पश्चिम बंगाल की हुक़ूमत में आने के लिए बेताब बीजेपी से लड़ने के लिए ममता बनर्जी को शायद विपक्षी नेताओं के साथ की सख़्त ज़रूरत है। बीजेपी ने जिस तरह बंगाल के चुनाव को अपनी साख का सवाल बना लिया है, उसमें ममता बनर्जी को बीजेपी के अलावा उस संघ परिवार से भी मुक़ाबला करना है, जिसके पास कई संगठन और लाखों कार्यकर्ता हैं। ऐसे में ममता बनर्जी विपक्ष के नेताओं को साथ लेकर बंगाल में बड़ी रैली करने की तैयारी कर रही हैं।
हाल ही में जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर बंगाल में हमला हुआ तो केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बंगाल के कुछ आईपीएस अफ़सरों को दिल्ली में तैनात करने का एलान कर दिया। लेकिन ममता सरकार ने इसका विरोध किया। ममता को इस दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, एनसीपी प्रमुख शरद पवार का साथ मिला।
कोलकाता में होगी रैली
अब इस बात की चर्चा है कि ममता बनर्जी अगले महीने कोलकाता में विपक्षी नेताओं की एक रैली का आयोजन करने जा रही हैं और इसमें वह केजरीवाल, शरद पवार, डीएमके प्रमुख स्टालिन को बुला रही हैं। बनर्जी ने रविवार को पवार को फ़ोन किया और उनसे इस रैली में आने का आग्रह किया। इस दौरान केंद्र की ओर से राज्य सरकार के काम में दिए जा रहे कथित दख़ल और कृषि क़ानूनों के विरोध में एकजुट होने को लेकर भी बात हुई है। बताया जाता है कि पवार ने इसके लिए अपनी रजामंदी दे दी है।
यह भी कहा जा रहा है कि रैली से पहले ममता बनर्जी दिल्ली आ सकती हैं और कृषि क़ानूनों को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाक़ात कर सकती हैं।
पश्चिम बंगाल के चुनाव पर देखिए चर्चा-
यह रैली कुछ उसी तरह की हो सकती है, जिस तरह पिछले साल ममता बनर्जी ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कोलकाता में बुलाई थी। इस रैली में कांग्रेस, एनसीपी, नेशनल कॉन्फ्रेन्स, टीडीपी, आम आदमी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दलों के नेता शामिल हुए थे। हालांकि तब एनडीए के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर गठबंधन नहीं बन पाया था।
बंगाल के सियासी रण में बीजेपी के तमाम आला नेताओं से अकेले ही दो-दो हाथ कर रहीं ममता बनर्जी जानती हैं कि बीजेपी जिस आक्रामक ढंग से बंगाल का चुनाव लड़ने जा रही है, ऐसे में विपक्षी दलों के नेताओं की सियासी मदद लेनी ही होगी।
ममता ने जताया आभार
ममता ने आईपीएस अफ़सरों के मुद्दे पर केंद्र के साथ संघर्ष में विपक्षी नेताओं के द्वारा मिले सहयोग को लेकर रविवार को उनका आभार भी जताया। ममता ने ट्वीट कर कहा, ‘केंद्र सरकार पुलिस अफ़सरों का तबादला कर राज्य सरकार के कामों में दख़ल दे रही है। मैं बंगाल के लोगों के साथ खड़े होने के लिए भूपेश बघेल, अरविंद केजरीवाल, कैप्टन अमरिंदर सिंह, अशोक गहलोत, एमके स्टालिन का शुक्रिया अदा करती हूं।’
एंटी बीजेपी फ्रंट की क़वायद
ममता की ओर से जनवरी में रैली का आयोजन किए जाने की ख़बरों के बीच ही देश में एंटी बीजेपी फ्रंट बनाने का काम भी रफ़्तार पकड़ता दिख रहा है। किसान आंदोलन के कारण गर्म हो चुके मुल्क़ के सियासी माहौल में कई राज्यों में सरकार चला रहे या चला चुके क्षेत्रीय दलों को साथ लेकर बीजेपी के ख़िलाफ़ एक नेशनल फ्रंट या बड़ा मोर्चा बनाने पर विचार चल रहा है।
इस फ्रंट में ममता बनर्जी, शरद पवार, केसीआर राव, उद्धव ठाकरे से लेकर नवीन पटनायक, अखिलेश यादव, सुखबीर सिंह बादल और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को तक शामिल करने की बात कही जा रही है। इसके अलावा इसमें फ़ारूक़ अब्दुल्ला, जगनमोहन रेड्डी सहित कुछ और नेताओं को भी शामिल किया जा सकता है।
इन क्षेत्रीय दलों के साथ आने की ज़रूरत इसलिए महसूस की जा रही है क्योंकि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका को निभाने की स्थिति में नहीं दिखती। ऐसे में इन दलों के प्रमुखों का मानना है कि बीजेपी के कथित तानाशाही रवैये से लड़ने, विपक्षी नेताओं के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों के इस्तेमाल और केंद्र सरकार के विवादित फ़ैसलों के ख़िलाफ़ बुलंद आवाज़ देश में उठे, इसके लिए मज़बूत गठबंधन बनाए जाने की ज़रूरत है।