महाराष्ट्र में एमवीए के लिए अब मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठित कुर्सी बहस का विषय नहीं है। एनसीपी एसपी प्रमुख शरद पवार ने दोहराया है कि राज्य विधानसभा चुनावों से पहले एमवीए को सीएम चेहरा घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है। शरद पवार के बयान पर शिवसेना यूबीटी ने गुरुवार को पॉजिटिव प्रतिक्रिया दी। सीएम फेस पर अपने पिछले स्टैंड से अलग उसने शरद पवार के बयान से सहमति जताई।
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा- ''पवार जी ने जो कहा वह बिल्कुल सही है। यह तीन दलों की गठबंधन सरकार है, महा विकास अघाड़ी. सीटों का बंटवारा बाद में तय किया जाएगा, लेकिन हमें बहुमत मिल रहा है हमारा पहला काम इस भ्रष्ट सरकार को हटाना है, और मुख्यमंत्री के बारे में उचित समय पर चर्चा होगी। जनता जिसे चाहेगी और जिस पार्टी को अधिकतम सीटें देगी, उसी पार्टी से महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री बनेगा।"
एनसीपी (एसपी) प्रमुख शरद पवार ने बुधवार को कोल्हापुर में कहा था कि सीएम कौन होगा इसका फैसला चुनाव नतीजों के बाद लिया जा सकता है। इसके अलावा, उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार इस आधार पर तय किया जाएगा कि गठबंधन में कौन सी पार्टी सबसे अधिक सीटें जीतती है। इस मुद्दे पर पत्रकारों ने गुरुवार को शिवसेना यूबीटी की टिप्पणी मांगी। शिवसेना यूबीटी ने शरद पवार के बयान पर मुहर लगा दी।
कांग्रेस भी शरद पवार से सहमत
शरद पवार के बयान पर कांग्रेस ने तुरंत पवार के विचारों का समर्थन किया। प्रदेश इकाई के प्रमुख नाना पटोले ने कहा कि पवार ने कुछ भी गलत नहीं कहा है। पूर्व सीएम पृथ्वीराज चव्हाण ने कुछ दिन पहले एफपीजे डायलॉग में बोलते हुए कहा था, "हम एमवीए के रूप में आगे बढ़ेंगे और सीएम का फैसला घटक दलों द्वारा जीती गई सीटों के आधार पर किया जाएगा।" उन्होंने कहा, कांग्रेस कभी भी सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं करती, खासकर जब पार्टी विपक्ष में हो। लेकिन अपनी ओर से, शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे सीएम उम्मीदवार की घोषणा के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे थे।
शिवसेना यूबीटी का पिछला स्टैंड क्या थाः पिछले महीने एक कार्यक्रम में शिवसेना पदाधिकारियों की बैठक के दौरान, ठाकरे ने एमवीए सहयोगियों से सीएम चेहरे की घोषणा करने का आग्रह किया था और कहा था वह अपना समर्थन देंगे। उन्होंने कहा था, ''मैं चुनाव के बाद सीएम पद उस पार्टी के पक्ष में जाने के फॉर्मूले पर विश्वास नहीं करता, जिसके पास सबसे ज्यादा विधायक हों।'' उन्होंने आगाह किया था कि इससे पार्टियां एक-दूसरे के उम्मीदवारों को हरा देती हैं। अगस्त के दूसरे सप्ताह में ठाकरे ने दिल्ली का दौरा किया था। उनका मकसद कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सहयोगियों द्वारा उनके नाम का समर्थन प्राप्त करना था।
उद्धव ने मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और गठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ बैठकों के बावजूद, उन्हें कोई पॉजिटिव प्रतिक्रिया नहीं मिली थी। उद्धव इशारा समझकर लौट गए थे।
एमवीए में जहां सारे बादल छंट गए हैं। वहीं भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति में उठापटक जारी है। महायुति में सीएम चेहरे के मुद्दे पर अभी कोई स्पष्टता नहीं है। हालांकि बीजेपी ने कहा था कि विधानसभा चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा, लेकिन उनके सीएम बने रहने पर कोई शब्द नहीं बोला गया है। भाजपा या एनसीपी सेप्रमुख नेता अजित पवार के आगे नहीं आने से शिंदे के नेतृत्व वाली सेना उन्हें अपने पसंदीदा नेता के रूप में पेश करने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन भाजपा ने रहस्य बरकार रखा हुआ है।
इस बीच भाजपा में यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि पार्टी के प्रदर्शन के लिए लीक से हटकर काम करने के लिए आरएसएस काडर हरकत में आ गया है। उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की आरएसएस प्रमुखों के साथ बैठकों का दौर इस तरह की बातचीत का आधार हो सकता है। ऐसा लगता है कि बीजेपी चाहती है कि लोकसभा चुनाव में उसके निराशाजनक प्रदर्शन को देखते हुए आरएसएस अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए अपने जमीनी काम का लाभ उठाए।