हाथरस पीड़िता के परिवार से मिलने उनके गांव पहुंचे पूर्व सांसद और राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी पर पुलिस वालों ने जिस तरह अचानक और बर्बर लाठीचार्ज किया था, उसके ख़िलाफ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है। गुरूवार को मुज़फ़्फरनगर में आरएलडी ने महापंचायत रखी, जिसमें आरएलडी के कार्यकर्ताओं के अलावा जाट समाज से भी बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
जाट समाज जयंत चौधरी में उनके दादा और देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का अक्स देखता है और चौधरी अजित सिंह के सियासत से लगभग रिटायर हो जाने के बाद आरएलडी को खड़ा करने जिम्मेदारी जयंत के ही कंधों पर है। भले ही जयंत पिछला लोकसभा चुनाव हार गए हों लेकिन जाट समाज के एक बड़ा तबक़े का समर्थन उन्हें हासिल है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के हाथरस पीड़िता के गांव जाने के बाद 4 अक्टूबर को जयंत चौधरी कार्यकर्ताओं के साथ वहां पहुंचे थे। जयंत जब मीडिया कर्मियों से बात कर रहे थे तो पुलिस ने अचानक लाठीचार्ज कर दिया था। अचानक हुए इस लाठीचार्ज से लोग सकपका गए थे। महिला पत्रकारों को इधर-उधर भागना पड़ा था और जयंत को उनके कार्यकर्ताओं ने घेर लिया था, वरना वह बुरी तरह से घायल हो जाते।
इसके अलावा वहां पहुंचे समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर भी पुलिस ने लाठीचार्ज किया था।
जयंत चौधरी पर लाठीचार्ज के विरोध में उसी दिन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर आरएलडी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया था। बीते कुछ समय से मिल रही चुनावी हार से पस्त पड़ी आरएलडी के लिए यह बेहतर मौक़ा था कि वह इसे मुद्दा बनाए। इसलिए, गुरूवार को मुज़फ्फरनगर में महापंचायत रखी गई।
योगी सरकार क्यों कह रही है कि पीड़िता के साथ गैंगरेप नहीं हुआ। देखिए, वीडियो -
दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी आए
इसमें विशेष बात यह दिखी कि कांग्रेस सांसद और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी इस महापंचायत में शामिल हुए। उत्तर प्रदेश में अपनी सियासी ज़मीन को हासिल करने की कोशिश कर रही कांग्रेस योगी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए पूरा दम लगा रही है। लेकिन वह जानती है कि वह अकेले दम पर ऐसा नहीं कर सकती, उसे साथ चाहिए।
पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान बने महागठबंधन में एसपी, बीएसपी और आरएलडी शामिल हुए थे। लेकिन कांग्रेस की बात नहीं बन सकी थी। चुनाव के बाद बीएसपी ने महागठबंधन से किनारा कर लिया था। कांग्रेस और एसपी उत्तर प्रदेश में पिछला विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ चुके हैं। ऐसे में दीपेंद्र हुड्डा का इस बैठक में पहुंचना इस बात को बताता है कि कांग्रेस योगी सरकार से लड़ने के लिए अपनी ओर से मुलाक़ात का हाथ बढ़ा रही है। क्योंकि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में महज सवा साल का वक्त बचा है।
जिस दिन जयंत पर लाठीचार्ज हुआ, उसी दिन इसी गांव का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें सवर्ण समाज के लोगों ने भारी भीड़ के साथ बैठक की थी। इससे पहले भी उन्होंने ऐसी बैठकें की थीं। लेकिन इस बैठक का जो वीडियो सामने आया था, उसमें बड़ी संख्या में लोग भी थे और यह पीड़िता के घर से कुछ किमी की दूरी पर ही हुई थी।
यह बैठक पूर्व विधायक राजवीर सिंह पहलवान के घर पर हुई थी और दोषियों के परिजन भी बैठक में आए थे। पहलवान खुलकर दोषियों के साथ खड़े हैं और उनका कहना है कि दलित युवती की मौत ऑनर किलिंग का मामला है। बीजेपी के टिकट पर विधायक रहे पहलवान ने कहा है कि यह पूरा मुक़दमा झूठा है और युवती की मां और भाई ने उसकी हत्या की है।
इस बैठक को लेकर जब प्रशासन पर दबाव बना कि धारा 144 लागू होने के बावजूद कैसे इतनी बड़ी बैठक का आयोजन किया गया तो पुलिस को एफ़आईआर दर्ज करनी पड़ी।