चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने अपने एक नए बयान से कांग्रेस को नसीहत दी है। पीके ने कहा है कि बीजेपी कई दशकों तक कहीं नहीं जाने वाली और दिक्क़त इस बात की है कि राहुल गांधी इसे नहीं समझते। पीके ने यह बात बुधवार को गोवा में आयोजित सवाल-जवाब के एक कार्यक्रम में कही। पीके के इस बयान वाले वीडियो को लोग सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं।
पीके वहां मौजूद लोगों से कहते हैं, “बीजेपी भारतीय राजनीति के केंद्र में रहेगी। चाहे वह हारे या जीते, ठीक उसी तरह जिस तरह कांग्रेस 40 साल तक रही। बीजेपी कहीं नहीं जाएगी। एक बार आप देश भर में कुल 30 फ़ीसदी से ज़्यादा वोट हासिल कर लेते हैं तो आपको जल्दी कोई ख़तरा नहीं होता।”
पीके अपनी बात को और साफ करते हुए कहते हैं, “लोग इस तरह की बातों के जाल में नहीं फंसें कि लोग नाराज़ हो रहे हैं और वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नकार देंगे।”
पीके आगे कहते हैं कि हो सकता है कि लोग मोदी को नकार दें लेकिन बीजेपी कहीं नहीं जाएगी। पीके का कहने का मतलब साफ है कि बीजेपी अगले कुछ सालों तक भारतीय राजनीति की धुरी बनी रहेगी।
कई राजनीतिक दलों के लिए चुनाव रणनीति बनाकर उन्हें कामयाबी दिला चुके पीके आगे कहते हैं, “यहीं पर राहुल गांधी के साथ शायद परेशानी है कि वह यह सोचते हैं कि यह बस वक़्त भर की बात है और कुछ वक़्त बाद लोग प्रधानमंत्री मोदी को हटा देंगे। ऐसा नहीं होने जा रहा है।”
पीके का 'प्लान'
इस साल जुलाई में ऐसी ख़बर आई थी कि पीके ने कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए एक 'प्लान' दिया है और कांग्रेस के भीतर इसे लेकर मंथन भी हुआ। यह 'प्लान' 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी को फिर से चुस्त-दुरुस्त करने का था। कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों के बीच इस 'प्लान' को लेकर बैठकें भी हुई थीं। सीडब्ल्यूसी पार्टी में अहम फ़ैसले लेने वाली सर्वोच्च संस्था है।
चुनावी रणनीतिकार के रूप में पीके अपनी क्षमताओं को साबित कर चुके हैं। पीके की कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल और प्रियंका गांधी से मुलाक़ात हो चुकी है और लंबे वक्त से उनके बारे में ऐसी चर्चा थी कि वह कांग्रेस में शामिल होंगे लेकिन यह बात परवान नहीं चढ़ सकी।
कामयाब रणनीतिकार हैं पीके
कई राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बना चुके प्रशांत किशोर हाल ही में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में अपने चुनाव प्रबंधन का लोहा मनवा चुके हैं। कांग्रेस जिस तरह लगातार दो लोकसभा चुनाव हारी है और कई राज्यों में पस्त हुई है, ऐसे में पीके ने जो 30 फ़ीसद वोट वाली बात कही है, वह काफ़ी हद तक सही है लेकिन इस मामले में सारा दोष सिर्फ़ कांग्रेस के मत्थे नहीं मढ़ा जा सकता।
विपक्ष में ऐसे कई नेता हैं, जो बीजेपी के ख़िलाफ़ एक यूनाइटेड फ्रंट बनाने की मज़बूत पहल कर सकते हैं। इनमें ममता बनर्जी से लेकर नवीन पटनायक और केसीआर से लेकर चंद्रबाबू नायडू तक शामिल हैं। लेकिन ममता बनर्जी लगातार कांग्रेस के बड़े नेताओं को तोड़ रही हैं और दूसरी ओर वह यह उम्मीद भी करती हैं कि कांग्रेस उनके साथ खड़ी दिखे, ऐसा होना मुश्किल होगा। बिना मज़बूत यूनाइटेड फ्रंट के बीजेपी को हराना मुश्किल होगा।
पीके का यह ताज़ा बयान इस ओर इशारा करता है कि हाल फिलहाल वह कांग्रेस में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने भी उन पर तंज कसते हुए कहा था कि पीके पहले पार्टी में आएं और उसके बाद ही पार्टी को कोई सलाह दें।
इस तरह की ख़बरें भी आम हैं कि कांग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़कर टीएमसी में जाने में पीके का हाथ है। गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुईजिन्हो फलेरो इस बात का संकेत दे चुके हैं। फलेरो के अलावा महिला कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं सुष्मिता देव और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष रहे ललितेश पति त्रिपाठी भी कांग्रेस छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए हैं।