उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह चार धाम यात्रा से जुड़े दिशा निर्देश जारी करे, कोरोना से निपटने की तैयारी के बारे में बताए और कोरोना-अस्पतालों व ऑक्सीजन लगे बिस्तरों की तादाद बढ़ाए। अदालत ने रवैया सख़्त करते हुए कहा है कि चार धाम यात्रा को एक और कुंभ नहीं बनने दिया जाएगा। हाई कोर्ट की यह सख़्ती ऐसे समय आई है जब सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर खामोश है।
मुख्य न्यायाधीश आर. एस चौहान और जस्टिस आलोक वर्मा के खंडपीठ ने कोरोना महामारी से जुड़ी एक जनहति याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि इस तीर्थ यात्रा को एक और कुंभ नहीं बनने दिया जाएगा।
क्या कहा सरकार ने?
उत्तराखंड सरकार ने इसके जवाब में कहा है कि वह जल्द ही एसओपी यानी स्टैडंर्ड ऑपरेशन प्रोसीज़र यानी मानक दिशा निर्देश जारी कर देगी।
मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि जल्द ही इस मुद्दे पर एक बैठक होगी और उसमें एसओपी तय किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस बैठक में कर्फ्यू, लॉकडाउन, कॉलेजों के कामकाज और महामारी से निपटने के दूसरे उपायों पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि चार धाम यात्रा में दूसरे राज्यों से आने वाले तीर्थ यात्रियों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट पेश करनी होगी।
सरकार को फटकार
अदालत ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि 12 मई को होने वाली अगली सुनवाई में वह उसे कोरोना टीका और रेमडिसिविर इंजेक्शन के बारे में पूरी जानकारी दे। उत्तराखंड में रेमडिसिविर पिछले कई हफ्तों से नहीं मिल रहा है।
हाई कोर्ट ने यह भी कहा है कि राज्य में सिर्फ चार कोरोना अस्पताल हैं जो इस महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसे बढ़ाया जाए।
अदालत ने इसके साथ ही ऑक्सीज सिलिंडर युक्त बिस्तरों और पीपीई की संख्या बढ़ाने का आदेश भी राज्य सरकार को दिया है।
अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि जो अस्पताल ग़रीबों के लिए 25 प्रतिशत बिस्तर आरक्षित नहीं रखते, उनके ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई की गई है।
अदालत ने स्वास्थ्य व वित्त सचिव अमित नेगी से कहा है कि वह इन तमाम बातों पर विस्तृत रिपोर्ट 12 मई को सौंप दे।
कुंभ से सबक
बता दें उत्तराखंड में हुए महाकुंभ स्नान के पहले ही दिन सरकारी आँकड़ों के अनुसार 30 लाख से ज़्यादा लोगों ने स्नान किया जबकि पूरे देश में कोरोना महामारी तेजी से फैल रहा है।
इसमें 30 साधुओं के कोरोना पॉजिटिव होने की ख़बर आई, एक साधु की मौत हो गई है।
मेला प्रशासन के मुताबिक़, 332 लोग कोरोना संक्रमित मिले। निरंजनी अखाड़े के सचिव रविंद्र पुरी ने कहा है कि हालात बिगड़ रहे हैं और ऐसे वक़्त में हमने कुंभ मेले से बाहर जाने का फ़ैसला लिया है।
10 से 15 अप्रैल के बीच कुंभ मेले में कोरोना के 2,167 पॉजिटिव मामले सामने आए। इनमें अखाड़ों के साधुओं से लेकर मेले में आए आम लोग शामिल हैं। मेले में 12 से 14 अप्रैल तक शाही स्नान चला और इसमें लाखों लोगों की भीड़ जुटी थी।
बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद जूना अखाड़ा ने मेला समाप्ति और सभी आहूत देवताओं के विसर्जन का एलान कर दिया।