किन लोगों पर होगा पीएफ़ पर टैक्स लगने का असर?

04:35 pm Sep 03, 2021 | आलोक जोशी

आपकी भविष्य निधि या प्रॉविडेंट फंड पर टैक्स लगने का सिलसिला शुरू हो गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले बजट में एलान किया था कि प्रॉविडेंट फंड खाते में सालाना ढाई लाख रुपये से ऊपर की रकम जमा हुई तो उसके ब्याज पर टैक्स लगेगा। 

हालांकि बाद में इस पर सफाई आई और बताया गया कि सरकारी कर्मचारियों के लिए और जिन कर्मचारियों के खाते में उनके इंप्लायर की तरफ से कोई पैसा जमा नहीं किया जाता उन्हें सालाना पांच लाख रुपये तक की रकम पर टैक्स से छूट मिलेगी। 

जिस दिन से यह एलान हुआ तभी से इस पर तरह-तरह के सवाल उठ रहे थे। सबसे बड़ा सवाल तो यह था कि आखिर इस टैक्स का हिसाब कैसे लगेगा? एक ही पीएफ़ अकाउंट में कितनी रकम पर टैक्स लगेगा और कितनी पर नहीं, इसे तय करने का फॉर्मूला क्या होगा? 

एक साल तो समझ में आ जाएगा लेकिन उसके बाद अगले साल किस रकम पर कितने ब्याज तक टैक्स से छूट मिलेगी और कितने के बाद टैक्स लगाया जाएगा? और इन सबसे बड़ी शंका यह भी थी कि कहीं सरकार आखिरकार पीएफ़ की रकम पर पूरी तरह टैक्स लगाने की तैयारी ही तो नहीं कर रही है? 

दो पीएफ़ खाते होंगे 

अभी आखिरी सवाल का जवाब मिलना तो बाकी है। लेकिन टैक्स विभाग ने इतना साफ कर दिया है कि यह टैक्स वसूला कैसे जाएगा। इसके लिए अब जिन लोगों के खाते में टैक्स के लिए तय सीमा से ज्यादा रकम जमा हो रही है उनके एक की जगह दो पीएफ़ खाते होने ज़रूरी होंगे। 

एक खाता वो जिसमें अब तक कटी हुई रकम और ब्याज की सारी रकम रहेगी। आगे भी जो पीएफ़ कटेगा या खाते में जमा होगा उसमें से टैक्स फ्री सीमा तक की रकम इसी खाते में जमा होती रहेगी। इस खाते में जमा रकम या उस पर लगने वाला ब्याज टैक्स फ्री होगा। कम से कम अभी तक तो यही बताया गया है।

और जो रकम इस सीमा से ऊपर होगी उसे एक अलग खाते में जमा किया जाएगा। इस खाते में आने वाली रकम पर जो भी ब्याज मिलेगा उस पर हर साल आपकी कमाई की स्लैब के हिसाब से टैक्स लगा करेगा। 

ऐसा करने के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड यानी सीबीडीटी ने इनकम टैक्स नियमावली 1962 में बदलाव किया है और वहां एक नया नियम 9D जोड़ दिया है। इसी नियम में पीएफ़ खाते को दो टुकड़ों में तोड़ने या दो अलग खाते खोलने का इंतजाम किया गया है।

टैक्स का हिसाब लगा सकेंगे

टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि इसके साथ ही एक बहुत बड़ी शंका दूर हो गई है जो पीएफ़ पर टैक्स लगने के एलान के साथ खड़ी हो गई थी। उनका यह भी कहना है कि अब खाताधारकों के लिए अपने टैक्स का हिसाब लगाना आसान हो जाएगा क्योंकि टैक्स वाली रकम एक खाते में और बिना टैक्स वाली रकम एक दूसरे खाते में रहेगी। 

93% पर असर नहीं 

देश में अभी करीब छह करोड़ पीएफ़ खाते हैं। इसलिए लगता है कि यह नियम बहुत बड़ी संख्या में लोगों पर असर डालेगा और सरकार ने बहुत से लोगों का सिरदर्द दूर कर दिया है। लेकिन सच यह है कि इनमें से 93% लोगों पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला है क्योंकि उनके खाते में जमा होने वाली रकम इस सीमा से कम है और उनको फिलहाल टैक्स की कोई फिक्र नहीं करनी है। 

