वेब सीरीज़- क्रिमिनल जस्टिस: बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स
डायरेक्टर- रोहन सिप्पी, अर्जुन मुखर्जी
स्टार कास्ट- पंकज त्रिपाठी, अनुप्रिया गोयनका, कीर्ति कुल्हारी, जीशू सेनगुप्ता, दीप्ती नवल, मीता वशिष्ठ, आशीष विद्यार्थी, शिल्पा शुक्ला
स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म- डिज्नी प्लस हॉस्टार
रेटिंग- 3.5/5
ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म हॉटस्टार ने दर्शकों की नब्ज़ काफ़ी पहले ही पकड़ ली थी और उसी हिसाब से एक्शन, सस्पेंस और थ्रिलर सीरीज़ इसपर लगातार रिलीज़ हो रही है। साल 2018 में वेब सीरीज़ क्रिमिनल जस्टिस का पहला सीज़न रिलीज़ हुआ था और अब इसका दूसरा सीज़न 'क्रिमिनल जस्टिस: बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स' आ चुका है। वेब सीरीज़ के निर्देशन की ज़िम्मेदारी इस बार रोहन सिप्पी और अर्जुन मुखर्जी ने उठाई है और लीड रोल में पंकज त्रिपाठी, कीर्ति कुल्हारी, अनुप्रिया गोयनका, दीप्ती नवल, मीता वशिष्ठ के अलावा और भी स्टार्स हैं। सीरीज़ के दूसरे सीज़न में एक महिला की कहानी है, जिसने अपने पति की हत्या कर दी है। इस मर्डर मिस्ट्री की कहानी के साथ ही सीरीज़ पति-पत्नी के रिश्ते को लेकर एक संदेश देती है, जिसपर लोग आज भी बात करना पसंद नहीं करते हैं।
क्या है ख़ास?
मुंबई के वकील विक्रम चंद्रा (जीशू सेनगुप्ता) के पास फेम, पैसे के साथ ही एक अच्छी फैमिली भी है। उनके परिवार में पत्नी अनु चंद्रा (कीर्ति कुल्हारी) और एक बेटी रिया है। इस परिवार में सबकुछ अच्छा चल रहा था, अनु ने बिक्रम से लव मैरिज की थी लेकिन एक दिन वो अपने पति की चाकू मारकर हत्या कर देती है। इसके बाद अनु एकदम चुप हो जाती है और अपने बचाव में कुछ भी नहीं कहती। सभी इस केस को ओपन एंड शट केस मानते हैं, लेकिन अनु का केस लेने वाले वकील माधव मिश्रा (पंकड त्रिपाठी) और निखत हुसैन को उसकी यह चुप्पी अखरती है। माधव मिश्रा अनु से सच्चाई निकलवाने की कोशिश करते हैं और फिर हत्या की वजह जो सामने आती है, उसे सुनकर सभी हैरान रह जाते हैं। तो आख़िर में हत्या की वजह क्या पता चलेगी? अनु ने अपने पति विक्रम को क्यों मारा? क्या इस जुर्म के लिए उसे सज़ा नहीं होगी? यह सब जानने के लिए आपको हॉटस्टार की वेब सीरीज़ 'क्रिमिनल जस्टिस: बिहाइंड क्लोज्ड डोर्स' देखनी पड़ेगी। सीरीज़ के कुल 8 एपिसोड हैं और ये लगभग 43 मिनट के हैं।
वेब सीरीज़ 'क्रिमिनल जस्टिस' का दूसरा सीज़न मर्डर मिस्ट्री के साथ ही पति-पत्नी के रिश्ते को भी उधेड़ता है। पति द्वारा पत्नी को दबाने की कोशिश और उनके साथ बिना उनकी मर्ज़ी के संबंध बनाने को महिलाएँ आज भी सहती हैं।
