महिला पत्रकारों ने त्रिपुरा पुलिस पर लगाया धमकाने का आरोप

12:37 pm Nov 14, 2021 | सत्य ब्यूरो

विश्व हिन्दू परिषद अब  पूर्वोत्तर में भी अपने पैर पसार रही है और वहाँ भी लोगों को निशाने पर ले रही है। इसे इससे समझा जा सकता है कि त्रिपुरा पुलिस ने विहिप की शिकायत पर दो महिला युवा पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कर ली है। इन महिला पत्रकारों का यह भी कहना है कि पुलिस वालों ने उन्हें धमकाया है।

त्रिपुरा पुलिस ने विश्व हिन्दू परिषद की शिकायत पर समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा से पूछताछ की है। सकुनिया ने कहा है कि पुलिस वालों ने उन्हें होटल से बाहर नहीं निकलने दिया। 

'एनडीटीवी' ने कहा है कि पुलिस ने इन दोनों महिला पत्रकारों को नोटिस दिया है और पूछताछ के लिए 21 नवंबर को बुलाया है। 

क्या कहना है पत्रकारों का?

केंद्र सरकार ने त्रिपुरा के दुर्गा बाज़ार इलाक़े में मसजिद में तोड़फोड़ होने से इनकार किया है, लेकिन स्वर्णा झा का दावा है कि उन्होंने स्थानीय लोगों से बात की थी। उन्होंने ट्वीट किया, 

कल रात पुलिस वाले हमारे होटल के बाहर आए, पर हमसे बात नहीं की। लेकिन आज सुबह हम जब होटल छोड़ रहे थे, उन्होंने हमसे शिकायत दर्ज होने की बात कही और हमें धर्मनगर थाना चलने को कहा।


स्वर्णा झा, पत्रकार

उन्होंने एफ़आईआर की कॉपी साझा की और एक दूसरे ट्वीट में कहा कि विश्व हिन्दू परिषद ने एक रैली की, इसमें उन्होंने स्थानीय लोगों से बात करने के बारे में भी जानकारी दी। 

सकुनिया ने ट्वीट किया, "हमें अगरतला से बाहर जाना था, पर सहयोग करने के बावजूद हमें ऐसा नहीं करने दिया गया। हमारे होटल के बाहर 16-17 पुलिसकर्मी खड़े हैं।" 

उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द ही बताएंगी कि 'किस तरह उन्हें त्रिपुरा स्टोरी कवर करने के लिए डराया-धमकाया गया। हमें होटल से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है, हम जल्द ही क़ानून का सहारा लेंगे।' 

सरकार का इनकार

इसके पहले शनिवार को गृह मंत्रालय ने त्रिपुरा में मसजिद में तोड़फोड़ किए जाने की घटना से इनकार कर दिया था। उसने कहा था, "यह ख़बर चल रही है कि त्रिपुरा के गोमती ज़िले के कोकराबन इलाक़े में एक मसजिद में तोड़फोड़ की गई है और उसे नुक़सान पहुँचाया गया है। ये ख़बरें फ़र्जी हैं और तथ्यों को ग़लत ढंग से पेश कर दी गई हैं।" 

याद दिला दें कि त्रिपुरा में हुई हिंसा के मामले में सोशल मीडिया पर अपनी बात रखने वाले कुछ पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं पर वहां की राज्य सरकार ने एफ़आईआर दर्ज की थी और यूएपीए लगा दिया था। 70 से ज़्यादा ऐसे लोग थे, जिन पर यह कठोर क़ानून लगाया गया था। 

समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा, पत्रकारtwitter

क्या है मामला?

पत्रकार श्याम मीरा सिंह पर भी यूएपीए लगा था। उन्होंने और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों अंसार इंदौरी और मुकेश ने भी इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इन दोनों वकीलों ने हिंसा के बाद स्वतंत्र फ़ैक्ट फ़ाइंडिंग टीम के सदस्य के तौर पर त्रिपुरा का दौरा भी किया था। इन लोगों ने वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के जरिये याचिका दायर की है। 

याचिका में इस मामले में सुनवाई करने और यूएपीए के तहत दर्ज की गई एफ़आईआर को रद्द करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है। 

इससे पहले त्रिपुरा हाई कोर्ट ने हिंसा के मामले का स्वत: संज्ञान लिया था। फ़ैक्ट फ़ाइडिंग टीम के सदस्य के तौर पर गए वकीलों को नोटिस भी जारी किए गए हैं। 

श्याम मीरा सिंह का कहना है कि उन्होंने इस मामले में वही कहा है जिसे त्रिपुरा हाई कोर्ट ने भी कहा है। उन्होंने 'एनडीटीवी' से कहा कि जो बात अदालत ने कही, अगर वही बात कोई पत्रकार कहे तो उस पर यूएपीए लगा दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अगर मुल्क़ में लोकतंत्र है तो वह बिलकुल चिंतित नहीं हैं। 

त्रिपुरा पुलिस ने इस मामले में फ़ेसबुक, ट्विटर और यू ट्यूब से संपर्क किया था और उनसे 100 से ज़्यादा सोशल मीडिया अकाउंट्स की जानकारी मांगी थी। पुलिस ने कहा था कि इन अकाउंट्स का इस्तेमाल फ़ेक और भड़काऊ पोस्ट करने के लिए किया गया। इसके बाद पुलिस ने 70 से ज़्यादा लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया था।