भारतीय रिज़र्व बैंक ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही यानी अगले साल अप्रैल-जून के लिए सकल घरेलू अनुपात (जीडीपी) में 17.2 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया। इसके अलावा दूसरी तिमाही में जीडीपी में 7.8% वृद्धि का अनुमान है।
यदि भारतीय अर्थव्यवस्था इस दर से विकास करती है तो यह बड़ी बात होगी क्योंकि यह अभी भी कोरोना की चपेट से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। इसके अलावा कोरोना वायरस का नया वैरिएंट ओमिक्रॉन जिस तरह तेजी से फैल रहा है, उससे इस महामारी के बने रहने की आशंका को बल मिलता है। यदि ऐसा हुआ तो आर्थिक गतिविधियों पर बुरा असर पड़ेगा और देश का आर्थिक विकास भी प्रभावित होगा।
अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेन्सी फ़िच रेटिंग्स ने भी अगले साल के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान 10.3 प्रतिशत कर दिया है।
फ़िच का अनुमान
फ़िच रेटिेंग्स ने यह भी अनुमान लगाया है कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत के आर्थिक विकास की दर कुल मिला कर 8.4 प्रतिशत होगी। यह पहले के अनुमान से कम है।
फ़िच ने पहले यह अनुमान लगाया था कि भारत की जीडीपी वृद्धि दर वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 8.7 प्रतिशत होगी।
ब्याद दर में बदलाव नहीं
बुधवार की सुबह रिज़र्व बैंक की मुद्रा नीति (मॉनिटरी पॉलिसी) को लेकर बैठक हुई। इस बैठक में ब्याज दरों को मौजूदा स्तर पर ही रखने का फ़ैसला किया गया।
रिज़र्व बैंक ने कहा है कि रेपो रेट अर्थात जिस दर पर यह बैंकों को पैसे देता है, 4% पर ही रखा जाएगा। इसी तरह रिवर्स रेपो रेट यानी जिस दर पर यह बैंको से पैसे लेता है, वह 3.45 प्रतिशत पर ही रखा जाएगा।
नहीं बढ़ेगा ईएमआई
इसका मतलब यह है कि वाणिज्यिक बैंक अपनी ब्याज दरें नहीं बढ़ाएंगे। आसान शब्दों में कहा जाए तो आपका न तो ईएमआई बढ़ेगा ने ही नए कर्ज पर ब्याज दर में कोई बदलाव होगा।
यह लगातार नौवां मौका होगा, जब आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई ने आखिरी बार ब्याज दरों में 22 मई 2020 को बदलाव किया था।
ब्याज दरें नहीं बढ़ाने के फ़ैसले के पीछे बड़ी वजह कोरोना वायरस और इसके नए ओमिक्रॉन वैरिएंट का फैलना है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ओमिक्रॉन वायरस के फैलने की आशंका जताई है। कुछ विशेषज्ञों ने कोरोना महामारी की तीसरी लहर की आशंका भी जताई है। रिज़र्व बैंक ने इन आशंकाओं को देखते हुए ही ब्याज दरों को जस का तस छोड़ दिया है।