अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा गौतम अडानी के ख़िलाफ़ अभियोग चलाए जाने के बाद अब भारत की सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी और अमेरिका आमने-सामने आ गए हैं। अमेरिका ने बीजेपी के उन आरोपों को खारिज कर दिया है जिसमें इसने अमेरिकी विदेश विभाग पर भारत को अस्थिर करने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अमेरिका उस न्यूज़पेपर को फंड देता है जो पीएम मोदी को निशाना बनाता है। अमेरिका ने बीजेपी के इन आरोपों को निराशाजनक क़रार दिया है।
नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास ने कहा कि यह निराशाजनक है कि भारत में सत्तारूढ़ पार्टी इस तरह के आरोप लगा रही है। अमेरिकी दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा, 'अमेरिकी सरकार पत्रकारों के लिए पेशेवर विकास और क्षमता बढ़ाने के लिए दिए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर स्वतंत्र संगठनों के साथ काम करती है। यह कार्यक्रम इन संगठनों के संपादकीय निर्णयों या दिशा को प्रभावित नहीं करता है…।'
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी दूतावास ने कहा है, 'संयुक्त राज्य अमेरिका लंबे समय से दुनिया भर में मीडिया की स्वतंत्रता का समर्थक रहा है। एक स्वतंत्र और आज़ाद प्रेस किसी भी लोकतंत्र की एक अनिवार्य चीज है, जो रचनात्मक बहस के लिए ज़रूरी है और सत्ता में बैठे लोगों को जवाबदेह बनाता है।'
नई दिल्ली में अमेरिकी दूतावास की यह प्रतिक्रिया तब आई है जब बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दावा किया कि अमेरिका के 'डीप स्टेट' ने पत्रकारों के एक समूह और भारत में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के साथ मिलकर बिना किसी सबूत के और निराधार आरोपों के साथ भारत के विकास की राह में रोड़ा अटकाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब अमेरिकी विदेश विभाग के सहयोग से हो रहा है।
बीजेपी प्रवक्ता ने फ्रांसीसी पोर्टल मीडियापार्ट की एक रिपोर्ट का हवाला दिया कि ओसीसीआरपी को यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट और अरबपति निवेशक जॉर्ज सोरोस जैसे 'अन्य डीप स्टेट हस्तियों' द्वारा फंड दिया गया था। भाजपा ने कहा, 'डीप स्टेट का सीधा मक़सद प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाकर भारत को अस्थिर करना था।' इसने आरोप लगाया, 'इस एजेंडे के पीछे हमेशा से अमेरिकी विदेश विभाग रहा है… ओसीसीआरपी ने डीप स्टेट एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए एक मीडिया टूल के रूप में काम किया है।'
संबित पात्रा ने कहा कि एक फ्रांसीसी खोजी मीडिया समूह ने खुलासा किया है कि संगठित अपराध और भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना यानी ओसीसीआरपी का 50% धन सीधे अमेरिकी विदेश विभाग से आता है।
इसके बाद भाजपा प्रवक्ता ने राहुल गांधी पर सबसे बड़े देशद्रोही होने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका की कुछ एजेंसियां और सोरोस भारत को अस्थिर करने की कोशिश कर रहे एक खतरनाक त्रिकोण बना रहे हैं।
पात्रा के आरोपों को संसद में उनकी पार्टी के सहयोगी निशिकांत दुबे ने दोहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस मोदी के प्रति अपनी नफरत के कारण भारत की सफलता की कहानी को पटरी से उतारने के लिए विदेशी ताकतों के साथ साजिश रच रही है। राज्यसभा में सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने भाजपा नेताओं के साथ इस मुद्दे को उठाया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने ओसीसीआरपी द्वारा प्रकाशित रिपोर्टों के आधार पर संसद को ठप कर दिया। इन रिपोर्टों में पेगासस जासूसी विवाद, भारत में विकसित कोविड-19 टीकों की प्रभाविकता और अडानी समूह के खिलाफ हिंडनबर्ग रिपोर्ट शामिल है।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने दुबे और उनके अपमानजनक बयान की आलोचना की। उन्होंने कहा, 'नंबर 1, आप लोगों पर अपमानजनक तरीके से हमला नहीं कर सकते। नंबर 2, आप किसी का नाम बिना लिखित में दिए नहीं ले सकते, और नंबर 3, आप संसदीय विशेषाधिकार का हनन नहीं कर सकते। उन्होंने इन तीनों नियमों का उल्लंघन किया और उन्हें काफी समय तक बोलने और बड़बड़ाने की अनुमति दी गई... इसलिए हमने इस पर आपत्ति जताई।'
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह सब अडानी के एजेंटों द्वारा भ्रष्टाचार और व्यापार समूह द्वारा गलत कामों के आरोपों पर उनके बचाव में आने के लिए एक कवर था।
बता दें कि संबित पात्रा की यह टिप्पणी अमेरिकी न्याय विभाग और बाजार नियामक प्रतिभूति एवं विनिमय आयोग द्वारा अमेरिकी अदालतों में गौतम अडानी, उनके भतीजे और उनके समूह पर रिश्वतखोरी, विनिमय धोखाधड़ी और अमेरिकी कानून के अन्य कथित उल्लंघनों के आरोप में अभियोग दायर करने के कुछ दिनों बाद आई है।
बीजेपी ने राहुल गांधी पर ओसीसीआरपी की रिपोर्ट का हवाला देने के लिए भी हमला किया। इसके बारे में उसने कहा कि यह परियोजना पूरी तरह से अडानी समूह और सरकार के साथ उसकी कथित निकटता को निशाने बनाने पर केंद्रित है, ताकि निराधार आरोपों से पीएम मोदी को कमजोर किया जा सके।
एक बयान में ओसीसीआरपी ने अपने फंडिंग के आरोपों और इससे इनकार किया है कि हम अपने दाताओं से प्रभावित हैं। इसने यह भी कहा कि एक डोनर-वित्तपोषित संगठन होने के नाते हमने अपनी संपादकीय प्रक्रिया में सुरक्षा उपाय बनाए हैं और अपने फंडर्स के बारे में हम हमेशा खुला रहे हैं। बयान में कहा गया है कि ये सभी दस्तावेज सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं।