किसान आंदोलन के बीच हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर सरकार के ख़िलाफ़ विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया गया। हरियाणा कांग्रेस की तरफ़ से भूपिंदर सिंह हुड्डा ने यह प्रस्ताव पेश किया। इसने कहा है कि किसान आंदोलन के दौरान 250 किसानों की मौत हो गई है। इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि दो निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। हालाँकि इससे सरकार पर ज़्यादा ख़तरा नहीं दिखता है क्योंकि मौजूदा समय में बीजेपी के पास बहुमत का आँकड़ा पर्याप्त लगता है। माना जाता है कि कांग्रेस को भी शायद इसका अंदाज़ा होगा, लेकिन इस अविश्वास प्रस्ताव का मक़सद शायद किसानों के ग़ुस्से का सामना कर रही बीजेपी को घेरना होगा।
कांग्रेस के बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव की संभावना के मद्देनज़र ही पक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने सदस्यों को सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने के लिए ह्विप जारी किया है।
हरियाणा सरकार के मंत्री और बीजेपी के मुख्य सचेतक कंवरपाल ने कहा है कि हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के दौरान भारतीय जनता विधायक दल के सभी सदस्यों से 10 मार्च को सदन में लगातार उपस्थित रहने का अनुरोध किया जाता है। बीजेपी के सहयोगी दल जेजेपी ने भी अपने विधायकों को ह्विप जारी किया है। कांग्रेस के मुख्य सचेतक बीबी बत्रा ने कहा है कि कांग्रेस विधायक दल हरियाणा के सदस्यों को सूचित किया जाता है कि सदन में सरकार के विरुद्ध 10 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव लाया जाएगा।
विधानसभा में जो मौजूदा स्थिति है उससे गठबंधन सरकार को ज़्यादा मुश्किल नहीं आती दिख रही है। राज्य की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी और जेजेपी गठबंधन के पास 50 विधायक हैं। इसके अलावा सात निर्दलीयों में से पाँच का समर्थन है और हरियाणा लोकहित पार्टी का भी साथ है। फ़िलहाल 88 विधायक ही सदन में हैं और दो पद खाली हैं। बहुमत के लिए 45 सदस्यों का समर्थन चाहिए।
कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा,
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सरकार का समर्थन कर रहे दो निर्दलीय विधायकों ने अपना समर्थन वापस ले लिया है। उनकी गठबंधन पार्टी के कुछ विधायकों ने कहा है कि यह सबसे भ्रष्ट सरकार है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा
हुड्डा ने यह भी कहा कि जब अविश्वास प्रस्ताव आएगा तो पता चल जाएगा कि मनोहर लाल खट्टर सरकार के साथ कौन हैं और कौन ख़िलाफ़ हैं।
सरकार पर ख़तरे के सवालों पर मुख्यमंत्री खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला कहते रहे हैं कि सरकार पर कोई ख़तरा नहीं है। जनवरी महीने के मध्य में भी हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन सरकार पर संकट की आशंकाओं के बीच मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने कहा था कि सरकार पर कोई ख़तरा नहीं है और यह पाँच साल पूरा करेगी। दोनों नेताओं ने यह बात तब कही थी जब वे गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर आए थे।
तब कहा गया था कि मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार चौतरफा दबाव में है। तब यह भी कहा जा रहा था कि किसान आंदोलन के बाद से बीजेपी और दुष्यंत के नेतृत्व वाली जेजेपी में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है।
बता दें कि कई विधायकों ने खुले तौर पर किसान आंदोलन का समर्थन किया है। कृषि क़ानूनों को लेकर किसान आंदोलन के बाद बीजेपी विधायकों और जेजेपी विधायकों पर भी किसानों का साथ देने का दबाव है। इनके बारे में भी कहा जा रहा है कि उन्हें डर है कि अगले चुनाव में उन्हें वोट नहीं मिलेंगे। उन्हें यह डर इसलिए भी है क्योंकि किसान आंदोलन ने गठबंधन सरकार के मंत्रियों और विधायकों के लिए गाँवों में सार्वजनिक बैठकें करना मुश्किल कर दिया।
किसानों ने उन्हें काले झंडे दिखाए। यहाँ तक कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर की करनाल में किसान महापंचायत का ज़बरदस्त विरोध हुआ था और उनको अपना कार्यक्रम रद्द करना पड़ा था।
इधर, देश के पाँच राज्यों के चुनावों में बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील करने के बाद अब संयुक्त किसान मोर्चा ने हरियाणा सरकार को गिराने में सहयोग करने का आह्वान किया है। इसने कहा है कि किसान आंदोलन को और तेज़ करते हुए संयुक्त किसान मोर्चा हरियाणा में अभियान चलाएगा जिससे सरकार गिर जाए। इसने कहा है कि वह लोगों से अपील करेगा कि वे अपने विधायकों से कहें कि 10 मार्च को आने वाले अविश्वास प्रस्ताव में बीजेपी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार को हराएँ।