कांग्रेस को अलविदा कहने वालीं सुष्मिता देव के मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने हाईकमान को निशाने पर ले लिया है। सिब्बल ने कहा, “सुष्मिता देव ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया, जब युवा नेता पार्टी छोड़ते हैं तो हमारे जैसे पुराने लोगों को पार्टी को मजबूत करने की कोशिशों के लिए दोषी ठहराया जाता है।”
इसके आगे उन्होंने अपने हमले को तेज़ करते हुए कहा कि पार्टी आंखें बंद करके आगे बढ़ती है।
टीएमसी में शामिल हुईं सुष्मिता
बता दें कि सुष्मिता देव को कांग्रेस में टीम राहुल का सदस्य माना जाता था। सुष्मिता देव ने सोमवार को ही कांग्रेस छोड़ने का एलान किया और कुछ ही घंटे बाद टीएमसी का हाथ थाम लिया। सुष्मिता देव अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे बड़े पद पर थीं लेकिन बावजूद इसके उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया।
सुष्मिता को टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और पार्टी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने टीएमसी में शामिल किया।
सिब्बल कांग्रेस के अंदर बदलाव की मांग उठाते रहे हैं। सिब्बल कांग्रेस में उस जी-23 गुट के सदस्य हैं, जिसने स्थायी अध्यक्ष और आंतरिक चुनाव की मांग को लेकर पार्टी में मोर्चा खोला हुआ है। इस गुट में सिब्बल ही कांग्रेस हाईकमान के ख़िलाफ़ सबसे मुखर रहे हैं।
सिब्बल के अलावा पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के बेटे और सांसद कार्ति चिदंबरम ने भी इस मामले में ट्विटर पर अपनी राय रखी है। कार्ति चिदंबरम ने एक पत्रकार को जवाब देते हुए लिखा है कि हमें इस बात पर गहराई से चिंतन करना होगा कि सुष्मिता देव जैसे लोग हमारी पार्टी छोड़कर क्यों जा रहे हैं।
डिनर से मची थी खलबली
सिब्बल ने 9 अगस्त को अपने जन्मदिन के मौक़े पर विपक्षी नेताओं को डिनर पर बुलाया था। इस डिनर में उन दलों के नेता भी जुटे थे जो संसद में बीते दिनों दिखी विपक्षी एकता से दूर रहे थे। ये दल बीजेडी, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस थे।
इसके अलावा शरद पवार और अखिलेश यादव भी राहुल गांधी के नाश्ते पर नहीं गए थे जबकि दोनों नेता सिब्बल के डिनर में आए थे।
डिनर के बाद राजनीतिक गलियारों में तमाम तरह की चर्चाएं थीं, क्योंकि इसमें जी-23 गुट के बड़े नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, भूपिंदर सिंह हुड्डा, शशि थरूर, मनीष तिवारी और पृथ्वीराज चव्हाण भी शामिल हुए थे। जबकि ऐसे कांग्रेस नेता जो जी-23 गुट में शामिल नहीं हैं, उनमें पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने डिनर में शिरकत की थी।
इस डिनर में मौजूद अकाली दल के नेता नरेश गुजराल ने कांग्रेस नेताओं से साफ कहा था कि पार्टी को अब परिवार के चंगुल से मुक्त हो जाना चाहिए।
नेतृत्व का संकट बरकरार
कांग्रेस में नेतृत्व का संकट कब हल होगा, ये सवाल ऐसा है जिसे पार्टी आलाकमान लंबे समय से टालता जा रहा है। काफी समय से पार्टी के वरिष्ठ नेता मुखर होकर यह सवाल उठा चुके हैं लेकिन इस मामले के साथ ही पार्टी में आंतरिक चुनाव की मांग के मुद्दे पर भी कोई फ़ैसला नहीं हो सका है। पार्टी के वरिष्ठ नेता कांग्रेस में निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था सीडब्ल्यूसी में भी पारदर्शी ढंग से चुनाव चाहते हैं।
सिब्बल कह चुके हैं कि लोग अब कांग्रेस को एक प्रभावी विकल्प के रूप में नहीं देखते और पार्टी नेतृत्व उन मुद्दों पर ध्यान नहीं दे रहा है, जिनसे पार्टी जूझ रही है। उनके इस बयान पर कांग्रेस के ही कई सियासी दिग्गजों गहलोत ने उनके ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया था।
कमजोर हो रही पार्टी
हालांकि राहुल गांधी ने संसद के मानसून सत्र में विपक्षी दलों के साथ मिलकर केंद्र सरकार को घेरा था। किसान आंदोलन और पेगासस जासूसी के मामले में भी राहुल बेहद सक्रिय दिखे और विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने में कामयाब रहे लेकिन एक के बाद एक करके पार्टी छोड़ रहे नेताओं के कारण कांग्रेस निश्चित रूप से कमजोर हो रही है और 2022 के अहम चुनावी साल से पहले इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम पार्टी के भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं हैं।