कांग्रेस और राहुल गांधी के चुनावी नारे को करारा झटका देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने जाति आधारित जनगणना का विरोध किया है। उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे पत्र में कहा कि यह मुद्दा 'इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की विरासत का अनादर' है। आनंद शर्मा कांग्रेस की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्य भी हैं। गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल आदि ने कांग्रेस में रहते हुए जी 23 ग्रुप बनाया था। जो ऐसे ही असंतुष्टों का मंच बन गया। बाद में सभी ने अपने रास्ते अलग कर लिए। आजाद ने अपनी पार्टी बनाई और जम्मू कश्मीर के क्षेत्रीय नेता बनकर रह गए। कपिल सिब्बल राज्यसभा में जाना चाहते थे, वे सपा की मदद से राज्यसभा में चले गए। आनंद शर्मा बचे रहे तो वो रह-रह कर किसी न किसी कांग्रेस पद से इस्तीफा दे देते हैं या फिर इस तरह के बयान जारी कर देते हैं।
राहुल गांधी ने अपनी कई रैलियों में आगामी लोकसभा चुनावों को मद्देनजर जाति जनगणना को केंद्रीय मुद्दा बनाया। उन्होंने वादा किया कि अगर इंडिया गठबंधन सत्ता में आता है तो पूरे देश में जाति जनगणना कराई जाएगी।
19 मार्च को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को लिखे तीन पेज के पत्र में शर्मा ने कहा कि हालांकि जाति भारतीय समाज की एक वास्तविकता है, लेकिन कांग्रेस कभी भी पहचान की राजनीति में शामिल नहीं हुई है और न ही इसका समर्थन करती है। उन्होंने कहा, "यह समृद्ध विविधता या क्षेत्र, धर्म, जाति और जातीयता वाले समाज में लोकतंत्र के लिए हानिकारक है।"
आनंद शर्मा ने 1980 के इंदिरा गांधी के आह्वान को याद दिलाते हुए लिखा: "ना जात पर ना पात पर, मोहर लगेगी हाथ पर"। उन्होंने कहा, मंडल दंगों के बाद विपक्ष के नेता के रूप में राजीव गांधी ने 6 सितंबर, 1990 को लोकसभा में अपने ऐतिहासिक भाषण में कहा था: "अगर हमारे देश में जातिवाद को स्थापित करने के लिए जाति को परिभाषित किया जाता है तो हमें समस्या है... अगर जातिवाद को संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों में एक कारक बनाया जा रहा है तो हमें समस्या है...कांग्रेस चुप खड़े होकर इस देश को विभाजित होते हुए नहीं देख सकती।
आनंद शर्मा, जिन्होंने मई 2009 से मई 2014 तक वाणिज्य और उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया, ने कहा कि पार्टी का ऐतिहासिक स्थिति से हटना देश भर के कई कांग्रेसियों और महिलाओं के लिए चिंता का विषय है। यह चिंतन की मांग करता है। आनंद शर्मा ने लिखा- "मेरी विनम्र राय में, यह इंदिरा जी और राजीव जी की विरासत का अनादर करने के रूप में समझा जाएगा। डिफ़ॉल्ट रूप से, यह उन कांग्रेस सरकारों के लिए भी गलत होगा, जिन्होंने सभी समुदाय के वंचित वर्गों के सशक्तिकरण के लिए लगातार काम किया है।"
शर्मा ने कहा कि जाति जनगणना न तो रामबाण हो सकती है और न ही बेरोजगारी और मौजूदा असमानताओं का समाधान हो सकती है। इस महत्वपूर्ण और संवेदनशील विषय पर दीर्घकालिक राष्ट्रीय नीति होनी चाहिए।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "आनंद शर्मा एक वरिष्ठ नेता हैं। वह सीडब्ल्यूसी के सदस्य भी हैं। इसलिए अगर उन्हें कोई चर्चा करनी है तो वह वहां कर सकते हैं।" कांग्रेस सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने भी कहा कि पार्टी ने जाति आधारित कोई राजनीति नहीं की है। हुसैन ने कहा, "यह पार्टी हर भारतीय की है। जाति जनगणना के आधार पर हम सभी वर्गों के लिए नीतियां बनाने में सक्षम होंगे। हमने कोई जाति-आधारित राजनीति नहीं की है। पार्टी में सभी मुद्दों पर चर्चा करने का लोकतंत्र है।"
कहा जा रहा है कि आनंद शर्मा कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाना चाहते हैं लेकिन वे भाजपा की पेशकश का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा ने अभी उन्हें टिकट आदि की पेशकश नहीं की है। कांग्रेस ने उन्हें हिमाचल प्रदेश में स्थापित करने की कोशिश की थी लेकिन वे खुद ही वहां स्थापित नहीं हो पाए।