अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मंदिर का निर्माण करा रहे ट्रस्ट पर ज़मीन खरीद में फर्जीवाड़े के आरोप के बाद ट्रस्ट की ओर से सफाई आई है। ट्रस्ट ने कहा है कि फर्जीवाड़े के आरोप पूरी तरह भ्रामक हैं और राजनीति से प्रेरित हैं।
बता दें कि आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह और पूर्व विधायक पवन पांडेय ने रविवार को आरोप लगाया था कि राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने दो करोड़ रुपये की ज़मीन 18.50 करोड़ रुपये में खरीदी और इस तरह इसमें करोड़ों रुपये का घपला किया गया।
चंपत राय ने सोमवार को एक विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि 9 नवंबर, 2019 को श्री राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आने के बाद अयोध्या में ज़मीन खरीदने के लिए देश भर से लोग आने लगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार भी अयोध्या के विकास के लिए ज़मीन खरीद रही है, इस कारण अयोध्या में ज़मीनों के दाम तेज़ी से बढ़ गए।
राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इस ट्रस्ट को कायम किए जाने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक़ ही यह ट्रस्ट बनाया जाएगा और राम मंदिर के निर्माण से जुड़े सभी विषयों को लेकर फ़ैसले लेगा। इस ट्रस्ट का नाम श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र रखा गया था।
चंपत राय ने कहा है कि जिस ज़मीन को लेकर मीडिया में शोर हो रहा है वह रेलवे स्टेशन के पास की एक प्रमुख जगह है। इस ज़मीन को ख़रीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने सालों पहले जिस मूल्य पर रजिस्टर्ड अनुबंध किया था, उस ज़मीन का उन्होंने 18 मार्च, 2021 को बैनामा कराया और फिर ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया।
उन्होंने कहा कि श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ने अब तक जितनी भी ज़मीन ख़रीदी है, वह खुले बाज़ार की क़ीमत से बहुत कम मूल्य पर ख़रीदी है।
क्या है पूरा मामला?
संजय सिंह ने रविवार को लखनऊ में दस्तावेज़ जारी कर आरोप लगाया था कि कुसुम पाठक और हरीश पाठक से सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने यह ज़मीन 7.10 मिनट पर ख़रीदी थी और 5 मिनट बाद इसे रवि मोहन तिवारी और सुल्तान अंसारी से श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने 18.50 करोड़ में ख़रीद लिया।
उन्होंने कहा कि 5 मिनट में ही ज़मीन को इतना महंगा ख़रीदने का प्रस्ताव कैसे पारित हो गया। उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या 5.50 लाख रु प्रति सेकेंड ज़मीन महंगी हो सकती है?