हफ़्ते भर पहले की ही बात है जब दिल्ली-हरियाणा के गांवों से निकलने वाले युवा रेसलर्स सेलेब्रिटी पहलवान सुशील कुमार के जैसा बनने का सपना देखा करते थे। लेकिन बीती 4 मई को हुए एक वाकये के बाद से ही पहलवान सुशील कुमार कहीं छुपे हुए हैं। पहलवानी के अखाड़ों के कोच कहते हैं कि इस वाकये के बाद सुशील कुमार के साथ ही कुश्ती जैसे गांवों के खेल की भी छवि ख़राब हुई है क्योंकि ओलंपिक में दो पदक जीतने वाले सुशील कुमार इस खेल के ब्रांड एबेंसडर की तरह थे।
क्या हुआ था 4 मई को?
4 मई की रात को दिल्ली के मॉडल टाउन स्थित छत्रसाल स्टेडियम में 23 साल के युवा रेसलर सागर धनखड़ की हत्या कर दी गई। मामले में आरोप लगा है सुशील कुमार पर। उस दिन के बाद से ही सुशील अपने साथियों के साथ ग़ायब हैं। सुशील की तलाश में दिल्ली पुलिस उत्तराखंड में छापेमारी कर रही है क्योंकि पुलिस को पता चला है कि सुशील उत्तराखंड में कहीं छिपा हुआ है। पुलिस ने शिकंजा कसने के लिए सुशील के ख़िलाफ़ लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया है।
‘मां-बाप दोबारा सोचेंगे’
कुश्ती में वर्ल्ड जूनियर ब्रांज मेडल विजेता विरेंद्र कुमार न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से कहते हैं कि हत्या के इस मामले में सुशील कुमार का नाम आने से मां-बाप अपने बच्चों को इस खेल में भेजने के बारे में सोचेंगे। क्योंकि कोई भी परिवार नहीं चाहता कि वह अपने बच्चों को गलत संगत में भेजे जिससे उनके परिवार का नाम ख़राब हो।
वीरेंद्र कुमार कुछ वक़्त के लिए दिल्ली सरकार के साथ कोच के रूप में भी काम कर चुके हैं। उन्हें दुख है कि जिस छत्रसाल स्टेडियम ने देश को कई बेहतर पहलवान दिए, वहां एक पहलवान की हत्या की घटना हुई है।
रेसलिंग फ़ेडरेशन ऑफ़ इंडिया भी इसे लेकर परेशान है कि बीते कुछ सालों में जो इज्जत सुशील कुमार ने कमाई थी, वह मिट्टी में मिल गई है। इससे बाक़ी पहलवानों पर भी इस घटना का मानसिक रूप से असर पड़ने का डर है।
यहां बताना ज़रूरी होगा कि सुशील कुमार भारत के अकेले ऐसे पहलवान हैं, जिन्होंने ओलंपिक में एक बार नहीं दो बार देश के लिए पदक जीता है। 2008 में बीजिंग के बाद सुशील ने 2012 के लंदन ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीता था।
सुशील ने 2010 में मॉस्को वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के अलावा 2010, 2014 और 2018 के कॉमनवेल्थ खेलों में तीन बार स्वर्ण पदक जीता था। सुशील कुमार को भारतीय रेलवे में नौकरी भी मिली थी और इन दिनों वह छत्रसाल स्टेडियम में ओएसडी के रूप में तैनात था।
युवाओं को लगा धक्का
सुशील कुमार ने जब 2008 में बीजिंग में देश के लिए ब्रांज मेडल जीता था तो वह भारतीय युवा पहलवानों के दिल पर छा गए थे। सुशील पहले पहलवान थे जिन्होंने ओलंपिक में पदक जीता था। इसके बाद दिल्ली-हरियाणा के युवाओं की कुश्ती के खेल में रूचि जगी और वे अखाड़ों में जाने लगे क्योंकि उन्हें यही लगता था कि अगर सुशील पदक जीत सकता है तो वे भी जीत सकते हैं।
लेकिन हत्या के इस मामले में सुशील का नाम आने और उनके लापता हो जाने के बाद ऐसे युवा पहलवानों को धक्का लगा है क्योंकि जिसे वे रोल मॉडल मानते थे, वही शख़्स एक युवा और उभरते पहलवान की हत्या में अभियुक्त बन गया है और वह तब जबकि सागर धनखड़ सुशील को गुरू मानता था।
नाम कमाना चाहता था सागर
23 साल का सागर धनखड़ एक युवा पहलवान था, जिसने बीते कुछ सालों में कई पदकों पर कब्जा जमाया था। सागर हरियाणा के सोनीपत का रहने वाला था। हत्या के बाद से ही उसके परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है क्योंकि सागर कुश्ती में नाम कमाना चाहता था।
सागर पिछले 8 साल से छत्रसाल स्टेडियम के पास रहकर कुश्ती की प्रैक्टिस करता था, तब उसकी उम्र सिर्फ़ 15 साल थी। सागर के परिजन उसे इंसाफ कैसे मिलेगा, यह बात कहकर रोते-बिलखते हैं।
परिजन कहते हैं कि सुशील ने गुरू होने के बाद भी सागर को यह सिला दिया जबकि सागर उसकी और अपने से बड़ों की इतनी इज्जत करता था कि उनसे आंखें मिलाकर बात नहीं करता था। वे कहते हैं कि इस बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता कि लड़ाई सागर ने शुरू की होगी। सागर के पिता अशोक धनखड़ दिल्ली पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं।