भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की पार्टी से समझौता करने का दबाव सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर बढ़ता जा रहा है। बिहार के प्रमुख नेता जीतनराम मांझी ने चंद्रशेखर का समर्थन करते हुए कहा कि बिहार चुनाव से अखिलेश को सबक लेना चाहिए।
अखिलेश यादव ने दो दिनों पहले कहा था कि सपा चंद्रशेखर आजाद की पार्टी को दो सीटें देने को तैयार थी लेकिन वो पांच सीटें मांग रहे थे। इसके बाद उन्हें किसी का फोन आया और वो पलट गए। चंद्रशेखर आजाद ने उसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि अखिलेश नहीं चाहते कि दलितों की आवाज बुलंद हो।
सूत्रों के मुताबिक चंद्रशेखर की पार्टी आजाद समाज पार्टी को सपा गठबंधन में लाने की कोशिशें फिर से शुरू हो गई हैं। नई पेशकश में एमएलसी बनाया जाना भी प्रस्तावित है। यानी सपा दो सीटें और एमएलसी बनाने को तैयार है। जबकि चंद्रशेखर मंत्री पद का आश्वासन भी चाहते हैं। चंद्रशेखर की यह शर्त भी बताई जा रही है कि अखिलेश दलितों के संबंध में ठीक तरह से बयान भी दें।
इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार में दलितो-पिछड़ों के बड़े नेता जीतनराम मांझी ने भी अखिलेश को सलाह दी है कि वो बिहार के पिछले चुनाव से सबक लें। उन्होंने अगर सीख ली होती तो भीम आर्मी चीफ को नजरन्दाज नहीं करते। समझा जाता है कि जीतनराम मांझी के बयान के बाद सपा के कुछ बड़े नेताओं ने भीम आर्मी चीफ से संपर्क साधा है। चंद्रशेखर की अखिलेश से फिर से बात कराई जाएगी। अभी भी सपा ने बहुत सारी सीटों की सूची फाइनल नहीं की है, इसलिए गुंजाइश तलाशी जा रही है। सपा के पास कोई चर्चित दलित चेहरा भी नहीं है। ऐसे में चंद्रशेखर को साथ लेकर दलित मतदाताओं में संदेश तो दिया ही जा सकता है।
बता दें कि सहारनपुर में दलितों पर अत्याचार को मुद्दा बनाकर चंद्रशेखर लोकप्रिय हुए थे। इसके बाद उन्होंने शाहीनबाग आंदोलन में हिस्सा लिया। दिल्ली में गिरफ्तारी दी। जोरबाग, दिल्ली में शाह-ए-मरदां दरगाह पर गए और वहां बयान दिया था कि दलित-मुस्लिम गठबंधन ही इस देश की राजनीति की दिशा बदल सकता है। योगी सरकार के कार्यकाल में चंद्रशेखर पर कई केस दर्ज किए गए। यूपी में दलितों से जुड़ी कोई भी घटना होने पर वो फौरन उस मामले को उठाते हैं।