न्यूजीलैंड आईसीसी विश्व टेस्ट चैंपियनशिप का पहला चैंपियन बन गया है। साउथम्पटन में खेले गए फाइनल मुकाबले में न्यूजीलैंड ने भारत को मैच के रिजर्व डे के दिन आखिरी सेशन में 8 विकेट से हराकर पहला खिताब जीत लिया।
इसके साथ ही केन विलियमसन ऐसे पहले कप्तान बन गए हैं जिनकी कप्तानी में दुनिया को टेस्ट जगत का पहला चैंपियन मिला है। भारत से मिले 139 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए न्यूजीलैंड ने कप्तान केन विलियमसन और रॉस टेलर के बीच तीसरे विकेट की शानदार साझेदारी के दम पर भारत को हरा दिया। विलियमसन ने नाबाद 52 रनों पारी खेली जबकि रॉस टेलर 47 रन पर नॉट आउट रहे।
छोटा लक्ष्य दिया
भारत ने न्यूजीलैंड के सामने सिर्फ 139 रनों का छोटा सा लक्ष्य रखा। भारत ने अच्छी शुरुआत भी की और स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने न्यूजीलैंड के दोनों सलामी बल्लेबाज़ों को जल्दी आउट कर भारत के लिए उम्मीद की किरण पैदा कर दी थी।
विलियमसन-टेलर की साझेदारी
भारतीय गेंदबाज़ों ने दो विकेट लेने के बाद न्यूजीलैंड पर दबाव भी बनाया लेकिन कप्तान विलियमसन और रॉस टेलर ने भारत की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए नाबाद साझेदारी कर अपनी टीम को ऐतिहासिक जीत दिलाकर विश्व चैंपियन बना दिया। विलियमसन और टेलर के बीच 96 रनों की साझेदारी हुई।
फ़ेल रहे गेंदबाज़
पहली पारी में न्यूजीलैंड को 249 रनों पर आउट करने वाले भारतीय गेंदबाज़ दूसरी पारी में बेअसर दिखे। पहली पारी में 4 विकेट लेने वाले मोहम्मद शमी दूसरी पारी में कोई खास कमाल नहीं कर पाए। फाइनल से पहले जसप्रीत बुमराह को भारत का सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा था लेकिन बुमराह का पूरे मैच में एक भी विकेट नहीं ले पाना भारत की बड़ी हार का कारण बताया जा रहा है।
इसके अलावा इशांत शर्मा भी रंग में नहीं दिखे। पहली पारी में ईशांत जहां संघर्ष करते नज़र आए वहीं दूसरी पारी में तो उनसे ज्यादा गेंदबाज़ी भी नहीं कराई गई।
बल्लेबाज़ों ने किया निराश
भारत को आखिरी दिन अच्छी बल्लेबाज़ी की जरूरत थी लेकिन ऋषभ पंत को छोड़कर टीम का कोई भी बल्लेबाज़ मैदान पर नहीं टिक सका। मैच के छठे दिन यानी रिजर्व डे के पहले सेशन के पहले आधे घंटे में ही कप्तान विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा के विकेट खोने के बाद भारत के हालात बिगड़ गए। मैच में भारत का कोई बल्लेबाज़ अपनी फॉर्म में नज़र नहीं आया।
सलामी बल्लेबाज़ रोहित शर्मा से बहुत उम्मीदें थी लेकिन उनका बल्ला मैच की दोनों पारियों में खामोश रहा। रोहित फाइनल की दोनों पारियों में अच्छी शुरुआत करने के बाद उन्हें बड़ी पारियों में तब्दील नहीं कर पाए। वह इस मैच में कुल 64 रन ही बना पाए।
विराट कोहली का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा और वह भी दोनों पारियों में सिर्फ 57 रन बना सके। भारत की घटिया बल्लेबाज़ी का आलम यह रहा कि टीम इंडिया का कोई भी बल्लेबाज़ पूरे मैच में अर्धशतक नहीं लगा पाया। शुभमन गिल का हाल भी यही रहा।
टीम इंडिया की दीवार की उपाधि पाए चेतेश्वर पुजारा भी मैदान पर टिकने के बाद कुछ खास नहीं कर पाए। इंग्लैंड दौरे में जबरदस्त कप्तानी की मिसाल पेश करने वाले उपकप्तान अजिंक्य रहाणे ने भी तमाम क्रिकेट प्रेमियों को निराश किया।
साउदी-बोल्ट ने झटके विकेट
विकेटकीपर ऋषभ पंत ने जडेजा के साथ मिलकर दूसरी पारी को संभालने की कोशिश की, लेकिन भारतीय टीम बड़ा स्कोर खड़ा करने में नाकाम रही और पूरी टीम दूसरी पारी में सिर्फ 170 रनों पर सिमट गई। न्यूजीलैंड को पहली पारी में मिली बढ़त के बाद 139 रनों का लक्ष्य मिला। न्यूजीलैंड के लिए दूसरी पारी में टिम साउदी ने 4 और बोल्ट ने 3 विकेट झटके।
खलनायक रहा मौसम
फाइनल में भारत के लिए मौसम ने भी खलनायक की भूमिका निभाई। टीम इंडिया सपाट और सूखी पिचों पर खेलने की आदी रही है। फाइनल मुकाबले के रिजर्व डे को अगर छोड़ दिया जाए तो बाकी ऐसा कोई दिन नहीं रहा जब खराब मौसम और बारिश ने खेल नहीं बिगाड़ा हो। फाइनल के पहले और चौथे दिन बारिश की वजह से एक गेंद भी नहीं फेंकी जा सकी जिसके चलते मैच का फैसला रिजर्व डे में हुआ।
प्रैक्टिस मैच का तर्क
क्रिकेट के जानकार कह रहे हैं कि फाइनल से पहले भारतीय टीम को प्रैक्टिस मैच नहीं खेलने को मिला जिसके चलते खिलाड़ी लय में नहीं आ पाए। अगर टीम इंडिया इंग्लैंड की किसी जूनियर टीम के साथ अभ्यास मैच खेल लेती तो उसका फायदा फाइनल में जरूर मिलता।
लेकिन कोरोना प्रोटोकॉल की वजह से भारत को अभ्यास मैच नहीं मिला। भारतीय टीम ने फाइनल से पहले साउथम्पटन में इंट्रा स्क्वायड प्रैक्टिस मैच भी खेला जो फाइनल मैच की तैयारियों के लिए नाकाफी साबित हुआ।