सीरीज़ में एक जगह पर वकील कहता है, 'अच्छा है हमारे क़ानून में मैरिटल रेप कोई जुर्म नहीं है।' मैरिटल रेप एक ऐसा मुद्दा है, जिसपर आज भी लोग फुसफुसाकर बात करते हैं। सीरीज़ में इस मुद्दे को उठाया गया है। साथ ही महिला की पुरुष के साथ बराबरी करने के संघर्ष को भी दिखाया गया है। भले ही आज हम कहते हैं कि अब महिलाएँ पुरुषों से कंधा मिलाकर चल रही हैं, लेकिन कहीं न कहीं इसके लिए भी उन्हें लड़ना पड़ रहा है। इसके साथ ही सीरीज़ में पति की हत्या करने वाली महिला को मीडिया और लोग फौरन आरोपी घोषित कर देते हैं, जिसपर पंकज त्रिपाठी का एक डायलॉग है 'जब तक जुर्म साबित नहीं हो जाता तब तक वो निर्दोष है।' इसलिए मीडिया या लोग कुछ भी कहे, उसे मानना नहीं है।
निर्देशन
निर्देशक रोहन सिप्पी और अर्जुन मुखर्जी ने लेखक अपूर्व असरानी की कहानी को पर्दे पर बेहतरीन तरीक़े से पेश किया है और अनु के किरदार को केंद्र में अंत तक बनाये रखा। किसी भी वेब सीरीज़ की कहानी को अंत तक बांधे रखना निर्देशक के लिए सबसे बड़ी चुनौती होती है और इसमें दोनों निर्देशकों ने इस पर ख़ूब मेहनत की है। इसके अलावा सीरीज़ के डायलॉग्स कमाल के हैं, एक संवाद है- 'ब्रेकिंग न्यूज़ के चक्कर में समाज को ब्रेक कर देंगे ये लोग।' ऐसे कई और भी संवाद हैं जो दृश्य के साथ परफ़ेक्ट बैठते हैं।
एक्टिंग
पंकज त्रिपाठी के बारे में मैंने पहले भी कहा है कि वह एक ऐसे अभिनेता हैं जिन्हें कोई भी रोल दे दिया जाए वो उसे चोले की तरह पहन लेते हैं। सीरीज़ के पहले सीज़न में भी हमने माधव मिश्रा के किरदार में पंकज त्रिपाठी को देखा था और इस सीज़न में भी उनकी कमाल की एक्टिंग देखने को मिली। कीर्ति कुल्हारी ने ऐसी महिला का किरदार निभाया है, जो पति की हत्या के बाद एकदम शांत हो गई है। उनकी आँखों के आँसू, चुप्पी, उदास चेहरा और ख़ुद में खोये रहना, ये सभी भाव उन्होंने शानदार तरीक़े से पेश किये हैं। अनु का किरदार केंद्र में है और उसे उन्होंने अच्छे से निभाया है। अनुप्रिया गोयनका ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है। जीशू सेनगुप्ता का छोटा-सा किरदार है लेकिन अच्छा है। इसके अलावा दीप्ती नवल, मीता वशिष्ठ, आशीष विद्यार्थी, शिल्पा शुक्ला और अन्य स्टार्स ने अच्छी एक्टिंग की है।
वेब सीरीज़ 'क्रिमिनल जस्टिस' के दूसरे सीज़न की कहानी पहले सीज़न से एकदम अलग है। इसमें महिलाओं के गंभीर मुद्दे को उठाते हुए उसपर भी रोशनी डाली गई है, जिसे लेकर आज भी लोग बात करने से कतराते हैं। साथ ही मर्डर-मिस्ट्री शैली की इस सीरीज़ में आपको एक्टिंग और संवाद ख़ूब पसंद आयेंगे। वेब सीरीज़ की कमज़ोर कड़ी की बात करें तो इसमें आख़िर तक सस्पेंस नहीं बंध पाया है। कहानी का क्लाइमैक्स क्या होने वाला है, इसका अंदाज़ा लग जाता है। बीच में सीरीज़ थोड़ी सी स्लो भी लगने लगती है लेकिन उसे नज़रअंदाज़ किया जा सकता है। अगर आप मर्डर-मिस्ट्री थ्रिलर कहानियों के शौकीन हैं, तो सीरीज़ 'क्रिमिनल जस्टिस' आपके लिए अच्छा पैकेज है।