कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान राजनीतिक विश्लेषकों, पत्रकारों व समाज के बुद्धिजीवी वर्ग की नज़र इस बात पर रही कि किस राज्य का मुख्यमंत्री कैसा काम कर रहा है। इस दौरान राजनीति भी ख़ूब हुई और तमाम नाकामियों के बाद भी राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता अपने मुख्यमंत्रियों की विफ़लताओं को छुपाते रहे।
मुख्यमंत्रियों की परफ़ॉर्मेंस जांचने के लिए देश के जाने-माने पत्रकार प्रभु चावला ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक सर्वे कराया। इस सर्वे में उन्होंने पूछा था कि किस मुख्यमंत्री ने कोरोना की दूसरी लहर को संभालने में सबसे बढ़िया काम किया है।
सर्वे में उन्होंने 8 राज्यों के मुख्यमंत्रियों का नाम दिया था। इनमें ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, केरल के पिनाराई विजयन, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे, पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह, कर्नाटक के बीएस येदियुरप्पा, मध्य प्रदेश के शिवराज सिंह चौहान, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का नाम शामिल किया था।
सर्वे में 3 लाख लोगों ने भाग लिया। ट्विटर पर कराए जाने वाले इस तरह के सर्वे पूरी तरह निष्पक्ष होते हैं क्योंकि इनमें छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं होती। प्रभु चावला दशकों से राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता करते रहे हैं, ऐसे में उन्हें जानने वालों की संख्या भी लाखों में है और उनके इस सर्वे में बड़ी संख्या में लोगों ने भाग भी लिया।
सर्वे के जो नतीजे सामने आए, उसमें पहले नंबर पर उद्धव ठाकरे रहे और उन्हें 62.5% वोट मिले जबकि दूसरे नंबर पर शिवराज सिंह चौहान रहे और उन्हें 49% वोट मिले जबकि नवीन पटनायक चौहान से थोड़ा ही पीछे रहे और उन्हें 48.8% वोट मिले।
अपने प्रदेश में ऑक्सीजन, बेड्स व दवाइयों की कमी न होने का दावा करने वाले योगी आदित्यनाथ चौथे नंबर पर रहे और उन्हें 31.6% वोट मिले। इसके बाद नंबर आया अरविंद केजरीवाल का। केजरीवाल को सिर्फ़ 4.6% और अमरिंदर सिंह को 1.7% वोट मिले। पिनराई विजयन को 1.3% और येदियुरप्पा को सिर्फ़ 0.5% वोट मिले।
‘मुंबई मॉडल’ की चर्चा
सर्वे के नतीजे साफ़ करते हैं कि मुंबई, महाराष्ट्र में जबरदस्त संक्रमण के बाद भी ठाकरे सरकार बेहतर काम करने में सबसे आगे रही है। कोरोना की पहली लहर में भी ठाकरे सरकार के काम की प्रशंसा हुई थी। मुंबई जैसे जबरदस्त भीड़-भाड़ वाले शहर में कोरोना को काबू करना बड़ी चुनौती थी और अब जब संक्रमण के मामले घटे हैं तो ‘मुंबई मॉडल’ की चर्चा हो रही है। इस ‘मुंबई मॉडल’ की तारीफ़ सुप्रीम कोर्ट ने भी की है।
सर्वे के नतीजे ठाकरे के अलावा शिवराज सिंह चौहान, पटनायक के लिए सुखद तो रहे हैं लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं है कि कोरोना के ख़िलाफ़ इस जंग में इंच मात्र की भी ढील दी जाए बल्कि और बेहतर काम करके कोरोना पर क़ाबू पाने की ज़रूरत है।
दूसरी ओर सर्वे के नतीजे बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल, अमरिंदर सिंह, पिनराई विजयन को और येदियुरप्पा के काम से लोग ख़ुश नहीं हैं और उन्हें पूरी ताक़त के साथ कोरोना से लड़ाई लड़नी होगी जबकि योगी आदित्यनाथ को भी अपना प्रदर्शन सुधारने की ज़रूरत है।