सरकार ने कौन सी लापरवाही की, आलू 10 साल में सबसे महंगा?

08:07 am Nov 01, 2020 | सत्य ब्यूरो - सत्य हिन्दी

प्याज की आँसू निचोड़ू क़ीमतों से लोगों को राहत मिल भी नहीं पाई है कि आलू के भाव बढ़ने लगे हैं। केंद्र सरकार ने जिस तरह प्याज के निर्यात पर रोक लगाई थी, उसी तरह आलू के आयात का फ़ैसला कर कीमतों को काबू में रखने की कोशिश तो कर रही है, पर सवाल उठता है कि उसे इस तरह के कृत्रिम प्रयास करने ही क्यों पड़ते हैं।

इसके साथ ही सवाल यह भी उठता है कि इन आसमान छूती कीमतों का कितना हिस्सा किसानों तक पहुँच रहा है। ये सवाल ऐसे समय उठ रहे हैं जब नरेंद्र मोदी सरकार ने कृषि क़ानूनों को यह कह कर लागू किया है कि इससे किसानों को उचित कीमतें मिलेंगी और उनकी आय बढ़ेगी। 

उपभोक्ता मामले, खाद्य व जन वितरण मंत्रालय के राज्य नागरिक आपूर्ति विभाग के आँकड़ों के अनुसार, आलू की औसत कीमत 39.30 रुपए तक पहुँच गई है। यह 130 महीने यानी 10 साल से भी ज़्यादा समय में सबसे ऊँची कीमत है।

कीमत उछली

दिल्ली में आलू की कीमत देश की औसत कीमत से थोड़ा ज़्यादा यानी 40.11 पैसे है। यह कीमत दिल्ली में बीते 11 वर्षों की उच्चतम कीमत है। आलू की कीमतों में अस्वाभाविक बढ़ोतरी अक्टूबर में दर्ज की गई जब यह 25 रुपए प्रति किलो हो गई। यह कीमत पिछले साल इसी समय आलू की कीमत से 60 प्रतिशत ज़्यादा थी।

हालांकि आलू की कीमत साल के इस समय बढ़ती ही है, सितंबर-अक्टूबर में आलू पूरे देश में महंगा हो जाता है। पर इस बार इसकी कीमत फरवरी-मार्च में ही बढ़ने लगी, जो आश्चर्यजनक है। फरवरी में आलू की औसत कीमत 23 रुपए प्रति किलोग्राम थी। 

क्यों बढ़ी कीमत

आलू की कीमतों में इस तरह की वृद्धि आश्चर्यजनक भले ही लगे, पर गंभीरता से विचार करने पर साफ लगता है कि इसमें ताज्जुब की बात नहीं है। 

एक मोटे अनुमान के मुताबिक़, पूरे देश के कोल्ड स्टोरेज में इस साल लगभग 36 करोड़ बोरियाँ रखी गईं,  हर बोरी में लगभग 50 किलो आलू था। यह पिछले कई सालों की तुलना में कम है। साल 2019 में 48 करोड़ बोरियाँ तो 2018 में 46 करोड़ बोरियां रखी गईं। इसके एक साल पहले यानी 2017 में 57 करोड़ बोरियाँ पूरे देश में रखी गईं। यानी जितनी भंडारण क्षमता है, उससे कम आलू रखे गए। 

कृषि मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, इस साल लगभग 214.5 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रखे गए थे। इसके पिछले साल यानी 2019 में 238.50 लाख टन आलू कोल्ड स्टोरेज में रख गए।

निर्यात

इसकी एक बड़ी वजह यह है कि आलू का बड़े पैमाने पर निर्यात किया गया है। इस दौरान यानी 2019-20 में भारत ने 1.23 लाख टन आलू का निर्यात किया है। आलू निर्यात नेपाल, सऊदी अरब, ओमान, म्यांमार और मलेशिया किया गया है।

अगले कुछ हफ्तों में आलू की नई फसल तैयार हो जाएगी, समझा जाता है कि इस आलू के बाज़ार में आने से कीमतें कम होंगी। 

वाणिज्य मंत्री और फ़िलहाल उपभोक्ता मामलों को देख रहे पीयूष गोयल ने  कहा है कि सरकार भूटान से 30 हज़ार मीट्रिक टन आलू का आयात करेगी।  सरकार को उम्मीद है कि इससे कीमतें काबू में आ जाएंगी।