भारतीय जनता पार्टी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तृणमूल कांग्रेस की सांसद नुसरत जहाँ पर संसद में झूठ बोलने का आरोप लगाया है।
उन्होंने एक ट्वीट कर कहा है कि 'नुसरत जहाँ ने किससे शादी की, यह उनका निजी मामला है और किसी को इससे कोई मतलब नहीं होना चाहिए। पर वे निर्वाचित प्रतिनिधि हैं और उन्होंने संसद में कहा है कि उन्होंने निखिल जैन से विवाह किया है। क्या उन्होंने संसद के पटल पर छूट बोला था?'
यह विवाद इसलिए उठ खड़ा हुआ है कि ख़ुद नुसरत जहाँ ने कहा है कि उनका विवाह दो धर्मों के लोगों के बीच हुआ विवाह था, विशेष विवाह अधिनियम के तहत इस पर मुहर लगनी चाहिए थी, ऐसा नहीं किया गया। नियम के अनुसार, यह विवाह नहीं है, यह 'रिलेशनशिप' या 'लिव इन रिलेशनशिप' है।
नुसरत जहाँ ने की दलील दी है कि, 'चूंकि विवाह क़ानूनी, वैध और टिकाऊ नहीं था, इसलिए तलाक़ का कोई सवाल ही नहीं है। हमारा अलगाव बहुत पहले हो गया था, लेकिन मैंने इसके बारे में बात नहीं की, क्योंकि मैं अपनी निजी ज़िंदगी को अपने तक ही सीमित रखना चाहती थी।'
क्या है मामला?
नुसरत जहाँ ने कोलकाता के व्यापारी निखिल जैन से जून, 2019 में तुर्की में शादी की थी। उन्होंने उसी साल बशीरहाट लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक पारी भी शुरू की थी। नुसरत की शादी को कोलकाता की एक हाई प्रोफाइल शादी माना गया था और उनके रिसेप्शन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हुई थीं।
नुसरत जहाँ के रिसेप्शन में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
विवादों में नुसरत
बशीरहाट की यह सांसद कई बार विवादों में रह चुकी हैं। एक बार उन्होंने मॉडलिंग करते हुए देवी दुर्गा का वेश धारण किया था तो विवादों में आई थीं, दुर्गापूजा के मौके पर पंडाल में धुनुची नृत्य करने के लिए कोप भाजन बनी थीं और विवाह के बाद तो उन पर कई तरह की छींटाकशी की गई थी।
मुसलिम कट्टरपंथी समूहों के लोगों ने उनके विवाह पर सवाल उठाया था, दुर्गापूजा में शामिल होने पर तंज किया था और इसलाम धर्म छोड़ने तक की सलाह दी थी। नुसरत ने काफी बेबाकी से उन सबका जवाब दिया था।
मॉडलिंग के लिए देवी दुर्गा का रूप धरने पर नुसरत की आलोचना हुई थी।
क्या है विशेष विवाह अधिनियम?
विशेष विवाह अधिनियम, 1954 संसद से पारित वह क़ानून है, जो भारत के लोगों और विदेशों में सभी भारतीय नागरिकों को दूसरा धर्म मानने वालों से विवाह करने पर सामाजिक व न्यायिक सुरक्षा व मान्यता देता है।
दुर्गा पूजा मे शामिल होने पर कट्टरपंथियों के निशाने पर आई थीं नुसरत।
विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5 के तहत विवाह से कम से कम 30 दिन पहले ज़िला मजिस्ट्रेट को विवाह के लिए एक अर्जी देनी होगी। यह अर्जी एक तय फॉर्मेट पर होगी।
इस क़ानून की धारा 6 के तहत विवाह के नोटिस की कॉपी मैरिज नोटिस बुक में लगानी होगी।
मैरिज ऑफ़िसर को नोटिस देने के 30 दिन बाद ही विवाह किया जा सकता है। इस नोटिस को सार्वजनिक करना होगा ताकि किसी को इस पर आपत्ति हो तो वह 30 दिनों के अंदर उसे दर्ज करा सकता है।
नुसरत जहाँ के कहने का मतलब यही है कि चूंकि यह अलग-अलग धर्मों के लोगों के बीच का विवाह था, इसलिए इसका विधिवत रजिस्ट्रेशन होना चाहिए था, जो नहीं हुआ, लिहाज़ा यह विवाह था ही नहीं। इसलिए तलाक की ज़रूरत नहीं है।
दूसरी ओर, नुसरत जिस व्यक्ति के साथ रह रही थी, उन्होंने कोलकाता की एक अदालत में विवाह रद्द करने का आवेदन दिया है।