कांग्रेस: गहलोत को क्लीनचिट, उनके 3 वफादारों को नोटिस!

09:47 pm Sep 27, 2022 | सत्य ब्यूरो

लगता है कि कांग्रेस में अब राजस्थान संकट को कम करने की तैयारी शुरू हो गई है। रिपोर्ट है कि कांग्रेस के कई नेता अब अशोक गहलोत से मेलजोल बढ़ाने की तैयारी में हैं। इसी के साथ ख़बर तो यह भी है कि पर्यवेक्षकों ने कांग्रेस अध्यक्ष को जो रिपोर्ट सौंपी है उसमें गहलोत को क्लीनचिट दी गई है। गहलोत के जल्द ही सोनिया गांधी से मिलने की तैयारी भी है। हालाँकि, गहलोत के तीन वफादारों पर कार्रवाई हो सकती है। पार्टी ने अब राजस्थान के तीन नेताओं को 'गंभीर अनुशासनहीनता' के लिए कारण बताओ नोटिस दिया है और 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।

यह रिपोर्ट तब आई है जब आज ही ख़बर आई थी कि सोनिया गांधी कथित तौर पर राजस्थान में हुए ताज़ा राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर अशोक गहलोत से नाराज़ हैं। आज की ही एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार गहलोत ने केंद्रीय पर्यवेक्षक के तौर पर राजस्थान आए वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे से रविवार को हुए सियासी घटनाक्रम के लिए माफी मांगी है। गहलोत ने कहा है कि ऐसा नहीं होना चाहिए था और उनका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है। 

बहरहाल, रिपोर्ट है कि पर्यवेक्षकों ने राजस्थान के राजनीतिक संकट पर अपनी रिपोर्ट में अशोक गहलोत को क्लीनचिट दे दी है। 

पर्यवेक्षकों की उस रिपोर्ट को सोनिया गांधी को भेजा जाएगा। इंडिया टुडे ने सूत्रों के हवाले से ख़बर दी है कि रिपोर्ट में पर्यवेक्षकों ने गहलोत को राज्य के घटनाक्रम के लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया है। हालांकि, रिपोर्ट ने समानांतर बैठक बुलाने वाले प्रमुख नेताओं के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है। उसमें मंत्री व विधायक शांति धारीवाल, प्रताप सिंह खाचरियावास और कांग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौर के ख़िलाफ़ कार्रवाई की सिफारिश की गई है।

दूसरे पर्यवेक्षक अजय माकन ने विधायक दल की बैठक के समानांतर बैठक बुलाए जाने को अनुशासनहीनता करार दिया था। शांति धारीवाल के आवास पर ही गहलोत समर्थक विधायक रविवार शाम को जुटे थे। कई रिपोर्टों में तो दावा किया गया कि बाद में उन विधायकों ने स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर जाकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया था। 

हालाँकि, गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल ने जिस तरह अजय माकन पर सीधा हमला बोला, उससे लगा कि राजस्थान की लड़ाई और बढ़ेगी, लेकिन अब मामले को शांत कराने का प्रयास होता हुआ दिख रहा है।

एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अंबिका सोनी और आनंद शर्मा ने अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ बैठक के बाद अशोक गहलोत के साथ संकट को हल करने के लिए बात की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अशोक गहलोत जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे और उनके वफादार तीन या चार नेताओं को बागी तेवर दिखाने के लिए 'चेतावनी' दी जाएगी।

विद्रोह की मूल वजह गहलोत का राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद छोड़ने से इनकार है। हालाँकि गहलोत ने मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए सहमति व्यक्त की थी जब राहुल गांधी ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्हें कांग्रेस की 'एक व्यक्ति, एक पद' नीति के अनुरूप दोहरी भूमिका की अनुमति नहीं दी जाएगी।

लेकिन जब कांग्रेस के विधायी दल की बैठक से पहले ही गहलोत समर्थकों ने अपने स्तर पर बैठक की। उन्होंने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने का विरोध किया।

गहलोत समर्थक विधायकों का कहना है कि साल 2020 में कांग्रेस से बगावत करने वाले पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट और उनके समर्थकों को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाना चाहिए।

उन विधायकों की तरफ़ से शांति धारीवाल ने कहा है कि वे चाहते हैं कि बगावत के समय कांग्रेस के साथ खड़े रहने वाले विधायकों में से किसी को भी मुख्यमंत्री बना दिया जाए। शांति धारीवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें वह कहते सुने जा सकते हैं कि जिस षडयंत्र के तहत पंजाब खोया गया उसी के तहत राजस्थान भी खोने जा रहे हैं।

उस वीडियो में उनको यह कहते हुए सुना जा सकता है कि 'आपने कहा कि गहलोत के पास दो पद हैं। हाईकमान में बैठे लोग यह बता दें कि उनके पास आज कौन से दो पद हैं, जो इस्तीफा मांग रहे हैं। अभी कुल मिलाकर उनके पास सिर्फ मुख्यमंत्री पद है। जब दूसरा पद मिल जाए, तब इस्तीफा देने की बात उठेगी, आज क्या बात उठ गई कि आप इस्तीफा मांगने को तैयार हो। ये सारा षड्यंत्र था, इसी षड्यंत्र के तहत पंजाब खोया। उसी षडयंत्र के तहत राजस्थान भी खोने जा रहे हैं। अगर हम लोग संभल जाएँ, तो राजस्थान बचेगा, नहीं तो नहीं बचेगा।'

ऐसे ही गहराते संकट के बीच अब कांग्रेस आलाकमान में इस मामले को सुलझाने के लिए हलचल तेज हुई है। समझा जाता है कि अगले कुछ दिनों में आलाकमान गहलोत और पायलट से मुलाकात कर सकता है। पायलट तो दिल्ली पहुँच भी चुके हैं। लेकिन सवाल यही है कि क्या ये ताज़ा कोशिश राजस्थान संकट से पार्टी को उबार पाएगी?