बलिया में पुलिस-प्रशासन के तमाम आला अफ़सरों के सामने कई राउंड फ़ायरिंग कर एक शख़्स को मौत के घाट उतार देने वाले धीरेंद्र सिंह ने उत्तर प्रदेश में हाहाकार मचाया हुआ है। पुलिस कह रही है कि धीरेंद्र सिंह को पकड़ने के लिए 10 टीमें बनाई गई हैं, उस पर 25 हज़ार रुपये का इनाम घोषित किया गया है। लेकिन सवाल यह है कि पुलिस के बीच से आख़िर वह चला कहां गया और अब वह खुलकर वीडियो कैसे जारी कर रहा है।
ख़ुद को बताया बेगुनाह
धीरेंद्र सिंह ने वीडियो जारी कर 15 अक्टूबर को हुई घटना को लेकर कहा है कि इसमें मिलीभगत थी। धीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘वहां गोली चल रही थी, मैं अफ़सरों से कह रहा था कि इसे रुकवाइए, वे लोग लाठी-डंडों के साथ थे, फ़ायरिंग कर रहे थे और मेरे परिवार को घेर लिया। मेरे पिताजी ज़मीन पर गिर पड़े।’
बीजेपी नेता धीरेंद्र ने आगे कहा, ‘मुझे कुछ पुलिसकर्मियों ने घेर लिया। मैं 18 साल तक सेना में सेवा करके आया हूं। शासन-प्रशासन ने मेरे घर पर लाठीचार्ज करवा दिया, सामान तोड़ दिया।’
घटना के बाद से फरार चल रहे धीरेंद्र सिंह ने कहा कि डीएम और जिस शख़्स की मौत हुई, वे एक ही जाति से आते हैं, इन्होंने और प्रधान ने मिलीभगत करके इस काम को अंजाम दिया है।
बीजेपी नेता धीरेंद्र सिंह ने कहा, ‘इसमें एसडीएम, सीओ और एसआई की ग़लती है। मुझे नहीं पता कि वे किसकी गोली से मरे हैं। अगर मेरे परिवार के सदस्य को मारा जाएगा, तो मैं भी जवाब दूंगा। हम लोग झगड़ा नहीं करना चाहते थे।’ हत्या अभियुक्त ने कहा है कि उसने गोली नहीं चलाई है और इस बात की जांच होनी चाहिए कि पाल की मौत किसकी गोली से हुई है।
बीजेपी नेता के मुताबिक़, ‘इस घटना को सुनियोजित तरीक़े से अंजाम दिया गया और उनके पक्ष के लोग लड़ने के लिए नहीं आए थे जबकि दूसरे पक्ष के लोगों की पूरी तैयारी थी।’ उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले की जांच कराने का आग्रह किया है।
धीरेंद्र सिंह के वीडियो के बाद सवाल ये उठता है कि आख़िर पुलिस उसे पकड़ क्यों नहीं पा रही है। वह कहां से वीडियो जारी कर रहा है, उसकी मोबाइल फ़ोन की लोकेशन क्या है, उसने किसे ये वीडियो भेजा, इसकी जांच पुलिस को करनी चाहिए। वीडियो में उसे देखकर ऐसा लगता है कि वह जहां है, वहां सुरक्षित ढंग से बैठा हुआ है।
नरम है पुलिस
अहम सवाल यह भी है कि पुलिस ने बलिया और उसके आस-पास के जिलों के बॉर्डर को सील किया या नहीं। अगर किया होगा तो उसे पकड़ने में 24 घंटे से ज़्यादा का वक्त नहीं लगना चाहिए। क्योंकि ऐसे हालात में कोई उसे अपने घर पर पनाह नहीं देगा। लेकिन अब इस घटना को 48 घंटे से ज़्यादा का वक्त हो चुका है और वह फरार है। इसका मतलब पुलिस धीरेंद्र सिंह के ख़िलाफ़ सख़्त नहीं है।
कानपुर के कुख्यात बदमाश विकास दुबे के मामले में भी ऐसा ही हुआ था। 8 पुलिसकर्मियों को बेरहमी से मौत के घाट उतारने वाला दुबे उत्तर प्रदेश से हरियाणा और फिर मध्य प्रदेश पहुंच गया लेकिन बॉर्डर सील करके बैठी पुलिस को पता ही नहीं चला। उसने ख़ुद को पुलिस के हवाले किया न कि पुलिस ने उसकी गिरफ़्तारी की।
घटना वाले दिन जो वीडियो सामने आया था, उसमें धीरेंद्र सिंह को कई पुलिसकर्मियों ने घेरा हुआ था, इसके बाद पुलिस पर झूठ बोलने के आरोप लगे थे। क्योंकि पुलिस ने कहा था कि वह फरार हो गया है। इस बात को हजम कर पाना आसान नहीं है कि धीरेंद्र सिंह पुलिसकर्मियों के बीच से कैसे भाग गया। देखना होगा कि पुलिस कब तक धीरेंद्र सिंह को पकड़ पाती है।