चौथे चरण का प्रचार खत्म, अवध, रूहेलखंड और तराई की 60 सीटों पर बदल चुके हैं समीकरण

05:28 pm Feb 21, 2022 | सत्य ब्यूरो

यूपी में चौथे चरण के लिए चुनाव प्रचार आज शाम खत्म हो गया। 23 फरवरी को चौथे चरण में 60 सीटों पर वोट डाले जाएंगे।अभी तक तीन चरणों में मतदाता 172 प्रत्याशियों का चयन कर चुके हैं, लेकिन वो कौन हैं, किस पार्टी के हैं, इसका पता 10 मार्च को चलेगा। तीन चरणों में बीजेपी के बेहतर न कर पाने की वजह से चौथा चरण और पांचवा चरण उसके लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं। चौथे चरण में रूहेलखंड से लेकर तराई और अवध बेल्ट की सीटें आती हैं। इसमें लखनऊ और रायबरेली की सीटें भी शामिल हैं। रायबरेली में गांधी परिवार की प्रतिष्ठा दांव पर है। वहां के मतदाताओं के लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज वर्चुअल संदेश भी दिया। रायबरेली में प्रियंका खुद प्रचार करने पहुंचीं। इसके अलावा वो लखनऊ में भी आज अंतिम दिन कई विधानसभा इलाकों में पहुंचीं।

कुछ महत्वपूर्ण सीटेंबीजेपी के लिए यह पूरा इलाका इसलिए खास है, क्योंकि यहां पर मिली बढ़त के दम पर ही बीजेपी ने पिछली बार सरकार बनाई थी। ये सीटें हैं - पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा। 16 सीटें दलितों के लिए रिजर्व हैं। इस बेल्ट में सपा 58 सीटों पर और ओम प्रकाश राजभर की पार्टी बाकी दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। बीएसपी और कांग्रेस सभी 60 पर लड़ रही हैं। बीजेपी 57 सीटों पर और उसके गठबंधन में शामिल अपना दल (एस) तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है।

2017 के चुनाव में बीजेपी ने इस बेल्ट में 51 सीटें जीती थीं। एक सीट उसके सहयोगी अपना दल (एस) को मिली थी। सपा को उस समय 4 सीटें जबकि कांग्रेस और बीएसपी को 2-2 सीटें मिली थीं। हालांकि बाद में कांग्रेस के दोनों विधायक और बीएसपी का एक विधायक बीजेपी में चले गए थे। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। महंगाई और किसानों की वजह से सरकार विरोधी लहर यहां साफ दिख रही है।

क्या हैं समीकरण2017 के नतीजे बताते हैं कि 9 जिलों में से 4 पर बीजेपी का प्रदर्शन शानदार था। विपक्षी दलों को यहां एक भी सीट नहीं मिली थी। बीजेपी ने तराई बेल्ट में पीलीभीत की चारों और लखीमपुर खीरी की सभी 8 सीटों पर जीत हासिल की थी। बांदा जिले में 6 सीटें हैं, लेकिन चौथे चरण में चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। 2017 में सभी पर बीजेपी जीती थी। फतेहपुर में कुल 6 सीटें हैं, जिनमें से 5 पर बीजेपी और एक पर अपना दल (एस) का कब्जा है।हरदोई जिले की 8 सीटों में से 7 पर बीजेपी और 1 सपा ने जीत दर्ज की थी। सीतापुर में, बीजेपी ने सात विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की, यहां पर बीएसपी और सपा को एक-एक सीट मिली थी। लखनऊ जिले में भी बीजेपी ने पिछले चुनाव में परचम लहराया था। उसे लखनऊ जिले की 9 में से आठ सीटें मिली थीं, सपा को सिर्फ एक सीट मिल सकी थी।

रायबरेली में बीजेपी बहुत बेहतर नहीं कर सकी थी। यहां की 6 सीटों में से बीजेपी को तीन, कांग्रेस को दो और सपा को एक सीट मिली थी। इस बार उसके लिए यहां हालात बदले हुए हैं। कांग्रेस को कुछ फायदा हो सकता है।

क्या होगा लखीमपुर मेंलखीमपुर खीरी किसान आंदोलन से बहुत ज्यादा प्रभावित रहा है। पिछले साल यहां पर किसानों को कुचल कर मार डालने जैसा कृत्य हो चुका है। इस कांड को लेकर बीजेपी को काफी बदनामी झेलनी पड़ी है। क्योंकि यहां के सांसद और केंद्रीय मंत्री संजय मिश्रा टेनी का बेटा आशीष मिश्रा आरोपी है। इस जिले की सभी 8 सीटें 2017 में बीजेपी ने जीती थी। 

लखीमपुर खीरी में अब हालात बदले हुए हैं। विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर न सिर्फ मंत्री पुत्र आशीष मिश्रा को बचाने, बल्कि बीजेपी को किसान विरोधी बताया है। विपक्ष के इस प्रचार का असर तराई क्षेत्र की सीटों पर पड़ सकता है। अभी दो दिन पहले केंद्रीय मंत्री टेनी रोड शो के लिए निकले लेकिन उन्हें जनता का पहले जैसा रेस्पांस नहीं मिला। चुनाव के दौरान ही किसान नेताओं के यहां दौरे हुए, उसका भी असर पड़ा है।

चौथे चरण के दिग्गज

चौथे चरण में कई दिग्गज नेताओं की इज्जत दांव पर है। कांग्रेस से बीजेपी में आईं अदिति सिंह रायबरेली सदर से मैदान में हैं। उन्हें सपा के आर.पी. यादव ने चुनौती दी है। मंत्री और बीजेपी के ब्राह्मण चेहरे बृजेश पाठक लखनऊ कैंट से लड़ रहे हैं। ईडी में छापों से नाम कमा चुके राजेश्वर सिंह सरोजनी नगर बीजेपी प्रत्याशी हैं। सपा के अभिषेक मिश्रा उनके खिलाफ खड़े हुए हैं। लखनऊ के लोकप्रिय नेताओं में शुमार सपा के सीनियर नेता रविदास मेहरोत्रा सेंट्रल सीट से लड़ रहे हैं। 

अखिलेश के करीबी मनोज पांडेय ऊंचाहार से मैदान में हैं। बीजेपी के अमरनाथ मौर्य उन्हें चुनौती दे रहे हैं। नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल बीजेपी टिकट पर हरदोई से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्नाव रेप पीड़िता की मां आशा सिंह उन्नाव सीट से कांग्रेस टिकट पर लड़ रही हैं।