प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम यूपी के बुलंदशहर की रैली में ₹19,100 करोड़ से अधिक की विकास परियोजनाओं की शुरुआत करके 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए गुरुवार 25 जनवरी को अभियान की शुरुआत करेंगे। यह रैली अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के तीन दिन बाद हो रही है, इसलिए इसके पीछे राजनीतिक मकसदों को नजरन्दाज नहीं किया जा सकता। हालांकि भाजपा इसे आस्था (विश्वास) और विकास (विकास) का संगम बता रही है। लेकिन जब लोकसभा चुनाव चंद महीने में होने वाले हैं तो यह संगम कुल मिलाकर राजनीति का ही संगम है। यह बात यूपी के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने अब जाहिर कर दी है कि 15 दिनों से इस रैली की तैयारी हो रही थी। लेकिन मीडिया को बुधवार को ही इसकी जानकारी दी गई।
भाजपा के तमाम दावों और उम्मीदों के बावजूद इसका विश्लेषण जरूरी है कि आखिर अयोध्या के तीन दिन बाद ही रैली के लिए पश्चिमी यूपी में बुलंदशहर का चयन क्यों किया गया।
बुलंदशहर में लोध राजपूतों, जाटों, गुज्जरों और दलितों की एक बड़ी आबादी है। ये सभी भाजपा के पारंपरिक समर्थन आधार का हिस्सा माने जाते हैं। हालांकि मुस्लिम आबादी भी यहां बड़े पैमाने पर है लेकिन वो आबादी या तो समाजवादी पार्टी या फिर जयंत चौधरी की राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) से जुड़ी हुई है। जयंत चौघरी के दादा चौधरी चरण सिंह खासतौर से पश्चिमी यूपी के किसानों और जाटों में एक मसीहा के रूप में जाने जाते हैं। भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) का प्रभाव क्षेत्र पश्चिमी यूपी है और टिकैत कुनबा चौधरी के परिवार से जुड़ा रहा है।
चौधरियों के बीच भाजपा का प्रभाव जमाने में पूर्व मुख्यमंत्री और लोध नेता कल्याण सिंह ने बुलंदशहर को अपना गढ़ बनाया। उन्होंने 1991 के बाद से लगातार चुनावों में लोकसभा सीट जीती। सिर्फ 2009 को छोड़कर जब समाजवादी पार्टी के कमलेश वाल्मिकी ने यहां से जीत हासिल की थी। यानी भाजपा के पैर यहां कल्याण सिंह की वजह से जमे। जब कल्याण सिंह यूपी के सीएम थे तो अयोध्या में बाबरी मसजिद गिराई गई थी। इस तरह पीएम मोदी की बुलंदशहर रैली कल्याण सिंह को प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि भी है। कोई ताज्जुब नहीं कि गुरुवार को वो बार-बार कल्याण सिंह का नाम दोहराएंगे।
आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बुलंदशहर की सभी सात विधानसभा सीटों--अनूपशहर, डिबाई, खुर्जा, बुलंदशहर सदर, स्याना, शिकारपुर और सिकंदराबाद पर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 2019 में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस हिस्से में 14 लोकसभा सीटों में से आठ पर जीत हासिल की थी। बाकी सीटें उस समय समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी (एसपी-बीएसपी) गठबंधन ने जीती थीं। लेकिन भाजपा को आठ सीटें जबरदस्त ध्रुवीकरण की वजह से मिली थीं। मुजफ्फरनगर दंगे का मामला रह-रह कर चुनाव में गरमा उठता है।
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हालात लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बदल गए हैं। सपा-आरएलडी का गठबंधन पहले से ही बना हुआ है, उसकी पुष्टि हाल ही में अखिलेश और जयंत चौधरी ने फिर से कर दी है। कांग्रेस को अभी इस गठबंधन में शामिल होना है। लेकिन बसपा इस बार सपा के साथ गठबंधन में नहीं है। हालांकि इस इलाके में बसपा रेस में कहीं दूर दूर तक नहीं है। मुकाबला भाजपा बनाम इंडिया गठबंधन में संभावित है। पीएम मोदी के पास यह रिपोर्ट जरूर होगी कि जाट उनकी पार्टी के बारे में अब क्या राय रखते हैं। इसलिए बुलंदशहर में जहां उन आठ सीटों पर कब्जा बरकरार रखने और विपक्ष से छह सीटों को झटकने की लड़ाई है। लेकिन यह आसान नहीं है। विपक्ष किसी भी नजरिए से भाजपा के मुकाबले कमजोर नजर नहीं आ रहा है।
विपक्षी समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का भी फोकस वेस्ट यूपी पर है। दोनों पार्टियां भाजपा को चुनौती देने के लिए मुसलमानों, जाटों और दलितों का समर्थन हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। कांग्रेस की यूपी जोड़ो यात्रा ने सहारनपुर से शाहजहाँपुर तक पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश जिलों को कवर किया। राहुल गांधी भी वेस्ट यूपी से भी गुजरेंगे। इसलिए भी मोदी ने बुलंदशहर पर फोकस किया है।
इसी तरह से सपा ने भी 17 जनवरी को पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) यात्रा निकाली है। पीडीए यात्रा शाहजहाँपुर, बदांयू, मुरादाबाद, संभल, बिजनौर, हरिद्वार, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, मेरठ, गाजियाबाद सहित पश्चिम यूपी के कई जिलों को कवर करेगी। कई जिलों में अखिलेश खुद इस पीडीए यात्रा का नेतृत्व करने वाले हैं।
पश्चिमी यूपी की राजनीतिक लड़ाई इस रैली के बाद दिलचस्प होने वाली है। कांग्रेस और सपा तो यात्राओं के जरिए भीषण ठंड में गरमाहट लाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं आरएलडी प्रमुख जयंत सिंह का बिना शोर मचाए पश्चिमी यूपी के चप्पे-चप्पे पर जनसंपर्क अभियान जारी है। हर बड़े गांव में उनकी बैठकें हो रही हैं, जिनमें स्थानीय लोगों को बुलाया जाता है। जयंत की यह अपनी शैली है। उनकी पार्टी के पास पश्चिमी यूपी के हर बड़े गांव में प्रमुख लोगों की सूची है, जिनसे पार्टी लगातार संपर्क में रहती है। आरएलडी नेताओं का कहना है कि पीएम मोदी की रैली में भाजपा सरकारी मशीनरी के दम पर भीड़ तो जुटा लेगी लेकिन वोट नहीं पाएगी। भाजपा के वरिष्ठ नेता बुलंदशहर में कई दिनों से कैंप कर रहे थे। उन्होंने भीड़ लाने के लिए आरामदेह बसों का इंतजाम किया है।