आईपीएल ने दिलाई लेग स्पिनर चावला और मिश्रा को पहचान 

05:26 pm Apr 05, 2021 | विमल कुमार - सत्य हिन्दी

अमित मिश्रा और पीयूष चावला- ये दो ऐसे गेंदबाज़ हैं जिन्हें भारतीय क्रिकेट में खुद को साबित करने के लिए बहुत ज़्यादा मौके नहीं मिले। दोनों के खेल में समानता ये है कि ये एक ही हुनर वाले गेंदबाज़ हैं जिन्हें भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज़ अनिल कुंबले का उत्तराधिकारी मानने की जल्दबाज़ी मीडिया ने कर दिखायी थी। 

दोनों लेग स्पिनर को अपने करियर के शुरुआती मैचों में जहां कुंबले की महानता के चलते पर्याप्त मौके नहीं मिले तो बाद में एमएस धोनी और विराट कोहली ने इन पर उतना भरोसा नहीं दिखाया। 

अगर ये कोई दूसरे दौर में पैदा हुए होते तो शायद गुमनाम होकर भारतीय क्रिकेट से गायब हो चुके होते। लेकिन, आईपीएल ने इन दोनों को ना सिर्फ एक नई पहचान दी बल्कि इन्हें दिग्गज का दर्जा भी दिलाया।

अगर आईपीएल के इतिहास में सबसे कामयाब 3 गेंदबाज़ों की बात की जाए तो उसमें से 2 स्पिनर हैं और ये दोनों लेग स्पिन डालते हैं। अमित मिश्रा और पीयूष चावला से ज़्यादा विकेट आईपीएल में सिर्फ श्रीलंका के लासिथ मलिंगा ने ही लिए हैं। मुमकिन है कि इस सीज़न के दौरान या तो मिश्रा (160 विकेट) या फिर चावला (156 विकेट) जल्द ही मलिंगा के 170 विकेट के रिकॉर्ड को तोड़कर सबसे कामयाब गेंदबाज़ बन जायेंगे। 

भारत ये दोनों लेग स्पिनर हर फ्रैंचाइजी के लिए बेहद अहम गेंदबाज़ माने जाते रहें हैं। दिल्ली कैपिटल्स के अमित मिश्रा का मानना है कि उनके जैसे लेग स्पिनर के आईपीएल में छाये रहने की वजह है कड़ी मेहनत। मिश्रा का कहना है कि “वो ज़्यादा मेहनत करते हैं! फिंगर स्पिनर के मुकाबले लेग स्पिनर के पास ज़्यादा विविधता होती है जिससे वो बेहतर आक्रामक गेंदबाज़ साबित होते हैं।”

अमित मिश्रा।

कोलकाता नाइट राइडर्स को दो बार चैंपियन बनवाने वाले लेग स्पिनर पीयूष चावला पिछले साल मुंहमांगी रकम पर चेन्नई सुपर किंग्स के लिए खेले थे। लेकिन, अपने चहेते कप्तान धोनी की उम्मीदों पर वो खरे नहीं उतर पाये। चावला का खेल ऐसा रहा है कि उन्हें इस बार मुंबई इंडियंस ने अपनी टीम में शामिल कर लिया। मिश्रा की तरह चावला भी मानते हैं कि लेग स्पिन कला की बात ही कुछ और है। 

चावला कहते हैं, “देखिये, टी20 एक आक्रामक फॉर्मेट है, जहां पर हर कोई तेज़ी से रन बनाने के बारे में सोचता है। लेग स्पिन एक ऐसी कला है जहां पर आपको विकेट मिलेंगे क्योंकि इसमें विविधता ज़्यादा है। अगर आप रनों के प्रवाह को रोकना चाहते हैं तो सबसे बेहतरीन उपाय है विकेट झटकना। इस फॉर्मेट में मार तो सबको पड़ती है लेकिन अगर आप विकेट लेने में कामयाब होते हैं तो टीम के लिए काफी राहत होती है।”

टीम इंडिया में पिछले एक दशक में टेस्ट और वन-डे में स्पिनर के तौर पर रविचंद्रन अश्विन और रविंद्र जडेजा की ही तूती बोलती नज़र आयी है। लेकिन, टी20 फॉर्मेट में एक और लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल की कामयाबी ने इन दोनों दिग्गजों को टीम इंडिया में वापसी करने से रोक रखा है।

