टीआरपी घोटाले में नाम सामने आने के बाद से ही लगातार मुसीबतें झेल रहे रिपब्लिक टीवी पर मुंबई पुलिस ने वज्रपात कर दिया है। मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी की संपादकीय टीम के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है।
एनएम जोशी मार्ग पुलिस ने आईपीसी की कई धाराओं में मुक़दमा दर्ज किया है। इन धाराओं के तहत तीन साल की जेल हो सकती है और ये ग़ैर जमानती धाराएं हैं।
मुंबई पुलिस के सब इंस्पेक्टर शशिकांत पवार की शिकायत पर रिपब्लिक टीवी की डेप्युटी एडिटर सागरिका मित्रा, एंकर शिवानी गुप्ता, डेप्युटी एडिटर शावन सेन, एग्जीक्यूटिव एडिटर निरंजन नारायणस्वामी, न्यूज़ रूम इंचार्ज और संपादकीय टीम के सभी लोगों के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है।
एफ़आईआर में शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि रिपब्लिक टीवी की ओर से एक ख़बर चलाई गई, जिससे मुंबई महानगर के पुलिसकर्मियों के बीच असंतोष भड़काने की कोशिश की गई और मुंबई पुलिस की मानहानि भी की गई।
एफ़आईआर में कहा गया है कि शिकायतकर्ता शशिकांत पवार 22 अक्टूबर को शाम 7 बजे रिपब्लिक टीवी देख रहे थे। इस दौरान उन्होंने टीवी पर ‘आज रात की सबसे बड़ी ख़बर’ का स्लग देखा। इसमें एंकर शिवानी गुप्ता कह रही थीं कि ‘परमबीर के ख़िलाफ़ विद्रोह’। परमबीर सिंह मुंबई पुलिस के आयुक्त हैं।
पवार के मुताबिक़, एंकर शिवानी गुप्ता ने कहा कि परमबीर सिंह पुलिस फ़ोर्स का नाम बदनाम कर रहे हैं और अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने के लिए पुलिस से मिली ताक़त का इस्तेमाल कर रहे हैं। पवार के मुताबिक़, एंकर ने यह भी कहा कि कई अफ़सर उनसे ख़ुश नहीं हैं।
पवार ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि एंकर शिवानी ने कहा, ‘रिपब्लिक टीवी के पास इस बात की एक्सक्लूसिव जानकारी है कि मुंबई पुलिस के आला अफ़सरों के ख़िलाफ़ विद्रोह हो सकता था।’
रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी ने कहा है कि चैनल के एक हज़ार मीडियाकर्मियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है। एफ़आईआर की कॉपी का स्क्रीनशॉट ट्विटर पर है लेकिन वह साफ पढ़ने में नहीं आ रहा है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि कितने लोगों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की गई है और इस मामले में अभी पुलिस का भी कोई बयान नहीं आया है।
टीआरपी घोटाले का शोर
महाराष्ट्र सहित देश भर में इन दिनों टीआरपी घोटाले को लेकर जबरदस्त शोर है। कुछ दिन पहले मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने फ़र्जी टीआरपी घोटाले की बात कही थी और रिपब्लिक टीवी समेत 3 टीवी चैनलों का इसमें नाम सामने आया था। टीआरपी मापने वाले संगठन बार्क ने हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी।
मुंबई पुलिस की मानें तो टीआरपी में हेरफेर का यह मामला सिर्फ मुंबई और महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं है और इसकी जड़ें अन्य राज्यों तक भी फैली हुई हैं।
एक विज्ञापन कंपनी गोल्डन रैबिट कम्युनिकेशन की शिकायत पर दो दिन पहले लखनऊ पुलिस ने टीआरपी घोटाले को लेकर एफ़आईआर दर्ज की और उसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की सीबीआई जांच की सिफ़ारिश कर दी थी। मीडिया इंडस्ट्री से जुड़े लोगों को हैरानी तब हुई जब 24 घंटे के अंदर ही केंद्र सरकार ने इसकी सीबीआई से जांच करने की अनुमति दे दी और एजेंसी ने तुरंत मामला भी दर्ज कर लिया। इससे शक पैदा हो रहा है कि क्या किसी को बचाने के लिए सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित संस्था का इस्तेमाल किया जा रहा है।