मध्य प्रदेश में इस बार का विधानसभा चुनाव कई मायनों में अहम है। लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी के लिए जहाँ यह बेहद अहम चुनाव है वहीं, कांग्रेस के लिए वापसी का यह बेहतर मौक़ा होगा। कांग्रेस अब किसी भी सूरत में सत्ता पर काबिज होना चाहती है। आम आदमी पार्टी की एंट्री ने इस बार की चुनावी जंग को और दिलचस्प बना दिया है।
वैसे, पिछले चुनाव से तुलना की जाए तो कांग्रेस और बीजेपी के बीच काँटे की टक्कर रही थी। सीटों के मामले में कांग्रेस आगे रही थी और इस वजह से उसने सरकार बनाई थी। लेकिन बाद में बीजेपी ने कुछ विधायकों को तोड़कर अपनी सरकार बना ली थी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी को 109 और अन्य को 7 सीटें।
हालाँकि, वोट प्रतिशत के हिसाब से बीजेपी आगे रही थी। कांग्रेस को 40.89 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि बीजेपी को 41.02 फ़ीसदी।
एमपी में भाजपा के शिवराज सिंह चौहान विपरीत हालात का सामना कर रहे हैं। चुनावी सर्वे और कहा जा रहा है कि बीजेपी के आंतरिक सर्वे भी बीजेपी के लिए मुश्किल हालात बता रहे हैं इसलिए इसने इस बार कई केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव में उतारा है।
बीजेपी ने राज्य में जो दूसरी सूची जारी की उसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों- नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते को क्रमशः दिमनी, नरसिंहपुर और निवास सीट से चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को इंदौर -1 सीट से टिकट दिया गया है।
केंद्रीय मंत्रियों के अतिरिक्त भाजपा अपने जिन सांसदों को विधानसभा चुनाव लड़ा रही है, उनमें जबलपुर पश्चिम से राकेश सिंह, सतना से गणेश सिंह, सीधी से रीति पाठक और गाडरवारा से उदय प्रताप सिंह को भी टिकट दिया गया है। इस तरह से भाजपा ने कुल सात सांसदों के टिकट दिया है।