राजस्थानः नई पार्टी घोषित करने की हिम्मत नहीं कर पाए पायलट

03:49 pm Jun 11, 2023 | सत्य ब्यूरो

राजस्थान में आज 11 जून को वैसा कुछ नहीं हुआ, जैसा तमाम राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस नेता सचिन पायलट से उम्मीद लगाए बैठे थे। सचिन पायलट ने भाजपा को भी निराश किया, जो सचिन पायलट से 11 जून को बगावती तेवर की उम्मीद कर रही थी। सचिन पायलट को आज न जाने क्या हुआ, वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ भी कुछ नहीं बोले। कांग्रेस ने पहले ही इन संभावनाओं को खारिज कर दिया था कि पायलट किसी राजनीतिक दल की घोषणा कर सकते हैं।

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक आज 11 जून को सचिन पायलट के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट की पुण्य तिथि है। इस मौके पर राजस्थान के दौसा में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस मौके पर सचिन की कथित नई पार्टी की घोषणा की अटकलें थीं।

इस प्रोग्राम में सचिन समर्थक विधायकों के अलावा गहलोत कैबिनेट के कई मंत्री भी इस कार्यक्रम में पहुंचे। गहलोत ने खुद भी ट्वीट कर राजेश पायलट को याद किया। सचिन पायलट के भाषण की भाषा संयमित रही, हालांकि उन्होंने हल्केफुल्के कटाक्ष और संकेतों में अपनी बात कहने की कोशिश की। उनके बगावती सुर आज दौसा में गायब थे।

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक सचिन ने अपने घरेलू मैदान दौसा में अपने पिता राजेश पायलट की पुण्यतिथि को चिह्नित करने के लिए आज एक मेगा कार्यक्रम का नेतृत्व करते हुए कोई घोषणा नहीं की। लेकिन उनके भाषण से तमाम संकेतों को समझा जा सकता है। 45 साल के सचिन ने कहा- "मैंने युवाओं के बेहतर भविष्य के लिए बात की है। यहां के लोगों ने हमेशा मेरा समर्थन किया है। मेरी आवाज कमजोर नहीं है, मैं पीछे नहीं हटूंगा। देश को सच्चाई की राजनीति की जरूरत है। मैं नहीं चाहता कि लोग भविष्य के साथ खिलवाड़ करें। मेरी नीति स्पष्ट है, मैं स्वच्छ राजनीति चाहता हूं।"

इस मौके पर स्वर्गीय राजेश पायलट की प्रतिमा पर प्रार्थना और गुर्जर छात्रावास में एक नई प्रतिमा का अनावरण किया गया। यहां हर साल  कार्यक्रम होता है। आयोजन से पहले, पायलट के समर्थकों ने भी इन अटकलों का खंडन किया कि वह राजस्थान में चुनाव के लिए छह महीने के भीतर एक नई पार्टी शुरू कर सकते हैं। लेकिन कांग्रेस नेता ने इस मुद्दे पर एक रणनीतिक चुप्पी बनाए रखी, जिससे हर कोई उनके अगले कदम के बारे में अनुमान लगा रहा था।

कांग्रेस पार्टी ने एक नई पार्टी शुरू करने की अफवाहों को दूर करने की कोशिश की है, जिसमें कहा गया है कि वे एकजुट होकर चुनाव लड़ेंगे। राजस्थान के घटनाक्रम के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, 'हमारे पार्टी अध्यक्ष और हम निश्चित रूप से महसूस करते हैं कि इस मुद्दे का कोई सकारात्मक समाधान निकलेगा।'

पीटीआई के मुताबिक कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने भी उन अफवाहों को खारिज कर दिया कि पायलट अपनी पार्टी की घोषणा कर सकते हैं और कहा कि कांग्रेस राजस्थान के विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ेगी।

वेणुगोपाल ने पीटीआई से कहा कि "मैं अफवाहों पर विश्वास नहीं करता। वास्तविकता यह है कि कांग्रेस अध्यक्ष और राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट के साथ चर्चा की और उसके बाद, हमने कहा कि हम एक साथ चलेंगे। यह कांग्रेस पार्टी की स्थिति है।"

उधर, सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत दोनों ने तनाव को दूर किए बिना, राजेश पायलट की सराहना करते हुए ट्विटर पर संदेश साझा किए।

चुनावी वर्ष में राजस्थान में अपने शीर्ष नेताओं के बीच तनाव को कम करने के लिए, कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने पिछले सप्ताह गहलोत और पायलट के साथ मैराथन चर्चा की थी। बैठकों के बाद, पार्टी ने घोषणा की कि गहलोत और पायलट आगामी विधानसभा चुनावों को एकजुट होकर लड़ने के लिए सहमत हो गए हैं और पार्टी नेतृत्व पर सभी मुद्दों को छोड़ दिया है।

2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से ही गहलोत और पायलट सत्ता के लिए संघर्ष कर रहे हैं। 2020 में पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह का नेतृत्व किया, जिसके बाद उन्हें पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष पद और उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन की पिछले साल कांग्रेस नेतृत्व ने प्रयास किया लेकिन गहलोत के वफादार विधायकों ने साफ कर दिया कि वे ऐसा नहीं होने देंगे। विधायक दल की बैठक नहीं हो पाई और गहलोत को हटाने का प्लान भी फेल हो गया।

पायलट के करीबी सूत्रों ने दावा किया है कि वह उन मुद्दों का समाधान चाहते हैं जो उन्होंने उठाए हैं, विशेष रूप से उनकी मांग है कि अशोक गहलोत सरकार पिछले भाजपा शासन के दौरान कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करे।

इस तरह सचिन पायलट की लड़ाई अब नेतृत्व परिवर्तन के बजाय भ्रष्टाचार के खिलाफ हो गई है। यह मुमकिन नहीं है कि अगले 6 महीनों में पायलट अलग पार्टी बनकर चुनाव लड़ें। इससे पहले उन्होंने जब-जब विद्रोह किया है, वो 20 विधायक भी नहीं जुटा सके। पायलट को अपनी अंदरुनी स्थिति मालूम है। इसलिए अब वो अगले चुनाव तक कांग्रेस नेतृत्व से बना कर चलेंगे, ताकि अपने लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट दिला सकें।