इंडिया गठबंधन को लेकर जारी तमाम बयानबाजी के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को फोन पर नीतीश से बात की। इसकी पुष्टि जेडीयू नेता और पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने की है। सूत्रों का कहना है कि खड़गे ने नीतीश से कहा है कि पांच राज्यों में चुनाव के बाद सारे मुद्दों पर बात की जाएगी। अभी सभी नेताओं को बयानबाजी से बचना चाहिए।
इंडिया गठबंधन में मतभेद की खबरें अब जगजाहिर हैं। नीतीश और अखिलेश के बयान कांग्रेस के विरोध में आए हैं, वहीं आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने एमपी और राजस्थान में प्रत्याशी खड़े कर अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं।
बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने तीन दिनों पहले सीपीआई के मंच से कांग्रेस के रवैए को लेकर और इंडिया गठबंधन के सुस्त पड़ जाने को लेकर बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस पार्टी को इंडिया गठबंधन की चिंता नहीं है, कांग्रेस के पास इसके लिए फुर्सत ही नहीं है। वह पांच राज्यों के चुनाव में ही व्यस्त है। इसके कारण गठबंधन का कामकाज प्रभावित हुआ है। सीएम ने कहा कि विपक्षी गठबंधन के नेता कांग्रेस को बढ़ाना चाहते हैं। कांग्रेस को गठबंधन में आगे करना चाहते हैं। लेकिन गठबंधन पर बात नहीं हो पा रही है। नीतीश कुमार ने कहा कि अब हम लोग इंडिया गठबंधन को लेकर आगे की बातें पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही बैठकर तय करेंगे।
नीतीश ने हालांकि मतभेद को लेकर कोई बात नहीं कही थी लेकिन इसका मतलब इंडिया गठबंधन में मतभेद से ही लगाया था। खड़गे ने शुक्रवार रात जो बात फोन पर की और जिसे मीडिया तक सूत्र पहुंचा रहे हैं, वही बात खड़गे ने भी कही। खड़गे ने भी यही कहा कि पांच राज्यों के चुनाव के बाद बात होगी।
इस बीच एनडीटीवी के साथ खास बातचीत में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार के बयान पर प्रतिक्रिया दी।खड़गे ने कहा कि मुख्यमंत्री को एहसास हो गया है कि कांग्रेस व्यस्त है और गठबंधन पर बातचीत चुनाव के बाद हो सकती है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "हमारा अंतिम लक्ष्य 2024 है। वे (सहयोगी) सभी अच्छे लोग हैं, वे अच्छी तरह समझते हैं। वे सभी भाजपा को हराने की योजना तैयार कर रहे हैं।"
नीतीश के बयान से पहले समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी कांग्रेस पर हमलावर थे। उन्होंने पहले तो मध्य प्रदेश चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारकर अपनी रणनीति का संकेत दे दिया। इसके बाद सपा और कांग्रेस में कथित गठबंधन की बात चली लेकिन यूपी के नए प्रदेश अध्यक्ष अजय रॉय के बयान ने अखिलेश का मूड खराब कर दिया। हालांकि कांग्रेस नेतृत्व ने अजय रॉय को चुप करा दिया लेकिन अखिलेश चुप नहीं हुए। इसके बाद उनकी पार्टी की बैठक हुई जिसमें उन्होंने घोषणा कर दी कि सपा यूपी लोकसभा चुनाव में 65 सीटों पर लड़ेगी और 15 सीटें अपने सहयोगियों के लिए छोड़ेगी। अखिलेश के इस पैंतरे से साफ हो गया कि वो कांग्रेस पर दबाव बनाना चाहते हैं।
इंडिया गठबंधन में बहुत कुछ बेहतर तो नहीं चल रहा है। इंडिया गठबंधन के दल इस बात को नहीं समझ पा रहे हैं कि इन पांच राज्यों (एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम) में कांग्रेस मुख्य दल है जो सत्ता में है या विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है। वो इन पांच राज्यों से आंखें मूंद कर सिर्फ इंडिया गठबंधन में नहीं जुट सकती। इन पांच राज्यों में अगर नतीजे कांग्रेस के पक्ष में ज्यादा पॉजिटिव आए तो इससे न सिर्फ कांग्रेस को बल्कि इंडिया गठबंधन को भी मजबूती मिलेगी। लेकिन नीतीश, अखिलेश और केजरीवाल अपने दांव खेल रहे हैं। उन्हें लगता है कि अगर इन चुनावों में कांग्रेस के पक्ष में मुकाबला 3-2 से भी रहा तो भी कांग्रेस को बढ़त हासिल होगी। ऐसे में इंडिया गठबंधन के अंदर क्षेत्रीय दलों या उनके क्षत्रपों की स्थिति कमजोर होगी। इसलिए वे इन चुनाव से पहले कांग्रेस पर दबाव बनाकर लोकसभा के लिए सीट शेयरिंग करना चाहते हैं।
यहां अखिलेश से एक सवाल तो बनता ही है कि आखिर यूपी में वो पिछले लोकसभा चुनाव में कितनी सीटें जीते थे जो अब उन्होंने 2024 के लिए 65 सीटों पर यूपी में लड़ने की घोषणा कर दी है। सपा पांच सीटें जीती थी, जबकि बसपा 10 सीटें जीती थी। कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत सकी थी। अखिलेश को अभी यह तक नहीं मालूम है कि 2024 में उनके प्रत्याशी कौन होंगे, अगर 65 नामों की घोषणा अखिलेश अभी कर देते तो माना जाता कि पार्टी अभी से प्रचार अभियान में जुटना चाहती है। इसी तरह बिहार में नीतीश आरजेडी पर निर्भर हैं। अकेले जेडीयू कितनी लोकसभा सीटें जीत सकती है, यह सभी जानते हैं। कुल मिलाकर अगर कांग्रेस इंडिया गठबंधन को लेकर समझदारी नहीं दिखा रही है तो इंडिया गठबंधन के क्षेत्रीय क्षत्रप भी समझदारी नहीं दिखा रहे हैं।