कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ किसानों के आंदोलन को समर्थन दे चुकी कांग्रेस के बड़े नेता अब ख़ुद भी किसानों के बीच में पहुंच रहे हैं। प्रियंका गांधी के सहारनपुर में कांग्रेस द्वारा आयोजित किसान महापंचायत में पहुंचने के बाद राहुल गांधी दो दिन के राजस्थान के दौरे पर हैं। राहुल की कोशिश किसानों के बीच में पार्टी का आधार बढ़ाने की है। दूसरी ओर, किसान भी लगातार महापंचायतों का आयोजन कर रहे हैं और अपने आंदोलन को विस्तार दे रहे हैं।
राहुल का दो दिनों में पांच किसान महापंचायतों को संबोधित करने का कार्यक्रम है। संसद में भी वह कृषि क़ानूनों को किसानों के ख़िलाफ़ बता चुके हैं। राहुल ने गुरूवार को संसद में मोदी सरकार को घेरा था और कहा था कि इस देश को सिर्फ़ चार लोग चला रहे हैं और सरकार के कृषि क़ानूनों का फ़ायदा पूंजीपतियों को होगा।
पीलीबंगा में हुई किसान महापंचायत में राहुल ने चीन के द्वारा भारत की ज़मीन कब्जा करने का आरोप लगाया कि प्रधानंमत्री चीन के साथ सामने तो खड़े नहीं हो सकते लेकिन किसानों को अपनी ताक़त दिखाते हैं। राहुल ने कहा कि सरकार को कृषि क़ानूनों को तुरंत रद्द करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों से उनकी ज़मीन, उनका भविष्य छीन रही है।
राहुल गांधी कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ पंजाब में ट्रैक्टर यात्रा निकालने से लेकर कई बार राष्ट्रपति से मिलकर उन्हें ज्ञापन भी दे चुके हैं। कांग्रेस ने पिछले महीने की 15 जनवरी को देश भर में राज्यपालों के आवास (राजभवन) का घेराव किया था और सरकार से कहा था कि सरकार को ये क़ानून वापस लेने ही होंगे।
जिस तरह पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा के साथ ही राजस्थान की भी किसान महापंचायतों में भीड़ उमड़ी है, उससे निश्चित रूप से बीजेपी और मोदी सरकार की चिंताएं बढ़ी हैं।
जाट वोटों को साधने की कोशिश
किसान आंदोलन में पंजाब से लेकर हरियाणा, वेस्ट यूपी और राजस्थान की जाट आबादी खासी सक्रिय है। राहुल अपने दौरे के दूसरे दिन शनिवार को अजमेर जिले के सुरसुरा में स्थित तेजाजी मंदिर भी जाएंगे। जाट समुदाय तेजाजी को ईश्वर मानता है।
राजस्थान दौरे के दौरान राहुल गांधी नागौर, हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर के इलाक़ों में भी जाएंगे और ये सभी इलाक़े जाट बहुल हैं। सचिन पायलट को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने के बाद नए अध्यक्ष बनाए गए गोविंद सिंह डोटासरा भी जाट समुदाय से आते हैं। राजस्थान में भी जाट सबसे बड़ा समुदाय है और राज्य में इनकी आबादी 10 फीसदी है।
कांग्रेस जानती है कि राजस्थान में उसकी सरकार पर ऑपरेशन लोटस के साथ ही गहलोत-पायलट विवाद के कारण अस्थिर होने का ख़तरा बना हुआ है। ऐसे में राहुल की कोशिश गहलोत-पायलट विवाद के कारण पार्टी को हुए नुक़सान की भरपाई करने की भी है।
कांग्रेस के लिए मौक़ा
राहुल ने किसान महापंचायत में एक बार फिर कहा कि कांग्रेस किसानों के साथ खड़ी रहेगी। लोकसभा चुनाव 2019 में मिली हार के बाद बिहार, दिल्ली और हैदराबाद नगर निगम चुनाव में बेहद ख़राब प्रदर्शन और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं द्वारा सोनिया गांधी के नेतृत्व पर ही सवाल उठाए जाने से हलकान कांग्रेस के लिए किसान आंदोलन एक ऐसा सियासी मौक़ा है, जहां वह ख़ुद को फिर से खड़ा कर सकती है।
यह भी साफ है कि अब यह आंदोलन पंजाब-हरियाणा से बाहर निकल रहा है। किसान नेता राकेश टिकैत को 20 फ़रवरी को महाराष्ट्र के यवतमाल में किसान महापंचायत में बुलाया गया है।
प्रियंका पहुंचीं थीं सहारनपुर
प्रियंका गांधी ने भी सहारनपुर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ‘जय जवान जय किसान’ अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 10 दिन तक 27 जिलों में चलेगा और इसमें पार्टी के कई बड़े नेता शामिल होंगे। इन जिलों में सहारनपुर, शामली, मुज़फ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बाग़पत, हापुड़, बुलंदशहर, अलीगढ़ सहित अन्य जिले शामिल हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सियासी हवा बदलती दिख रही है।