विराट कोहली की रॉयल चैलेंजर्स बैंगलुरू के एक से एक बल्लेबाज़ के नाम आपको याद रहते हैं लेकिन गेंदबाज़ के नाम पर आपको सिर्फ एक लेग स्पिनर यानि कि चहल का नाम ही ज़ेहन में आयेगा जिन्होंने आईपीएल में 121 विकेट झटके हैं और सबसे ज़्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज़ों के टॉप 10 वाली सूची में शामिल हैं। 

लेकिन, तमाम कामयाबी और कोहली के चहेते होने के बावजूद चहल भी सिर्फ 54 वन-डे ही खेल पाये हैं जबकि टेस्ट में भारत के लिए खेलना फिलहाल सपना ही है। ऐसे में मिश्रा और चावला के लिए फिर से टीम इंडिया में वापस लौटने की राह बेहद मुश्किल दिखाई देती है। 

चहल ही नहीं, पिछले साल पंजाब के एक और युवा स्पिनर ने शानदार खेल दिखाकर मिश्रा-चावला की जोड़ी के लिए प्रतिस्पर्धा और तेज़ कर दी है। रवि बिश्नोई ने अंडर 19 की कामयाबी से आईपीएल का सफर आसानी से पार किया है और वह बेहद भाग्यशाली हैं कि उनके आदर्श अनिल कुंबले उनकी ही टीम के कोच हैं। 

पीयूष चावला।

आफरीदी और राशिद ख़ान 

अगर टी 20 इंटरनेशनल की भी बात करें तो इतिहास के 5 सबसे कामयाब गेंदबाज़ों में से दो लेग स्पिनर ही हैं। शाहिद आफरीदी और राशिद ख़ान। इन दोनों पठानों ने साबित किया कि भले ही टेस्ट क्रिकेट में उनका जलवा शेन वार्न और कुंबले की तरह नहीं रहा हो लेकिन टी20 में वो अपनी धाक जमाने की काबिलियत रखते हैं। 

आईपीएल और इंटरनेशनल क्रिकेट के साथ-साथ दुनिया में हर किस्म की टी20 फॉर्मेट में भी लेग स्पिनर का जलवा बरकरार रहता है। उनमें सबसे सफल 10 गेंदबाज़ों की सूची में इमरान ताहिर भी आपको शाहिद आफरीदी और राशिद ख़ान के साथ मिलेंगे। 

ताहिर अगर 2 साल मिश्रा के साथ दिल्ली से खेल चुके हैं तो पिछले साल उन्होंने चावला के साथ चेन्नई में वक्त बिताया। ये अलग बात है कि उन्हें बहुत ज़्यादा मैच खेलने के मौके नहीं मिले। वैसे ताहिर की कामयाबी का फॉर्मूला भी मिश्रा-चावला से बहुत अलग नहीं है। 

अगर आप रन रोकने में कामयाब होते हैं तो आपको विकेट भी मिलेंगे। अगर आप हर समय विकेट लेने का प्रयास करेंगे तो आपकी पिटाई भी होगी क्योंकि आपको गेंद को फ्लाइट देनी पड़ेगी और बल्लेबाज़ों को न्यौता देना पड़ेगा कि वो आपको हिट करें। टी20 में अक्सर बल्लेबाज़ आपके पीछे पड़े होते हैं तो बेहतर रणनीति ये होती है कि पहले 2-3 ओवर में 5-6 डॉट बॉल डालकर उन पर दबाव बनाया जाए।अगर ऐसा होता है तो बल्लेबाज़ जोखिम भरे शॉट खेलता है।

अगर मिश्रा और पीयूष चावला के लिए प्रेरणा नब्बे के दशक के शेन वार्न और अनिल कुंबले जैसे दिग्गज रहे तो ताहिर को प्रेरणा पाकिस्तान के अब्दुल कादिर से मिली। लेकिन, मिश्रा-चावला को जहां कुबंले की महानता के साये में अपने करियर के सुनहरे वक्त को गुज़ारना पड़ा वहीं ताहिर को तो अपने मुल्क पाकिस्तान के लिए खेलने तक का मौका नहीं मिला और उन्हें साउथ अफ्रीका जाकर बसना पड़ा। 

लेकिन, चाहे वो ताहिर हों या फिर मिश्रा या चावला, आईपीएल एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां पर वो खुद को दिग्गज साबित करने से चूके नहीं। क्या 2021 में एक बार फिर से अमित मिश्रा और पीयूष चावला उसी कामयाबी के सिलसिले को बरकरार रख पायेंगे?