यह आंकड़ा भी कहीं बाहर से नहीं आया है, पिछले साल पीएफ़ पर टैक्स की भारी आलोचना के बाद राजस्व विभाग के अधिकारियों ने ही अपने बचाव में तर्क के तौर पर यह आंकड़ा सामने ऱखा था। उसी वक्त यह भी बताया गया था कि वर्ष 2018-19 में एक लाख तेईस हज़ार धनी लोगों ने अपने पीएफ़ खातों में साढ़े बासठ हज़ार करोड़ रुपये की रकम जमा करवाई है। 

यही नहीं उन्होंने यह भी बताया कि एक अकेले पीएफ़ खाते में एक सौ तीन करोड़ रुपये की रकम जमा थी। यही देश का सबसे बड़ा पीएफ़ खाता था। जबकि इसी तरह के टॉप ट्वेंटी अमीरों के खातों में 825 करोड़ रुपये की रकम जमा थी। 

उस वक्त देश में साढ़े चार करोड़ पीएफ़ अकाउंट होने का अनुमान था और बताया गया कि इनमें से ऊपर के 0.27% खातों में औसतन 5.92 करोड़ रुपये का बैलेंस रहा होगा और इनमें से हरेक हर साल पचास लाख के आसपास टैक्स फ्री ब्याज कमा रहा था। 

यह सब सुनकर तो ज्यादातर लोगों को लगेगा कि उनपर तो कोई असर पड़ना नहीं है और सरकार ने यह टैक्स लगाकर एकदम सही कदम ही उठाया है।

लेकिन तब यह भी याद रखना चाहिए कि पीएफ़ पर टैक्स लगाने की इस सरकार की यह पहली कोशिश नहीं है। 2016 में भी बजट में प्रस्ताव आया था कि रिटायर होने के बाद जब कर्मचारी अपनी भविष्य निधि की रकम निकालते हैं उस वक्त उसके साठ परसेंट हिस्से पर टैक्स लग जाना चाहिए। हालांकि बाद में भारी विरोध के कारण इसे वापस लेना पड़ा। 

इसके पहले साल कर्मचारियों की तरफ से अपने भविष्य के लिए होने वाली बचत यानी ईपीएफ़ या एनपीएस या किसी भी सुपरएन्युएशन या पेंशन योजना में जमा की जाने वाली कुल रकम पर साढ़े सात लाख रुपये की सीमा लगा दी गई थी।  

और अब भी यह सवाल खत्म नहीं हुआ है कि सरकार पीएफ़ पर टैक्स लगाने का इरादा रखती है या नहीं? 

लेकिन फिलहाल सवाल यह है कि आपको क्या करना है। तो इसका सीधा जवाब तो यही है कि आपको कुछ खास करना नहीं है। अगर आपकी तनख्वाह से कटने वाला पीएफ़ महीने में 20,833.33 रुपये से ज्यादा है या आपके इंप्लायर की तरफ से कोई रकम नहीं जमा होती है तो आपकी कटौती की रकम 41,666.66 रुपये से ऊपर है, तब आपको कुछ सोचना होगा। 

लेकिन उसमें भी जिम्मेदारी आपकी नहीं बल्कि पीएफ़ का हिसाब रखने वाले संगठन ईपीएफ़ओ या फिर आपकी कंपनी के पीएफ़ ट्रस्ट की होगी कि वो आपका अलग खाता खोलकर दोनों खातों में हिसाब से रकम डालना शुरू कर दें। आपको बस इस पर नज़र रखनी होगी। 

इसके लिए पीएफ़ दफ्तर से आने वाली मेल या चिट्ठी पर नज़र रखें और ज़रूरत हो तो अपने दफ्तर के एचआर विभाग से इस बारे में पूछताछ कर पता कर लें कि अकाउंट खुल गया कि नहीं। 

31 मार्च 2021 तक आपके खाते में जो भी रकम थी उसपर या उसके ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगना है। और अभी तक सरकार ने पब्लिक प्रॉविडेंट फंड या पीपीएफ़ को भी इससे मुक्त रखा है। इसलिए फिलहाल उस बारे में भी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। 

बीबीसी से साभार