हाल में बदलते बयानों को लेकर सुर्खियों में रहे शरद पवार गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिले। पीएम की डिग्री से लेकर अडानी-मोदी मुद्दे पर जेपीसी की मांग तक पर अलग राय रखते दिखने वाले पवार ने फिर से विपक्षी एकता की वकालत की। उन्होंने कांग्रेस नेताओं से विपक्ष को एकजुट करने की रणनीति पर चर्चा की।
इस मुलाक़ात से कांग्रेस भी उत्साहित नज़र आई। पार्टी ने कहा कि आज नई दिल्ली में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की। इस मुलाक़ात को लेकर खड़गे ने कहा है कि 'एक साथ ज़्यादा मजबूत! हम अपने लोगों के बेहतर, उज्जवल और एक समान भविष्य के लिए एकजुट हैं...।'
कांग्रेस नेताओं के साथ पवार की यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब एक दिन पहले ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने खड़गे और राहुल से मुलाक़ात की थी। बाद में उन्होंने अरविंद केजरीवाल से भी मुलाक़ात की थी। इन विपक्षी दलों ने अगले साल भाजपा के ख़िलाफ़ एक साझा मंच पर बनाने की बात कही।
विपक्षी एकता को मजबूत करने के प्रयास इस सप्ताह गति पकड़ते दिखाई दी। नीतीश कुमार ने गुरुवार को वामपंथी दिग्गजों सीताराम येचुरी और डी राजा से भी मुलाकात की। विपक्षी नेताओं ने कहा है कि आने वाले दिनों में नेताओं की एकता वार्ता के आगे बढ़ाने की संभावना है क्योंकि आने वाले दिनों में और विचार-विमर्श होने की उम्मीद है। कांग्रेस बहुत जल्द शीर्ष विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाने की योजना बना रही है।
नीतीश कुमार के साथ बैठक के बाद माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि सीटों का समायोजन राज्य स्तर पर किया जाएगा और संकेत दिया कि तीसरे मोर्चे की संभावना है। उन्होंने कहा, 'केरल में, कांग्रेस और हमारी पार्टी कट्टर प्रतिद्वंद्वी हैं। भारतीय जनता पार्टी वहाँ लड़ाई में नहीं है।'
बता दें कि नीतीश के साथ बैठक में राहुल गांधी सहित कई नेताओं ने कहा था, 'हमने यहाँ एक ऐतिहासिक बैठक की। बहुत सारे मुद्दों पर चर्चा की गई और हमने फ़ैसला किया कि हम सभी दलों को एकजुट करेंगे और आगामी चुनाव एकजुट तरीके से लड़ेंगे। हमने यह फैसला किया है और हम सभी इसके लिए काम करेंगे।'
राहुल गांधी के ऐसे बयान की सहमति में बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, 'हम देश में अधिक से अधिक पार्टियों को एकजुट करने के लिए पूरे प्रयास करेंगे।'
खड़गे ने भी भाजपा के खिलाफ 'समान विचारधारा' वाली पार्टियों को एकजुट करने के प्रयास में डीएमके के एमके स्टालिन और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे सहित अन्य लोगों से भी बात की है।
इससे पहले एनसीपी प्रमुख पवार ने शुक्रवार एनडीटीवी को इंटरव्यू देकर कहा था कि अडानी भी भला कोई मुद्दा है। वो इस मुद्दे पर जेपीसी मांग का समर्थन नहीं करते हैं। इसके बाद विपक्षी दलों में खलबली मचा गई थी और विपक्षी एकता पर सवाल होने लगे थे। पवार ने कहा कि अडानी को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उनका तर्क था कि जेपीसी में जो 21 सदस्य होंगे, वो अधिकांश सरकार के होंगे। सिर्फ 6 सदस्य दूसरे दलों के होंगे। ऐसे में सरकार जेपीसी के जरिए मनचाही रिपोर्ट प्राप्त कर लेगी।
बाद में पवार ने कहा था कि पीएम मोदी की डिग्री पर सवाल पूछना भी भला कोई मुद्दा है। महाराष्ट्र के इस कद्दावर नेता के स्टैंड में आ रहे बदलाव को नई राजनीतिक कहानी में रूप में देखा जा रहा है।
हालाँकि बाद में एनसीपी प्रमुख शरद पवार उन मुद्दों पर थोड़ा नरम हो गए थे। उन्होंने मंगलवार को यूटर्न लेते हुए कहा था कि विपक्षी एकता के लिए वो अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच की मांग का समर्थन करते हैं। शरद पवार के रुख में यह बदलाव तब आया जब कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी ने द हिन्दू में एक लेख लिखकर विपक्षी एकता का नए सिरे आह्वान किया और कहा कि कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों से हाथ मिलाने को तैयार है। इस लेख के सामने आने के बाद शरद पवार ने भी फौरन पलटी मार दी।