कोरोना का तेज़ रफ़्तार संक्रमण बीते साल झेले गए दुर्दिनों के लौटने का संकेत दे रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमण की स्थिति इतनी ज़्यादा भयावह है कि कुछ ही दिनों में यह आंकड़ा 1 लाख और अब 1.15 लाख तक पहुंच गया है। ऐसे में मजबूर होकर तमाम राज्य सरकारों ने एहतियाती क़दम उठाते हुए सख्तियां लगाई हैं लेकिन इनकी सबसे ज़्यादा मार ग़रीब और कमजोर व्यक्ति पर ही पड़नी है।
महाराष्ट्र में लगेगा लॉकडाउन?
महाराष्ट्र इस बार दूसरी लहर में सबसे ज़्यादा चिंता पैदा कर रहा है। राज्य में हालात इस क़दर ख़राब हैं कि एक ही दिन में संक्रमण के 57 हज़ार से ज़्यादा मामले आ चुके हैं। ठाकरे सरकार लोगों को लगातार कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करने को लेकर चेता रही है लेकिन संक्रमण को न रुकते देख उसने नाइट कर्फ्यू लगा दिया है और अब लॉकडाउन लग सकता है, इसकी संभावना बढ़ती जा रही है।
मुंबई के रेलवे स्टेशनों से चिंताजनक तसवीर सामने आ रही है। चूंकि कम ज़रूरी व्यवसायों को 30 अप्रैल तक के लिए बंद कर दिया गया है, इसलिए राज्य में काम करने वाले प्रवासी मजदूर अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं।
मुंबई के लोकमान्य तिलक टर्मिनस और छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर बड़ी संख्या में मजदूरों का तांता लगा हुआ है और वे किसी भी सूरत में अपने घर पहुंचना चाहते हैं। सेंट्रल रेलवे के एक अफ़सर ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाली ट्रेनें अगले कुछ दिनों के लिए पूरी तरह बुक हो चुकी हैं।
फ़ोटो साभार: ट्विटर/भरत संघवी
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार जाने वाले यात्री लगातार उनके राज्यों में जाने वाली ट्रेनों के बारे में पूछ रहे हैं। इनमें से लगभग सभी लोग छोटे-मोटे ख़ुद के काम धंधे करते हैं या फिर किसी कंपनी-कारखाने में काम करते हैं। अब जब 30 अप्रैल तक सख़्ती है तो रोज कमाने-खाने वाले ये लोग कैसे गुजारा करेंगे। बीता साल भी इनके लिए बेहद ख़राब रहा है।
पिछले साल जब लॉकडाउन लगा था तो बड़ी संख्या में दिल्ली-एनसीआर और मुंबई से मजदूरों का पलायन हुआ था। इसके वीडियो विचलित करने वाले थे। शहरों में जैसे-तैसे गुजारा कर रहे लोग आख़िर यहां कैसे रहते। सो, वे चल पड़े थे, अपने घरों की ओर।
मुंबई के रेलवे स्टेशनों पर उमड़ रही प्रवासी मजदूरों की भीड़ में यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश से लेकर बाक़ी कई राज्यों के मजदूर भी शामिल हैं। जब टिकट नहीं मिलता तो ये लोग प्लेटफ़ॉर्म पर ही सो जाते हैं और अगली ट्रेन जो उन्हें मंजिल तक पहुंचा सके, उसका इंतजार करते हैं।
नाइट कर्फ्यू लगने के कारण मुंबई के होटल, पब, बार, क्लब से जुड़े लोग बेहद परेशान हैं। छोटे रेस्तरां में काम करने वाले लाखों लोग घरों की ओर लौट रहे हैं। दिल्ली से हालांकि लोगों का पलायन शुरू नहीं हुआ है लेकिन नाइट कर्फ्यू लगने के कारण यहां भी होटल कारोबार से जुड़े लोग परेशान हैं।
सेंट्रल रेवले के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुतार ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा, “कोरोना के चलते हम सिर्फ़ कन्फर्म टिकट वालों को ही यात्रा करने की इजाजत दे रहे हैं। हम अपील करते हैं कि लोग पैनिक बुकिंग न करें।”
मुंबई के व्यापारी बेहद परेशान हैं। राज्य सरकार ने जो सख़्तियां लगाई हैं, उस वजह से काम-धंधा लगभग ठप है, ऐसे में दुकान चला रहे लोग कहां से अपने मातहतों को मजदूरी देंगे। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कह चुके हैं कि अगर हालात नहीं सुधरे तो लॉकडाउन लगाना ही होगा। तमाम राज्य सरकारें भी इस मामले में मजबूर हैं क्योंकि दूसरी लहर ने कुछ ही दिनों में सभी को घुटनों पर ला दिया है।
रेहड़ी-पटरी चलाकर जीवन चलाने वाले लोग चाहे मुंबई में हो, दिल्ली-एनसीआर में हों या किसी दूसरे महानगर में अथवा छोटे शहरों में, उनके लिए शायद अब लॉकडाउन को झेलना आसान नहीं है।
बीते कुछ दिनों से सख्तियों के बढ़ने के बाद उन लोगों का काम-धंधा वैसे ही चौपट हो गया है। लॉकडाउन उनकी मुश्किलों में इज़ाफा करने का ही काम करेगा।
गर्मी की छुट्टियों में पर्वतीय राज्यों में जाने की योजना बनाए बैठे लोगों ने कोरोना संक्रमण के डर से होटल और ट्रैवल एजेंसियों से की गई बुकिंग को रद्द करना शुरू कर दिया है। ऐसे में निश्चित रूप से टूरिज्म के व्यवसाय से जुड़े लोगों को बहुत मुश्किलों का सामना करना होगा।