आंसू गैस, किसानों के घायल होने के बाद 'दिल्ली चलो' मार्च स्थगित

05:19 pm Dec 08, 2024 | सत्य ब्यूरो

हरियाणा पुलिस द्वारा शंभू सीमा पर आंसू गैस छोड़े जाने के बाद और किसानों के घायल होने की ख़बरों के बीच किसानों के ‘दिल्ली चलो’ मार्च को एक दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। किसानों को बैरिकेड्स पर रोक दिया गया और पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आँसू गैस के गोले दागे। रविवार को विरोध-प्रदर्शन के दौरान कम से कम पांच किसान घायल हो गए। अब सोमवार को बैठक कर इस पर फ़ैसला लिया जाएगा।

किसानों द्वारा पैदल मार्च शुरू किए जाने के बाद उन्हें हरियाणा पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेडिंग पर रोक दिया गया। इसके बाद किसानों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए और पानी की बौछारें की गईं। किसान मजदूर मोर्चा और एसकेएम समूहों के 101 किसान प्रदर्शनकारियों में शामिल हैं। शंभू बॉर्डर पर किसान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा फूल बरसाने के बारे में मीडिया के सवालों पर किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने कहा, "आज का 'जत्था' वापस लौट रहा है। यह दुखद है कि फूलों में रसायन मौजूद थे। कई लोग घायल हुए हैं। हम आज एक बैठक करेंगे। जिस तरह से उन्होंने हमें बहला-फुसलाकर हमला किया, वह गलत है।"

मार्च से पहले किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने आरोप लगाया कि आप के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार केंद्र के साथ गठबंधन कर रही है और उनके खिलाफ काम कर रही है। पंधेर ने सवाल किया कि मीडिया को विरोध स्थल पर क्यों रोका जा रहा है। शुक्रवार को मार्च के दौरान भी कई किसान घायल हुए थे और मार्च को एक दिन के लिए रोक दिया गया था।

इस बीच, पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों ने रविवार को अपना 'दिल्ली चलो' मार्च जारी रखा लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। उन्हें रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने रविवार को फिर से आँसू गैस के गोले दागे। पंजाब-हरियाणा शंभू सीमा पर तैनात हरियाणा पुलिस के एक अधिकारी ने कहा, 'हम पहले उनकी पहचान करेंगे और फिर उन्हें आगे जाने देंगे। हमारे पास 101 किसानों के नामों की सूची है, और ये वे लोग नहीं हैं - वे हमें अपनी पहचान नहीं करने दे रहे हैं - वे एक भीड़ के रूप में आगे बढ़ रहे हैं।' इससे पहले उन्होंने शनिवार को दूसरे दिन भी इसको जारी रखा था और बड़ी संख्या में हरियाणा-पंजाब शंभू सीमा पर जुटे। एक किसान नेता ने कहा था कि वे यह देखने का इंतजार कर रहे हैं कि क्या केंद्र बातचीत के लिए कोई प्रस्ताव पेश करता है। अंबाला में धारा 144 लागू कर दी गई थी, जिससे पांच या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लग गई है।

पंजाब के किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने शनिवार को कहा था कि उन्हें अपने मुद्दों को हल करने के लिए बातचीत के लिए केंद्र से कोई संदेश नहीं मिला है और कहा कि 101 किसानों का एक समूह 8 दिसंबर को फिर से दिल्ली के लिए अपना मार्च शुरू करेगा। शुक्रवार को पंजाब-हरियाणा सीमा पर उन्हें रोकने वाले सुरक्षाकर्मियों द्वारा दागे गए आंसू गैस के गोले के कारण उनमें से कुछ के घायल होने के बाद प्रदर्शनकारी किसानों ने राष्ट्रीय राजधानी में अपना पैदल मार्च स्थगित कर दिया था। 

किसान एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों को लेकर दबाव बना रहे हैं।

101 निहत्थे किसानों ने शुक्रवार को दिल्ली मार्च को आगे बढ़ाया था। लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें शंभू बॉर्डर पर रोक लिया। उन पर लाठीचार्ज किया, आंसू गैस के गोले छोड़े। इस वजह से 15 किसान घायल हो गए और लगभग 17 को अस्पतालों में भर्ती कराया गया। किसान मजदूर मोर्चा (केएमएम) और संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम, गैर-राजनीतिक) ने कहा कि वो रविवार को फिर से दिल्ली कूच के लिए तैयार हैं।

सवाल यह कि क्या पुलिस किसानों को विरोध प्रदर्शन करने और दिल्ली जाने से रोक सकती है? संविधान का अनुच्छेद 19(1)(बी) शांतिपूर्वक और बिना हथियारों के इकट्ठा होने के अधिकार की गारंटी देता है जबकि अनुच्छेद 19(1)(डी) भारत के पूरे क्षेत्र में स्वतंत्र रूप से घूमने के अधिकार की बात करता है। हालाँकि, अनुच्छेद 19(1) के तहत सभी अधिकारों पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं क्योंकि संविधान का अनुच्छेद 19(2) राज्य को संप्रभुता के हित में अनुच्छेद 19(ए1) के तहत गारंटीकृत स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करने के लिए कानूनों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करता है। 

2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल से कहा कि वे प्रदर्शनकारी किसानों को राजमार्गों को बाधित न करें और लोगों को असुविधा न पहुंचाएं। हालांकि किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस स्पष्ट निर्देश के बाद किसान संगठनों ने तय किया कि वे 101 निहत्थे किसानों को दिल्ली अपनी बात कहने के लिए भेजगी। किसानों ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि 101 निहत्थे किसानों का दिल्ली कूच शुक्रवार को शुरू होगा। इधर पहले से कुछ और तैयारी थी। पंजाब-हरियाणा सीमा पर बैरिकेडिंग कर दी गई, कीलें गाड़ दी गईं और कंटीले तार फैला दिए गए। इसके बावजूद 101 निहत्थे किसान जब आगे बढ़े तो उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस छोड़ी गई, लाठी चार्ज किया गया। बहुत स्पष्ट है कि किसान न सिर्फ निहत्थे थे, बल्कि शांति से आगे बढ़ रहे थे लेकिन उन्हें रोक कौन रहा था। 

किसान नेता पंधेर ने शुक्रवार को कहा था कि केंद्र सरकार ने फरवरी से उनसे कोई बात नहीं की है। वे अभी भी इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि सरकार उनसे बात करेगी। पीएम मोदी से लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान तक कह रहे हैं किसान अन्नदाता हैं। लेकिन निहत्थे अन्नदाता पर फिर लाठी क्यों।