क्या दो अलग-अलग धर्मों के किशोरों का एक साथ बैठ कर पित्ज़ा खाना और कोल्ड ड्रिंक पीना भी अपराध की श्रेणी में आता है?
कथित लव जिहाद के एक के बाद कई मामलों, कई अदालतों के फ़ैसलों और उस पर चल रही राजनीति के बीच उत्तर प्रदेश के बिजनौर में परेशान करने वाला एक मामला सामने आया है, जो पुलिस की मंशा साफ कर देता है। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो जाता है कि पुलिस किस तरह किसी विवादित क़ानून का भी दुरुपयोग कर सकती है और एक ख़ास समुदाय को निशाने पर ले सकती है।
'द प्रिंट' के अनुसार, स्कूल में पढ़ने वाला 18 साल का सोनू यानी साक़िब अपनी कक्षा में पढ़ने वाली 16 साल की हिन्दू दलित लड़की के साथ घूमने गया, पित़्जा खाया और कोल्ड ड्रिंक पीया। पुलिस ने उसे गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया और सुबकती हुई लड़की को थाने में बिठा कर उसके पिता को बुलाया।
बेबुनियाद आरोप?
बिजनौर पुलिस ने साकिब पर एक हिन्दू लड़की का ज़बरन धर्म परिवर्तन करा कर उससे शादी करने की कोशिश का आरोप लगाया है। उसका कहना है कि लड़की के पिता की शिकायत पर कार्रवाई की गई है।
साकिब पर अपहरण के अलावा अनुसूचित जाति-जनजाति (उत्पीड़न रोकना) अधिनियम और प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ़्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेज़ यानी पॉक्सो भी लगाया गया है।
सोनू के परिवार का कहना है कि वह 18 नहीं, 17 साल का है, यानी नाबालिग है।
लड़की के पिता का कहना है कि पुलिस ने उसे थाने बुलाया, घटना की जानकारी दी और उससे एफ़आईआर लिखवाया।
लड़की के पिता का कहना है कि उन्होंने पुलिस से कहा कि लड़की से ग़लती हो गई है, पर वे इस मामले को तूल नहीं देना चाहते, एफ़आईआर नहीं चाहते, पर पुलिस ने उन पर दबाव डाल कर एफ़आईआर लिखवाया।
पुलिस का दबाव?
पिता ने अपनी बेटी के घर से भागने या धर्म बदलने या शादी करने की संभावनाओं को खारिज कर दिया, उनका कहना है कि वह उस घूमने गई थी और उसने पित्ज़ा खाया। पर पुलिस वालों ने उनसे कहा कि भविष्य में वह उस लड़के साथ ज़रूर भाग जाएगी, लिहाज़ा अभी ही मामला दर्ज करवा दें।
एफ़आईआर में लिखा हुआ है, "सोनू मेरी लड़की को शादी करने और धर्म परिवर्तन करने के इरादे से बहला फुसला कर भगा ले गया।"
लेकिन लड़की के पिता ने 'द प्रिंट' से कहा, "सोनू ने कभी भी मेरी बेटी से शादी करने या उसका धर्म बदलने की बात नहीं की, तो मैं इसे शिकायत में कैसे डालता। उसने सिर्फ अपना नाम ग़लत बताया था।"
उन्होंने कहा कि साकिब ने लड़की से यह नहीं कहा कि वह मुसलमान है, पर उसने शादी करना या धर्म बदलवाने की बात भी कभी नहीं कही।
पिता ने लड़की के अपहरण या यौन हिंसा की कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है, पर पुलिस का कहना है कि चूंकि वह लड़की नाबालिग है, पॉक्सो अपने आप लागू हो जाएगा। लड़की ने अपने पिता की बातों को ही दुहराया। उसने कहा,
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"शादी की कभी कोई बात ही नहीं हुई। हम पहले भी मिलते थे और फोन पर बात करते थे, उस रात मैं बस उससे मिलने चली गई। हम भाग नहीं रहे हैं।"
लड़की, बिजनौर मामला
बिजनौर की इस किशोरी ने धारा 164 के तहत मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज करवाया। उसने स्पष्ट रूप से कहा कि सोनू ने धर्म परिवर्तन या शादी के लिए उस पर कोई दबाव नहीं डाला।
पिता ने लड़की के अपहरण या यौन हिंसा की कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है, पर पुलिस का कहना है कि चूंकि वह लड़की नाबालिग है, पॉक्सो अपने आप लागू हो जाएगा।
क्या हुआ था उस रात?
लड़की 14 दिसंबर की रात को साकिब से मिलने गई, वह लड़का अपने साथ पित़्जा ले आया था। दोनों ने पित्ज़ा खाया और घूमते हुए वहाँ से चार किलोमीटर दूर नसीरपुर गाँव चले गए। उनकी मुसीबत उस समय शुरू हुई जब लड़की को उसके गाँव के किसी आदमी ने देख लिया।
नसीरपुर के ग्राम प्रधान मनोज कुमार ने 'द प्रिंट' से कहा, "वे लोग देर रात को गाँव में घूम रहे थे, कुछ लोगों ने उन्हें एक मंदिर के पास खाना खाते हुए भी देखा। जब गाँव के कुछ लड़कों ने उनसे बात करने की कोशिश वे दोनों अलग-अलग दिशाओं में भाग गए।"
गाँव के लड़कों ने उस लड़की को पकड़ लिया और उसके पिता और सोनू को बुलाया। लड़की ने कहा,
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"सोनू ने मुझे कभी नहीं बताया कि वह मुसलमान है। उस रात जब मैंने कहा कि मुझे मुसलमान पसंद नहीं, तब उसने अपना नाम साकिब बताया।"
लड़की, बिजनौर मामला
लेकिन नसीरपुर के ग्राम प्रधान ने कहा कि सोनू किराखेड़ी गाँव का रहने वाला था, जहाँ सिर्फ मुसलमान ही रहते हैं, लड़की को पता था कि सोनू मुसलमान है।
लड़की ने यह भी कहा कि सोनू उसका सहपाठी है और दोनों कक्षा चार से ही साथ-साथ पढ़ते आए हैं। सवाल है कि क्या इसके बावजूद वह उसका नाम नहीं जानती थी।
क्या कहना है सोनू की माँ का?
