क्या राहुल गांधी अमेठी के राजनीतिक मैदान में फिर से कूदेंगे, यह सवाल राजनीतिक गलियारों में फिर से जिन्दा हो गया है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी को बार-बार अमेठी से लड़ने की चुनौती दे रही हैं, हालांकि उनकी शर्त है कि राहुल अपने इंडिया गठबंधन के सहयोगियों के समर्थन नहीं लड़ें। यूपी की प्रमुख विपक्षी पार्टी सपा ने अमेठी सीट को गांधी परिवार के लिए फिलहाल छोड़ रखा है।
इन्हीं बयानों के बीच हर कोई सवाल कर रहा है कि क्या कांग्रेस के कदम ठंडे पड़ गए हैं? क्या राहुल गांधी चुनौती से बच रहे हैं, या वे इसका डटकर मुकाबला करेंगे? कांग्रेस नेतृत्व चुप्पी साधे हुए है। राजनीतिक रणनीतिकार इंतजार कर रहे हैं। हालाँकि, कुछ संकेत गांधी परिवार के युद्ध के मैदान अमेठी में लौटने की संभावना की ओर इशारा कर रहे हैं।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक उम्मीद है कि कांग्रेस 26 अप्रैल को वायनाड में मतदान खत्म होने के बाद ही अमेठी की उम्मीदवारी की घोषणा करेगी, साथ ही अमेठी के लिए नामांकन भी शुरू होगा, जो 3 मई तक चलेगा। केरल में स्थानीय प्रतिनिधित्व के महत्व को देखते हुए यह देरी रणनीतिक है। केरल में सारे मतदाता पढ़े-लिखे हैं। वे उन सांसदों को पसंद नहीं करते जो जरूरत के समय लापरवाही बरतते हैं। राहुल गांधी वायनाड को अपना 'परिवार' कहते हैं। वायनाड में हर प्रमुख इवेंट में राहुल की मौजूदगी दर्ज कराई जाती है।
कांग्रेस इस क्षेत्र से राहुल गांधी के जुड़ाव पर जोर देते हुए राहुल की 2019 की जीत को दोहराने के संकल्प पर काम कर रही है। यही वजह है कि वायनाड के चुनाव से पहले अमेठी की चर्चा पर कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी है। ताकि वायनाड में गलत संकेत नहीं जाए। इंडिया टुडे के मुताबिक राहुल गांधी के वायनाड में नामांकन दाखिल करने के साथ ही अमेठी में कांग्रेस की गतिविधियां बढ़ गईं। स्थानीय भावनाओं के मुताबिक जिला कांग्रेस कमेटी का पुनर्गठन किया गया और हर बूथ का मैनेजमेंट एक कोर कमेटी बहुत सावधानी से कर रही है।
अमेठी में 2002-2003 की एक पुरानी रणनीति, जो प्रियंका गांधी के माइक्रोमैनेजमेंट की याद दिलाती है, लागू की जा रही है। लगभग 8680 "पूर्व प्रमुख" अधिकारी जमीनी स्तर पर समर्थन जुटाने के मकसद से घर-घर अभियान के साथ अमेठी के 876 गांवों में आउटरीच प्रयासों की निगरानी करेंगे।
इससे पहले अमेठी से कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत की उम्मीदवारी की अटकलों को पार्टी की स्थानीय इकाई से विरोध का सामना करना पड़ा था। गांधी परिवार से भावनात्मक लगाव व्यक्त करते हुए, एक कांग्रेस कार्यकर्ता ने जोर देकर कहा कि राहुल गांधी के अलावा कोई भी उम्मीदवार लड़ाई को कांग्रेस बनाम स्मृति ईरानी से पार्टी के आंतरिक झगड़े में बदल देगा।
कांग्रेस के आंतरिक सर्वे से संकेत मिलता है कि अगर राहुल गांधी अमेठी में स्मृति ईरानी के खिलाफ चुनाव लड़ते हैं तो पार्टी को स्पष्ट फायदा होगा। एक कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर इंडिया टुडे को बताया कि आंतरिक सर्वे में पार्टी को जीत की 80 फीसदी संभावना बताई गई है क्योंकि अमेठी में लोग मौजूदा सांसद (स्मृति ईरानी) से नाराज हैं।