राहुल से मिले संजय राउत; बोले- विपक्ष का एक ही फ्रंट होना चाहिए

06:25 pm Dec 07, 2021 | सत्य ब्यूरो

शिव सेना के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाक़ात की। यह मुलाक़ात 45 मिनट तक चली। राउत बुधवार को पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलेंगे। बीते दिनों पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जब ये कहा कि यूपीए क्या है और यूपीए कुछ नहीं है तो शिव सेना ने उन्हें जवाब दिया था। 

मुलाक़ात के बाद राउत ने पत्रकारों से कहा, “विपक्ष को कैसे साथ रखना है, इस बारे में चर्चा हुई है। हमने पहले भी कहा है कि अगर कोई फ्रंट बनता है तो वह कांग्रेस के बिना संभव नहीं है। कोई अगर अलग फ्रंट बनाएगा तो कांग्रेस के नेतृत्व वाला फ्रंट तो अपना काम करेगा ही।” उन्होंने कहा कि राहुल गांधी जल्द ही मुंबई आने वाले हैं और मुलाक़ात के दौरान पांच राज्यों के चुनाव पर भी बात हुई है। 

उन्होंने कहा कि विपक्ष का एक ही फ्रंट होना चाहिए और ज़्यादा फ्रंट का कोई मतलब नहीं है। शिव सेना के मुख्य प्रवक्ता ने कहा कि वह इसे लेकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को जानकारी देंगे। 

विपक्ष का एक ही फ्रंट होना चाहिए, यह बयान देकर शिव सेना ने ममता बनर्जी को साफ संदेश दिया है कि वह कांग्रेस के बिना अलग से कोई फ्रंट बनाने की कोशिश न करें।

राउत ने कुछ दिन पहले भी कहा था, “कई राज्यों में कांग्रेस का आधार है। कांग्रेस के साथ हम सब मिलकर काम करें तो एक अच्छा फ्रंट बन बनेगा। जहां सब लोग एक साथ रहें और इसका आदर्श उदाहरण महाराष्ट्र है।” 

शिव सेना ने अपने मुखपत्र सामना में भी लिखा था कि कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखकर सियासत करना मौजूदा ‘फासिस्ट’ राज की प्रवृत्ति को बल देने जैसा है। 

महा विकास अघाडी सरकार में शामिल शिव सेना ने सामना में खुलकर कांग्रेस की तरफ़दारी करते हुए कहा था कि आज भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की राजनीतिक बदनामी की जा रही है और वे इससे संघर्ष कर रहे हैं। 

शिव सेना ने कहा था कि अगर प्रियंका लखीमपुर खीरी नहीं पहुंचतीं तो किसानों की हत्या का मामला रफा-दफा हो गया होता। यही विपक्ष का काम है। ममता बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर को जवाब देते हुए शिव सेना ने कहा था कि यूपीए नेतृत्व का दैवीय अधिकार किसका यह आनेवाला समय तय करेगा, पहले विकल्प खड़ा करो!

निश्चित रूप से शिव सेना ने यह साफ कर दिया है कि बीजेपी और एनडीए के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय स्तर पर कोई गठबंधन बनाना है तो कांग्रेस को साथ लेना ही होगा। लेकिन ममता बनर्जी शायद ऐसा नहीं चाहतीं। वे कांग्रेस को पीछे रखकर ख़ुद एक गठबंधन बनाकर उसका नेतृत्व करना चाहती हैं लेकिन सवाल यही है कि तमाम बड़े क्षेत्रीय दल क्या ममता को अपना नेता मान लेंगे?