प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) की सदस्य प्रोफेसर शामिका रवि ने स्वीकार किया कि सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन ने 2006-07 में इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस (आईएसबी) में फंडिंग की थी, जब वह सहायक प्रोफेसर थीं, लेकिन "किसी भी फैकल्टी सदस्य को सीधे पैसा नहीं आया"। कांग्रेस के पवन खेड़ा ने दावा किया था कि पीएम की आर्थिक सलाहकार को अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस द्वारा वित्त पोषित संगठन से पैसा मिला था। सोरोस इस समय कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासी घमासान का केंद्र बन गये हैं।
प्रोफेसर शामिका रवि ने कहा, "2006-07 में, ओपन सोसाइटी ने आईएसबी की फंडिंग की थी, जहां मैं इस विषय पर पढ़ाने और शोध करने वाली एक सहायक प्रोफेसर थी। किसी भी फैकल्टी सदस्य को सीधे कोई पैसा नहीं मिला।" उन्होंने यह भी कहा कि आईएसबी में उनके कार्यकाल के 18 साल बाद ही वह पीएम की सलाहकार कमेटी में शामिल हुईं। उन्होंने इसे "मानहानि का उचित मामला" बताया। यानी उन्होंने संकेत दिया कि वो इस मुद्दे पर पवन खेड़ा पर मानहानि का केस कर सकती हैं।
प्रोफेसर शामिका ने कहा कि "18 साल बाद, मैं ईएसी-पीएम में शामिल हुई। मुझे अपने काम, अपने देश या अपने प्रधान मंत्री पर इतना गर्व कभी नहीं हुआ। इस बीच, 2020 में, जॉर्ज सोरोस ने अपने भारत विरोधी मंसूबों की घोषणा की।"
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अमेरिका में अडानी घूसकांड सामने आने के बाद कांग्रेस इस मुद्दे को संसद में लगातार उठाने की कोशिश कर रही है लेकिन संसद के दोनों सदनों में विपक्ष को अडानी घूसकांड उठाने से रोक दिया जाता है और सदन निलंबित कर दिया जाता है। अडानी घूसकांड उछलने के बाद भाजपा ने सोरोस की आड़ लेकर कांग्रेस और नेता विपक्ष राहुल गांधी को घेरने की कोशिश की। फ्रांस के मीडिया आउटलेट मीडियापार्ट ने इस बात के लिए भाजपा की निन्दा की है कि वो सोरोस और उनकी रिपोर्ट की आड़ में फर्जी खबरें फैला रही है।
सोरोस पर भाजपा-कांग्रेस के आरोपों के बीच मंगलवार को कांग्रेस के पवन खेड़ा ने ट्वीट किया कि शामिका रवि को ओपन सोसाइटी फाउंडेशन से अनुदान मिला, जो हितों के संभावित टकराव का संकेत देता है, और उनकी गतिविधियों की जांच की मांग की। खेड़ा ने लिखा- "क्या पीएमओ उन्हें हटा देगा और इस बात की जांच कराएगा कि उन्होंने 'भारत को अस्थिर' करने के लिए क्या किया है या क्या कर रही हैं?"
जॉर्ज सोरोस, पीएम मोदी के मुखर आलोचक हैं। भारत में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ने के बाद सोरोस ने खुली आलोचना की। बुडापेस्ट में जन्मे 92 वर्षीय सोरोस एक अरबपति फाइनेंसर, राजनीतिक कार्यकर्ता और परोपकारी व्यक्ति के रूप में जाने जाते हैं। वो पूरी दुनिया में ऐसे संगठनों को फंडिंग करते हैं जो मानवाधिकार, सामाजिक कार्यक्रम या आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब भाजपा के इस आरोप से संसद में हंगामा मचा हुआ है कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी का जॉर्ज सोरोस फाउंडेशन द्वारा वित्त पोषित संगठन से संबंध है। भाजपा के आरोप को व्यापक रूप से गौतम अडानी रिश्वत मामले से ध्यान भटकाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिसे कांग्रेस ने संसद में आक्रामक तरीके से उठाया है।
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)