4 जून को आम चुनाव 2024 के नतीजे आने के बाद पीएम मोदी के भाषणों से मोदी शब्द गायब है और अब तक 60 बार एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का जिक्र हो चुका है। सिर्फ एक बार को छोड़कर, उन्होंने खुद को बढ़ाचढ़ा कर पेश करने परहेज किया। पहले ऐसा नहीं था। पहले मैं ही मैं था।
इसी के मद्देनजर चुनाव नतीजों से ठीक पहले अगर उनकी चार चुनावी रैलियों को याद करें तो उनमें उन्होंने खुद को 29 बार संदर्भित किया और 13 बार "मोदी सरकार" और चार बार "मोदी की गारंटी" का जिक्र किया।
प्रधानमंत्री की बदलती भाषा नई राजनीतिक विवशता का आइना है: अपने दम पर बहुमत हासिल करने में असमर्थ मोदी और शाह की भाजपा अब अपने एनडीए सहयोगियों पर निर्भर है। 2019 के चुनावों में जब भाजपा ने 543 में से 303 लोकसभा सीटें जीतीं थीं, तो प्रधानमंत्री ने अपने पहले भाषण में 12 बार अपनी पार्टी का उल्लेख किया था, और गठबंधन का सिर्फ तीन मौकों पर उल्लेख किया था। हालाँकि, पिछले हफ्ते, जब यह साफ हो गया कि भाजपा इस बार 240 के करीब हैं, पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए, मोदी ने सिर्फ सात बार भाजपा और 16 बार एनडीए का जिक्र किया।
भारतीय संविधान की कसम खाने वाले, माथे से लगाने वाले मोदी ने सत्ता में वापस आने के बाद से अपने भाषणों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से मुसलमानों का जिक्र करने से भी परहेज किया है। चुनाव के दौरान, मोदी ने बार-बार भारत के मुसलमानों का जिक्र किया वो कैसे भुलाया जा सकता है।
आम चुनाव 2024 में भाजपा का चुनाव अभियान "मोदी की गारंटी" वादों के इर्द-गिर्द केंद्रित था। यह शब्द भाजपा के घोषणापत्र की टैगलाइन भी थी। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों में इस शब्द का बार-बार इस्तेमाल किया। मोदी की गारंटी ऐसे मुद्दों पर भी दी गई, जिनका जिक्र भाजपा के घोषणापत्र में नहीं था। जिसमें राज्यों से जुड़े वादे थे।
चुनाव नतीजों के बाद, मोदी चाहते तो एनडीए की "गारंटी" का इस्तेमाल वादों को पूरा करने के लिए कर सकते थे। लेकिन उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल ही बंद कर दिया। 4 जून को नतीजों के बाद अपने पहले भाषण में मोदी ने अपने दूसरे कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा, 'एनडीए का दूसरा कार्यकाल विकास और विरासत की गारंटी बन गया। 2024 में हम इसी गारंटी के साथ देश के कोने-कोने में लोगों का आशीर्वाद लेने गए। आज तीसरी बार एनडीए को आशीर्वाद मिला है।' इस भाषण में एनडीए को ही महत्व दिया गया।
2019 में अपने विजय भाषण में, मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह और "भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ सहयोगियों" के संदर्भ से की। बाद में वह एनडीए पर आए और जीत में योगदान के लिए अपनी पार्टी के सहयोगियों को धन्यवाद दिया। इसके विपरीत, 4 जून को अपने भाषण में, मोदी ने अपने पहले ही वाक्य में एनडीए गठबंधन का जिक्र किया और नतीजों को एनडीए की जीत बताया। अपने भाषण में मोदी ने नीतीश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) की जीत की तारीफ की। अब यही दोनों पार्टियां मोदी सरकार चलाने में बैसाखी का काम कर रही हैं। फिर भाजपा संसदीय दल की बैठक में भी इन दोनों का नाम लिया।
क्या ब्रांड मोदी की चमक फीकी पड़ीः 4 जून को नतीजे आने के बाद तो खैर मोदी अपना खुद का जिक्र करने से बच रहे हैं और उसमें जबरदस्त गिरावट आई है। लेकिन 30 मई को अंतिम चरण का चुनाव प्रचार समाप्त होने से पहले मोदी ने पंजाब के होशियारपुर, ओडिशा के मयूरभंज और केंद्रपाड़ा और पश्चिम बंगाल के मथुरापुर में जिन चार चुनावी रैलियों को संबोधित किया, उनमें प्रधानमंत्री ने खुद को 29 बार संदर्भित किया। मैं ही मैं था।
अकेले केंद्रपाड़ा में उनके भाषण में खुद का 12 बार जिक्र किया था। अपनी पार्टी की सफलता को खुद से जोड़ते हुए उन्होंने कहा: "जितनी अधिक संख्या में आप विधायक चुनेंगे, उतनी अधिक शक्ति आप मोदी को देंगे।" लोगों ने ओडिशा विधानसभा में भाजपा को प्रचंड बहुमत दिया है।
नतीजों के बाद से, मोदी ने चार मौकों पर सार्वजनिक रूप से बात की है - 4 जून को पार्टी मुख्यालय में, 7 जून को एनडीए संसदीय दल की बैठक में, सरकार बनाने का दावा पेश करने के बाद उसी दिन मीडिया ब्रीफिंग में और पीएमओ में अधिकारियों से बैठक की। सिर्फ पार्टी मुख्यालय की बैठक में एक बार मोदी शब्द का इस्तेमाल किया। मोदी ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि अगर आप 10 घंटे काम करोगे तो मोदी 18 घंटे काम करेगा। आप दो कदम चलोगे तो मोदी चार कदम चलेगा। तीसरे कार्यकाल में देश नया इतिहास लिखेगा, बड़े फैसले होंगे, यह मोदी की गारंटी है।