साकिब की माँ संजीदा ने 'द प्रिंट' से कहा कि सोनू का जन्म 2003 में हुआ था, वह 17 साल का है, यानी नाबालिग है।
सोनू की भाभी सबीना ने कहा कि वह लड़की सोनू से मिलने कई बार किराखेड़ी गाँव आ चुकी है और उसे पता है कि यहां सिर्फ मुसलमान ही रहते हैं।
संजीदा ने कहा,
“
"सोनू को जेल में डाल दिया गया, क्योंकि वह मुसलमान है, यही उसका अपराध है।"
सबीना, सोनू की भाभी
एटा की घटना
उत्तर प्रदेश में कथित लव जिहाद के कई मामले सामने आए हैं, जो पुलिस और प्रशासन की मंशा पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं। एटा ज़िले की एक 21 वर्षीय युवती घर से चली गई, कथित तौर पर उसने धर्मांतरण कर लिया और एटा ज़िले के ही जलेसर में जावेद अंसारी से शादी कर ली।
लड़की के पिता की रिपोर्ट के आधार पर 17 दिसंबर को एफ़आईआर दर्ज की गई। उन्होंने यह मुक़दमा तब दर्ज कराया जब दिल्ली से कथित तौर पर जावेद के वकील से युवती के धर्मांतरण और शादी की जानकारी देने वाले कागजात मिले। उस परिवार के 14 लोगों को पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया।
मुरादाबाद में क्या हुआ?
इसी तरह मुरादाबाद ज़िले के कांठ में जब 22 वर्षीय युवक राशिद अली और 22 साल की पिंकी (22) अपनी शादी का पंजीकरण करवाने जा रहे थे, पुलिस ने राशिद और उनके भाई सलीम अली को गिरफ़्तार किया था और पिंकी को संरक्षण गृह भेज दिया था। वह गर्भवती थी। बाद में ख़बर आई कि उसका गर्भपात हो गया, हालांकि पुलिस ने इससे इनकार कर दिया।
योगी आदित्यनाथ सरकार ने हिन्दू महिलाओं के ज़बरन धर्म परिवर्तन और दूसरे धर्म के युवक से ज़बरन विवाह को रोकने के लिए एक क़ानून पारित करवाया।
क़ानून के तहत अधिकतम 10 साल तक सज़ा हो सकती है। इसमें प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति ग़लतबयानी, ज़बरदस्ती, ख़रीद-फ़रोख़्त, धोखेबाजी कर या शादी के ज़रिए दूसरे को धर्मांतरित करने का प्रयास नहीं करेगा।
इस क़ानून में यह भी कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति उस धर्म में वापस धर्मान्तरित होता है जिसमें वह हाल तक था तो उसे धर्मांतरण नहीं माना जाएगा। कोई भी पीड़ित व्यक्ति शिकायत दर्ज कर सकता है, और सबूत पेश करने की ज़िम्मेदारी अभियुक्त या उस व्यक्ति की रहेगी जिसने धर्मांतरण किया है।
अदालतों के फ़ैसले
लेकिन एक के बाद कई अदालतों ने इसे खारिज कर दिया है।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने एक बेहद अहम फ़ैसल में कहा है कि यदि अलग-अलग धर्मों के लोगों के विवाह में कोई महिला अपना धर्म बदल कर दूसरा धर्म अपना लेती है और उस धर्म को मानने वाले से विवाह कर लेती है तो किसी अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।
जस्टिस संजीब बनर्जी और जस्टिस अरिजित बनर्जी के खंडपीठ ने कहा,
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"यदि कोई बालिग नागरिक अपनी इच्छा से धर्म परिवर्तन करता है और स्वेच्छा से विवाह कर अपने पिता के घर नहीं लौटने का निर्णय लेता है तो इस मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।"
कलकत्ता हाई कोर्ट के फ़ैसले का अंश
इलाहाबाद हाई कोर्ट का फ़ैसला
इसके पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फ़ैसले में कहा था कि धर्म की परवाह किए बग़ैर मनपसंद व्यक्ति के साथ रहने का अधिकार किसी भी नागरिक के जीवन जीने और निजी स्वतंत्रता के अधिकार का ज़रूरी हिस्सा है। संविधान जीवन और निजी स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है।
जस्टिस पंकज नक़वी और जस्टिस विवेक अगरवाल की बेंच ने कहा, "किसी व्यक्ति का किसी मनपसंद व्यक्ति के साथ रहने का फ़ैसला नितांत रूप से उसका अपना फ़ैसला है। इस अधिकार का उल्लंघन संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गये जीवन और स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है।"