उत्तर प्रदेश में 'लव जिहाद' यानी ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण क़ानून के दो अलग-अलग चेहरे दिखने लगे हैं। इस क़ानून के बाद 12 घंटे के अंतराल में दो केस दर्ज कराए गए। एक केस में लड़के को जेल भेजा और लड़की को अलग कर राजकीय संरक्षण गृह में रखा गया। जबकि दूसरे केस में लड़के की गिरफ़्तारी नहीं हुई और लड़की को भी पुलिस ने लड़के के पास भेज दिया। दोनों मामलों में जो सबसे बड़ा अंतर है वह यह है कि पहले मामले में लड़की हिंदू और लड़का मुसलिम जबकि दूसरे मामले में लड़की मुसलिम और लड़का हिंदू हैं।
योगी सरकार द्वारा जिस तरह से 'लव जिहाद' का हो हल्ला मचाया जाता रहा है और जिस तरह से चुनिंदा कार्रवाई किए जाने की आशंका जताई जाती रही है अब ऐसा होता दिखने भी लगा है। जब से 28 नवंबर को ग़ैरक़ानूनी धर्मांतरण अध्यादेश आया है तब से इस पर सवाल उठता रहा है।
इसकी यह कहकर आलोचना की जा रही है कि लव जिहाद के नाम पर एक ख़ास समुदाय को प्रताड़ित किया जाएगा। यह डर इसलिए बना हुआ है कि इस क़ानून के तहत अपराधों के लिए अधिकतम 10 साल तक सज़ा मिल सकती है। अध्यादेश कहता है कि कोई भी व्यक्ति ग़लत बयानी, ज़बरदस्ती, खरीद फरोख्त, धोखेबाजी कर या शादी के ज़रिए दूसरे को धर्मांतरित करने का प्रयास नहीं करेगा। यदि कोई व्यक्ति उस धर्म में वापस धर्मान्तरित होता है जिसमें वह हाल तक था तो उसे धर्मांतरण नहीं माना जाएगा। कोई भी पीड़ित व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है, और सबूत पेश करने की ज़िम्मेदारी अभियुक्त या उस व्यक्ति की रहेगी जिसने धर्मांतरण किया है।
इस क़ानून के आने के बाद से अब तक पाँच ऐसे केस दर्ज किए गए हैं। इसमें से दो केस बरेली और मुरादाबाद से जुड़े हैं। शनिवार को शाहिद मियाँ ने एफ़आईआर दर्ज कराई कि उनकी 22 वर्षीय अलीशा को तीन लोगों ने अगवा कर लिया है। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी बेटी का धर्मांतरण करने के बाद हिंदू लड़के ने शादी कर ली है। उन्होंने सिद्धार्थ सक्सेना उर्फ अमन, उसकी बहन चंचल और एक फ़र्म के मालिक मनोज कुमार सक्सेना पर केस दर्ज कराया है। अलीशा चंचल के साथ उस फ़र्म में काम करती थी।
शाहिद मियाँ ने दावा किया कि अमन उनकी बेटी पर शादी के लिए दबाव बनाता था, जिसके चलते उसने काम पर जाना बंद कर दिया था।
थानाधिकारी अवनीश कुमार ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया कि मामला दर्ज होने के बाद, अलीशा ने थाने पर आकर कहा कि वह एक वयस्क थी और अपहरण के आरोप से इनकार किया और पुष्टि की कि वह अमन के साथ ख़ुद चली गई थी।
उन्होंने कहा, 'लड़की ने हमें बताया कि उसने 29 सितंबर को आर्य समाज मंदिर में अमन से शादी की थी और उन्होंने यह जानकारी अपने परिवार से छिपाई थी। लड़की के पास शादी के दस्तावेज़ थे।'
पुलिस ने इस मामले को नये क़ानून के तहत केस दर्ज नहीं किया है क्योंकि उसका कहना है कि लड़की के पिता ने इसका ज़िक्र नहीं किया है कि उनकी बेटी का धर्मांतरण किया गया था। जबकि लड़की के पिता का आरोप है कि उन्होंने 'नये क़ानून के तहत केस दर्ज करने को कहा था, लेकिन उसने उनकी नहीं सुनी।'
पुलिस का यह भी कहना है कि उसने नये क़ानून के तहत इसलिए केस दर्ज नहीं किया क्योंकि दोनों के बीच शादी सितंबर में हुई थी और तब धर्मांतरण विरोधी क़ानून नहीं था।
लेकिन पुलिस का ऐसा रवैया दूसरे मामले में नहीं था। पुलिस ने रविवार को मुरादाबाद में 22 वर्षीय मुसलिम युवक राशिद अली को कांठ क्षेत्र में गिरफ़्तार किया। तब वह पिंकी (22) के साथ अपनी शादी का पंजीकरण करवाने जा रहा था। उनके साथ गए राशिद के भाई सलीम अली को भी गिरफ्तार कर लिया गया। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, पिंकी के परिवार ने शिकायत की कि राशिद द्वारा शादी के माध्यम से उसका 'जबरन धर्मांतरण' कराया जा रहा था। हालाँकि, पत्रकारों से बातचीत में पिंकी ने कहा,
'मैंने राशिद के साथ 24 जुलाई को शादी कर ली है। मैं तब से मुरादाबाद के कांठ में रह रही हूँ। मैं एक वयस्क हूँ और मैंने मेरी इच्छा के अनुसार राशिद से शादी की।'
कांठ के सर्कल ऑफ़िसर बलराम ने कहा, 'महिला की माँ ने आरोप लगाया है कि राशिद ने उसकी बेटी पिंकी को उसके साथ शादी करने के लिए धोखाधड़ी पूर्वक लालच दिया और उसे धर्मांतरित करवा रहा था।' पुलिस ने यह भी कहा कि उसकी माँ ने राशिद पर अपनी पहचान छुपाने का आरोप भी लगाया। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार, जब पूछा गया कि क्या लड़की से पूछताछ की गई है तो सर्कल ऑफ़िसर ने कहा कि जाँच के दौरान पूछताछ की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि लड़की ने कोई शादी का सर्टिफ़िकेट नहीं दिया है। मजिस्ट्रेट के सामने उसका बयान भी दर्ज नहीं किया गया है।