कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ केंद्र सरकार को लाल आंखें दिखा रहे किसान नेताओं ने चुनावी राज्यों की ओर कूच करना शुरू कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य और किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल ने गुरूवार को कहा है कि मोदी सरकार राजहठ में फंसी है, इसलिए मोर्चा ने फ़ैसला लिया है कि हम चुनावी राज्यों में टीमें भेजेंगे और अपील करेंगे कि जिसे मर्जी वोट दो लेकिन बीजेपी को वोट मत दो।
राजेवाल ने कहा कि बंगाल के अलावा भी दूसरे चुनावी राज्यों में किसानों की टीमें जाएंगी। राजेवाल ने कहा कि वह भी कोलकाता जा रहे हैं। किसान इससे पहले भी बीजेपी को वोट न देने की अपील कर चुके हैं। किसानों का कहना है कि सरकार को वोट की चोट से ही कुछ असर पड़ सकता है वरना वह किसानों की बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं दिखाई देती।
पांच राज्यों में सबसे जोरदार मुक़ाबला पश्चिम बंगाल में ही है क्योंकि यहां ममता बनर्जी को हराने के लिए बीजेपी ने पूरी सियासी फ़ौज़ को मैदान में उतारा हुआ है लेकिन दीदी ने भी इस फ़ौज़ के टॉप कमांडर्स के दांत खट्टे कर रखे हैं।
किसान मोर्चा ने कहा है कि वह सभी चुनावी राज्यों में किसान महापंचायतें करेगा और लोगों को बताएगा कि बीजेपी सरकार कॉरपोरेट्स की हितैषी है। बंगाल में यह महापंचायतें कोलकाता, नंदीग्राम, सिंगूर और आसनसोल में होंगी।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से राकेश टिकैत, युद्धवीर सिंह, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, दर्शन पाल, मंजीत सिंह, हिमांशु तिवारी , अविक साहा और योगेंद्र यादव इन किसान महापंचायतों में जाएंगे। योगेंद्र यादव 12 और राकेश टिकैत 13 मार्च को बंगाल पहुंचेंगे।
किसान आंदोलन पर देखिए चर्चा-
किसान नेता युद्धवीर सिंह ने टीओआई से कहा कि बंगाल में किसान कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मोर्चा के नेता किसानों को बीजेपी के प्रो-कॉरपोरेट एजेंडे के बारे में बताएंगे और अपील करेंगे कि वे बीजेपी के अलावा किसी और पार्टी के उम्मीदवार को वोट दें। उन्होंने कहा कि सरकार को इन तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द करना ही होगा और एमएसपी पर गारंटी का क़ानून भी बनाना होगा।
दिल्ली के बॉर्डर्स पर चल रहे किसानों के आंदोलन को 105 दिन हो चुके हैं लेकिन केंद्र सरकार और किसानों के बीच गतिरोध बना हुआ है। लगभग दो महीने से किसानों और सरकार के बीच बातचीत तक नहीं हुई है और ऐसे में मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है।
भारत बंद का आह्वान
आंदोलन को धार देते हुए संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से कहा गया है कि चूंकि 26 नवंबर को इस आंदोलन को 100 दिन पूरे हो रहे हैं, इसलिए सरकार को चेताने के लिए भारत बंद का आह्वान किया गया है। इससे पहले किसान और मज़दूर संगठन 15 मार्च को सार्वजनिक उपक्रमों को बेचे जाने और पेट्रोल डीजल की क़ीमतों के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करेंगे।
किसान नेता बूटा सिंह बुर्जगिल ने कहा कि निजीकरण के ख़िलाफ़ देश के सभी रेलवे स्टेशनों पर प्रदर्शन किया जाएगा और 19 मार्च को किसान मंडी बचाओ-खेती बचाओ दिवस मनाएंगे।