लंबे वक़्त तक नाराज़ रहने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू आख़िरकार पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मिले और यह अब लगभग तय हो गया है कि वह फिर से पंजाब सरकार में शामिल होंगे। सिद्धू अमरिंदर कैबिनेट में लौटेंगे, यह बात तभी तय हो गयी थी जब इस पूर्व क्रिकेटर ने बीते महीने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से दिल्ली में मुलाक़ात की थी।
सिद्धू की नाराज़गी ख़त्म होने और उनके कैबिनेट में लौटने का फ़ायदा निश्चित रूप से कांग्रेस को मिलेगा क्योंकि सिद्धू पंजाब के बाहर भी खासे लोकप्रिय हैं और हिंदी भाषा पर भी उनकी पकड़ बहुत अच्छी है।
सिद्धू ने बुधवार को कैप्टन के साथ चाय पी और इस मुलाक़ात की जो फ़ोटो सामने आयी उसमें दिखा कि कैप्टन ने सिद्धू के कंधे पर हाथ रखा हुआ है और दोनों के चेहरे पर मुस्कान है। यह फ़ोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने यह कहते हुए राहत की सांस ली कि सिद्धू को फिर से बीजेपी में ले जाने की कुछ नेताओं की कोशिशें फ़ेल हो गयीं।
सिद्धू ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद पंजाब कैबिनेट से इस्तीफ़ा दे दिया था और उसके बाद लंबे वक़्त तक वह ख़ामोश रहे थे। लेकिन किसान आंदोलन में कांग्रेस की सक्रियता बढ़ने पर वह फिर से मैदान में दिखने लगे हैं।
हरीश रावत की मेहनत
पिछले साल जब सिद्धू और उनकी पत्नी के बीजेपी में वापस जाने की ख़बरें परवान पर थीं तो ऐसे वक़्त में कांग्रेस आलाकमान ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को राज्य का प्रभारी बनाने का फ़ैसला किया। रावत ने सिद्धू को मनाने में पूरा जोर लगा दिया। अंतत: उन्हें फतेह मिली।
सीएम बनना चाहते हैं सिद्धू
सियासत में महत्वाकांक्षी होना ग़लत नहीं है और इस वजह से सिद्धू भी ग़लत नहीं हैं। सिद्धू की इच्छा पंजाब का मुख्यमंत्री बनने की है। उनके पक्ष में पॉजिटिव बात यह है कि उनका हिंदू और सिख, दोनों समुदायों के मतदाताओं में आधार है। वह बहुत अच्छी हिंदी बोलते हैं, मशहूर क्रिकेटर रहे हैं और इस वजह से देश भर में जाने जाते हैं। विदेशों में भी उनकी लोकप्रियता रही है।
सिद्धू ने जब बीजेपी छोड़ी थी तो उसके पीछे भी कारण उनकी सियासी महत्वाकांक्षा ही थी। वह पंजाब में बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बनना चाहते थे लेकिन तब अकाली दल के साथ गठबंधन होने की वजह से ऐसा संभव नहीं था। कृषि क़ानूनों को लेकर जब बीजेपी और अकाली दल अलग हुए तो सिद्धू को समझ आ गया कि अब बीजेपी में जाने से सिर्फ़ सियासी नुक़सान हो सकता है, फ़ायदा होना लगभग नामुमकिन है।
सिद्धू की सियासी संभावनाएं
पंजाब में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह की उम्र 79 साल हो चुकी है। हाल ही में नगर निगम चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद अमरिंदर सिंह ने आलाकमान को भरोसा दिलाया है कि वह कांग्रेस की सत्ता में वापसी करा सकते हैं।
कैप्टन अभी मुख्यमंत्री पद से नहीं हटना चाहते, ऐसे में सिद्धू के लिए अभी बड़ी संभावना नहीं है। लेकिन वह अगर कैप्टन की कैबिनेट में बने रहते हैं तो वह उनकी जगह ले सकते हैं। बीजेपी से कांग्रेस में आए सिद्धू के सामने हालांकि चुनौतियां बहुत ज़्यादा हैं लेकिन हंसने-हंसाने के लिए पहचाने जाने वाले सिद्धू अगर कांग्रेस में टिके रहे तो देर-सबेर उन्हें उनकी मंजिल मिल ही जाएगी।