पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव का पद छोड़ना चाहते हैं। ‘द टेलीग्राफ’ के मुताबिक पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी उन्हें मनाने के मूड में बिलकुल नहीं हैं। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि अभिषेक बनर्जी के पार्टी में पद छोड़ने की इच्छा को ममता बनर्जी ब्लैकमेल करने की कोशिश मानती हैं।
ममता बनर्जी ऐसा मानती हैं कि किसी के राजनीतिक करियर या महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना उनकी जिम्मेदारी नहीं है।
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, अभिषेक बनर्जी टीएमसी में ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति को लागू करना चाहते हैं। टीएमसी में कई नेता 2 पदों पर हैं और इसे लेकर अभिषेक बनर्जी ने विरोध जताया है। इस मामले में ममता बनर्जी ने शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक बुलाई है।
बैठक में अभिषेक बनर्जी, पार्थ चटर्जी, सुब्रत बख्शी, फिरहाद हाकिम, अरूप विश्वास सहित कई और बड़े नेता शामिल होंगे। ‘द टेलीग्राफ’ ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि दीदी यानी ममता बनर्जी अभिषेक से नाराज हैं और साथ ही वह चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक से भी नाखुश हैं।
कहा जा रहा है कि ममता बनर्जी संगठन में कुछ बड़े बदलाव करना चाहती हैं।
‘अब बहुत हो गया’
ममता बनर्जी और अभिषेक के बीच मतभेद की खबरें पिछले साल दिवाली में काली पूजा के मौके पर ही सामने आई थी। शुरुआत में ममता ने इस तरह की बातों को नजरअंदाज किया लेकिन हाल ही में उन्होंने अपने विश्वस्त साथियों से कहा है कि अब बहुत हो गया।
‘एक व्यक्ति एक पद’ लागू हो
अभिषेक बनर्जी और उनके समर्थक पार्टी में ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति का जोरदार समर्थन कर रहे हैं। उदाहरण के लिए फिरहाद हाकिम कोलकाता नगर निगम के मेयर हैं और राज्य सरकार में मंत्री भी हैं। हाकिम का कहना है कि पार्टी ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति का समर्थन नहीं करती और अगर ममता बनर्जी ऐसा चाहतीं तो वह इस नीति को ला सकती थीं। उनका कहना है कि पार्टी में इस नीति को किसी तरह का समर्थन हासिल नहीं है।
चुनावी रणनीतिकार और पश्चिम बंगाल के चुनाव में ममता बनर्जी के लिए चुनावी ताना-बाना बुनने वाले प्रशांत किशोर ममता बनर्जी और अभिषेक के बीच में फंस गए हैं। शुक्रवार को टीएमसी की नेता चंद्रिमा भट्टाचार्य ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर की टीम ने उनके सोशल मीडिया अकाउंट का गलत इस्तेमाल किया है।
भट्टाचार्य ने कहा है कि किशोर की टीम ने चुनाव से पहले उनका ट्विटर अकाउंट बनाया था और शुक्रवार को उनकी मर्जी के बिना इस पर ‘एक व्यक्ति एक पद’ के बारे में पोस्ट कर दिया। उन्होंने कहा है कि वह इसका विरोध करती हैं लेकिन प्रशांत किशोर की टीम ने इसका जवाब दिया और कहा कि वह टीएमसी के किसी भी पदाधिकारी या पार्टी के ट्विटर हैंडल को नहीं संभालती और कोई इस तरह का दावा कर रहा है तो वह पूरी तरह झूठ बोल रहा है।
प्रशांत किशोर से भी नाराज
एक व्यक्ति एक पद की नीति के मामले में ममता बनर्जी ने पिछले साल इस बात को साफ किया था कि इसे चरणबद्ध तरीके से ही लागू किया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी अभिषेक और प्रशांत किशोर की कई बातों से नाराज हैं। ‘द टेलीग्राफ’ के मुताबिक टीएमसी के एक राज्य सभा सांसद ने कहा कि बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी की जीत का क्रेडिट लेने की जिस तरह कोशिश प्रशांत किशोर ने की है उससे टीएमसी का नेतृत्व उनसे खुश नहीं है।
गोवा चुनाव पर नहीं ली मंजूरी
इसके अलावा गोवा में विधानसभा चुनाव लड़ने की योजना भी अभिषेक बनर्जी की थी और ऐसा उन्होंने प्रशांत किशोर के आग्रह पर ही किया था लेकिन इसके लिए ममता बनर्जी की स्वीकृति नहीं ली गई थी और इस वजह से दीदी चुनाव प्रचार से दूर रहीं। टीएमसी के सूत्र ने अखबार से कहा कि ममता बनर्जी का मानना है कि अभिषेक बनर्जी गोवा में बेवजह संसाधनों को बर्बाद कर रहे हैं।
इसके अलावा बंगाल में नगर निगम के चुनाव के दौरान भी उम्मीदवारों के चयन को लेकर कुछ खटपट ममता बनर्जी और प्रशांत किशोर व अभिषेक के बीच हुई है।
यह भी कहा गया है कि ममता बनर्जी को ऐसा लगता है कि प्रशांत किशोर की कंपनी आईपैक टीएमसी के बजाय अभिषेक बनर्जी को प्रमोट कर रही है। ममता बनर्जी चाहती हैं कि उनकी कंपनी सिर्फ टीएमसी के लिए काम करे।
ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री होने के साथ ही टीएमसी की प्रमुख भी हैं। ममता बनर्जी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक एंटी बीजेपी फ्रंट बनाना चाहती हैं और उसकी कयादत करना चाहती हैं। लेकिन अगर उनके और अभिषेक बनर्जी के बीच में दूरियां बढ़ती हैं तो निश्चित तौर पर यह ममता बनर्जी के रास्ते में एक रुकावट की तरह होगा।
टीएमसी में यह बात साफ है कि वहां ममता बनर्जी ही सर्वेसर्वा हैं और उनकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी पार्टी में नहीं हिल सकता। ऐसे में अभिषेक बनर्जी का ममता की रजामंदी के बिना टीएमसी में ‘एक व्यक्ति एक पद’ की नीति को लागू करा पाना आसान नहीं होगा।
देखना होगा कि क्या बंगाल चुनाव में बीजेपी को धूल चटाने वाली ममता बनर्जी अपने भतीजे की मांग और दबाव के आगे झुकेंगी या फिर अभिषेक को ही क़दम पीछे खींचने होंगे?