ऐसे समय जब किसान नेताओं ने पश्चिम बंगाल जाकर वहाँ के लोगों से कहा कि वे विधानसभा चुनाव में किसी को भी वोट दें, बस बीजेपी को न दें, भारतीय किसान यूनियन ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि वह बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं है, पंचायत चुनाव में लोग जिसे चाहें, वोट दें।
भारतीय किसान यूनियन के महासचिव युद्धवीर सिंह ने कहा है कि यूपी पंचायत चुनाव 2021 में लोग चाहें जिसे वोट दें।
याद दिला दें कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमा से सटे उत्तर प्रदेश और हरियाणा के इलाकों में हज़ारों किसान धरने पर हैं। उनका आन्दोलन चार महीने से ज़्यादा समय से चल रहा है। किसानों की माँग है कि केंद्र सरकार पिछले साल संसद से पारित तीनों कृषि क़ानूनों को रद्द कर दे।
केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों से बातचीत को तैयार है, ज़रूरत पड़ने पर मौजूदा क़ानूनों में संशोधन पर भी तैयार है, पर वह क़ानून किसी सूरत में रद्द नहीं करेगी।
किसानों का कहना है कि कृषि क़ानून रद्द करने के अलावा वे किसी हालत में आन्दोलन वापस नहीं लेंगे। जिच बरकरार है।
पश्चिम बंगाल में क्या कहा था?
इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत पश्चिम बंगाल गए और वहां सभा कर लोगों से अपील की कि वे विधानसभा चुनाव में बीजेपी को वोट न दें। इसी तरह की अपील तमिलनाडु में भी की गई।
लेकिन यूपी पंचायत चुनाव 2021 के पहले भारतीय किसान यूनियन का कहना है कि वह बीजेपी के ख़िलाफ़ नहीं है।
इसे किसान आन्दोलन चला रहे नेताओं के रुख में बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इसके पहले युद्धवीर सिंह ने एक बयान जारी कर कहा था कि उनका संगठन अराजनैतिक है। वह स्वयं चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे, लेकिन विधानसभा चुनावों की तरह वह उत्तर प्रदेश के किसानों से भी अपील कर रहे थे कि वे बीजेपी को वोट न दें क्योंकि किसानों के ख़िलाफ़ लाये गये इस कानून की जड़ वही है।
राकेश टिकैत, नेता, भारतीय किसान यूनियन
भारतीय किसान यूनियन के नेता पूर्वांचल के इलाकों में किसानों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रहे थे। किसान आंदोलन को कांग्रेस और समाजवादी पार्टी से भी सहयोग मिल रहा है।
पर्यवेक्षकों का कहना है कि यदि भारतीय किसान यूनियन बीजेपी का विरोध करने पर अड़ी रहती और उसे वोट न देने की अपील करती तो सत्तारूढ़ दल को अच्छा ख़ासा नुक़सान हो सकता था।पर्यवेक्षकों का कहना है कि भारतीय किसान यूनियन के रवैए में यह बदलाव दो कारणों से हो सकता है।
बीकेयू आन्दोलन को अराजनीतिक साबित करना चाहती है ताकि ज़्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें। दूसरा, वह अपने रुख को लचीला करने के संकेत दे रहा है ताकि बीजेपी में उससे सहानुभूति रखने वाले लोग सरकार पर दबाव डाल कर किसानों एक बार फिर बात शुरू करने को कहें।
चार चरणों में होने वाले उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2021 में 8.69 लाख से ज़्यादा पदों के लिए लोग चुने जाएंगे और इसके लिए 17 लाख से अधिक उम्मीदवार मैदान में होंगे, यह संभावना जताई जा रही है।
इसे इससे समझा जा सकता है कि सिर्फ पहले चरण के मतदान के लिए ही 3.40 लाख से ज़्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण में 20 ज़िलों में 2.21 पदों के लिए मतदान होगा।
यूपी पंचायत चुनाव 2021 की खूबी यह भी है कि सभी राजनीतिक दलों ने आधिकारिक तौर पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस ही नहीं, ऑल इंडिया मजलिस इत्तिहाद-ए-मुसलिमीन (एआईएमआईएम), भीम आर्मी और आम आदमी पार्टी भी इस बार पूरे दम खम के साथ मैदान में है।