद से ही तृणमूल यह मांग कर रही है कि इस आदेश को वापस लिया जाए।

तृणमूल के इन आरोपों के बाद चुनाव आयोग पर फिर से एक बार सवाल खड़े हो सकते हैं। हाल में चुनाव आयोग पर पक्षपात करने के आरोप लगते रहे हैं। पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में चुनाव की घोषणा हुई थी तब भी तृणमूल ने इस पर सवाल उठाए थे। ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि इतने लंबे समय तक और इतने चरणों में चुनाव कराने का फ़ैसला इसलिए लिया गया ताकि एक खास दल को फायदा मिले। 

अब तृणमूल द्वारा इस ऑडियो क्लिप के जारी करने से और इस पर आरोप लगाने से चुनाव आयोग पर तो सवाल उठेंगे ही।