मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले ने सचिन वाजे के मामले में अपनी रिपोर्ट महाराष्ट्र के गृह मंत्रालय को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में सचिन वाजे को मुंबई पुलिस में नौकरी पर बहाल करने और क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) में उसके 9 महीने का कार्यकाल कैसा रहा, इस बारे में जानकारी है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिन वाजे को सीआईयू में जगह तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के कहने पर ही दी गई थी और वह सीधे उन्हें ही रिपोर्ट करता था। रिपोर्ट के मुताबिक़, ऐसा करते वक़्त कई पुलिस अफ़सरों को बाइपास किया जाता था।
उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर विस्फोटक मिलने के मामले में महाराष्ट्र सरकार ने परमबीर सिंह को मुंबई पुलिस कमिश्नर के पद से हटा दिया था और महाराष्ट्र के डीजीपी की अतिरिक्त जिम्मेदारी संभाल रहे हेमंत नागराले को मुंबई पुलिस का कमिश्नर बनाया गया था।
परमबीर सिंह का आरोप
इसके बाद परमबीर सिंह ने दावा किया था कि अनिल देशमुख चाहते थे कि सचिन वाजे मुंबई में होटल और बार से उनके लिए हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करें जिसके बाद महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आ गया था। परमबीर सिंह ने अपने ट्रांसफर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जहां से उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट भेज दिया गया था।
यह मामला यहां तक पहुंच गया कि अंत में अनिल देशमुख को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा और उनकी जगह दिलीप वलसे पाटिल को महाराष्ट्र का नया गृह मंत्री बनाया गया है।
एनआईए ने जब सचिन वाजे से पूछताछ की तो कई बड़ी जानकारियां सामने आई थीं। एंटीलिया के बाहर एक दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच से पता चला था कि 25 फरवरी को स्कॉर्पियो खड़ी करने के बाद सचिन वाजे उसमें धमकी भरा लैटर डालना भूल गया था।
यह बात खुद सचिन वाजे ने एनआईए के अधिकारियों को पूछताछ में बताई थी। दरअसल, कुछ दूर जाने के बाद वाजे को याद आया कि वह धमकी वाला लैटर स्कॉर्पियो में रखना भूल गया है। इसके बाद वह फिर से मौके पर पहुंचा और स्कॉर्पियो में लैटर प्लांट किया और उसकी यही करतूत उसके जी का जंजाल बन गई। सचिन वाजे इन दिनों पुलिस की कस्टडी में है।
महाराष्ट्र के घटनाक्रम पर देखिए चर्चा-
सचिन वाजे ने इस लैटर का प्रिंट आउट अपने सरकारी प्रिंटर से निकाला था। बाद में अपने आप को जांच में घिरता देख सचिन वाजे ने प्रिंटर समेत दो सीपीयू, लैपटॉप, हार्ड डिस्क और अपने घर की सोसाइटी के सीसीटीवी के डीवीआर को बांद्रा में मीठी नदी में फेंक दिया था। एनआईए के अधिकारियों ने ये सभी दस्तावेज मीठी नदी से गोताखोरों की मदद से ढूंढ लिए थे।